नानूक व्यंग्य -
' फटाका फोड़ ज्ञान "
मोर टुरा मोला ज्ञान देथे l महूँ अइसे कान देके सुन के दशा म हँव l बार बार घेरी भेरी बरजत हँव " फटाका झन फोड़ बेटा अभी नौ साल के हस l उतयाइल हे जादा मोर बेटा ह l अन्नू कइथे -" काबर बाबू? "
तै पइंसठ के होगे आज तक फटाका नई फोड़े हस त तै का जानबे?
"फटाका फोड़े ला का मिलथे?'
फट ले जवाब देथे -" ज्ञान "
"का ज्ञान?
"उही कि काबर मना करत हस? ओला जाने बर l"
" का जानेस बेटा!"
अन्नू कइथे -" पापा, फटाका फोड़े के अभ्यास ले बड़े बम फोड़े ला आही l बड़े बम फोडहूँ तहाँ दुनियाँ जानही -
बम फोड़ l"
"अच्छा मोर फटाका फोड़ बाबू
बता देवारी काबर मनाथे?
तोता छाप फटाका ला फोड़त फट ले कहिस -" फटाका के अवाज ला सुनके लछमी जी आथे l सहीच म एक ठन गाय चमक के घर म आगे l फेर बात ला काटेंव "देवारी मनाये जाथे बेटा भगवान राम चौदह साल के बनवास ला काट के आइस ओखर ख़ुशी म l"
ताजमहल फटाका म आगी लगावत कहिस -" देवारी म कोन भगवान राम के पूजा करथे? घर के तिजोरी ला भरे बर लछमी जी के पूजा करथे l"
फटाका फोड़ ज्ञान ला सुनके
मोर ज्ञान फट होगे l हिंदी के रचना म इही ला बतावत रहेंव
अयोध्या म देवारी मनाइस दीया जलाके l फटाका कहाँ फोड़ीस कोनो l फटाका बम तो रेल म मुंबई म दिल्ली म संसद भवन म फुटथे जोरसे धमाके दार l
मुरारी लाल साव
कुम्हारी
No comments:
Post a Comment