Saturday, 23 November 2024

लघु कथा - "कोन मेऱ गँवागे "

 लघु कथा -

      "कोन मेऱ गँवागे "


 "अभी के समय ला देखत हन 

विचित्र हे l कोनो ल कुछु झन काह ?"सियान पलटू बतावत रहिस l उही बेरा नतनिन तनु चाय पानी लाके देथे l

" ले चाहा पी ले l "

कप ला उठावत जगतू कहिथे 

" नोनी बर सगा नई आवत हे? " पलटू  कहिस -" रिस्ता जम नई पावत हे l नोनी ला नोनी असन राखे हन l कोनो डहर अकेल्ला नई भेजन l"

" घरेच म घलो नई रखना चाही l बाहिर आना जाना होथे त उंकरों दिमाग खुलथे हिम्मत आथे l "

"दूसर मन तो आन तान 

कहिथे, खुल्ला छोड़ दे हे l "

"उंकर  मन का हे,  जेकर सोच गलत हे,नजर दोस हे l"

नतनिन के नता म मजाक हो जावत होही? "

पलटू बताथे -" बने कहेस लोगन म नजर दोस हेl नजर घलो लगे हे l नजरिया घलो  बदल गे हे l  नोनी मन बर सगा  खोजाईया भला आदमी नई हे l बने बिचार कोन जनी कहाँ?

कोन मेऱ गँवागे हे l बखत मैनखे के मुँह ले बुराई  बुराई निकलथे l ओकर संस्कार ल नई देखय सुघराई के पीछू दौड़त हे l "

हाँ जगतू, अपन नोनी ला बार खार नई भेजन तेखर सेती 

बाहिर के हवा पानी ले नोनी बाँच गे हे l"


मुरारी लाल साव 

कुम्हारी

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