Sunday 1 October 2023

छत्तीसगढ़ राज्य बने के बाद छत्तीसगढ़ी गद्य साहित्य म नवाचार के उदीम..

 छत्तीसगढ़ राज्य बने के बाद

छत्तीसगढ़ी गद्य साहित्य म नवाचार के उदीम..


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बसंत राघव


नवाचार अउ नवप्रवर्तन विचार हर साहित्य के क्षेत्र म करे गे बदलाव ल बताथे। जिहाँ तक छत्तीसगढ़ी गद्य के सवाल हे, छत्तीसगढ़ राज्य बने के पहिली ले नवाचार के कई ठन चिन्हारी हर ए डहर हमन ल देखे ल मिलथे। सन् 1960 - 1970 के बछर के बीच म छत्तीसगढ़ सहकारी संघ बिलासपुर के मासिक पत्रिका 'छत्तीसगढ़ सहकारी संदेश के प्रकाशन शुरू होइस,जेमा पं.द्वारिकाप्रसाद तिवारी 'विप्र' के धारावाहिक गोठ बात ," चैतू बैसाखू के गोठ " के सरलग प्रकाशन होवत रहिस। ए पत्रिका हर,  हर सेवा सहकारी समिति म गाँव - गाँव बगरे रहिस।  एमा छत्तीसगढ़ी गद्य के सुघराई हर अबड़ अकन बाढ़िस। फेर बेरा के पाछू धीरे-धीरे दैनिक समाचार पत्र मन म 'कालम' के शुरुवात घलो होवत गइस।


                           छत्तीसगढ़  राज्य  बने के बाद छत्तीसगढ़ी गद्य म नवाचार के डांड म पहिली ले चले आत आकाशवाणी के दूरदर्शन के  उदिम मन संहराए लाइक हें। सबले पहिली साहित्यकार टिकेन्द्रनाथ टिकरिहा हर 1 नवम्बर सन् 2000 जउन दिन छत्तीसगढ़ राज बनिस, उहिच दिन ले दैनिक अग्रदूत म छत्तीसगढ़ी भाषा म संपादकीय लिखे के शुरुआत करें रिहिन, जो हर ऐतिहासिक बात आय।दैनिकभास्कर के संगवारी पेज म "सियान मन के सीख" कालम ल सरलग कई बछर तक बिलासपुर के रश्मि रामेश्वर गुप्ता के लेख ह छपत रहिस। कोरोना काल ले संगवारी पेज ह छपना बंद हो गय हे।


        छत्तीसगढ़ी भाखा म ब्लाग के शुरुआत करइया म जयप्रकाश मानस के नाव आघू आथे। वोहर सबले पहिली छत्तीसगढ़ी के सुग्घर पत्रिका 'लोकाक्षर' ल आनलाइन करे के उदिम करिस। फेर शिवशंकर शुक्ल के छत्तीसगढ़ी उपन्यास 'दियना के अंजोर',अउ जे.आर. सोनी के उपन्यास चंद्रकला ल ब्लॉग के प्लेटफारम म रखे गिस। फेर परदेशी राम वर्मा के छत्तीसगढ़ी उपन्यास "आवा" हर ब्लॉग के माध्यम ले नेट के पढ़ोइया मन करा हबरिस।


                सन् 2006 बछर म सोसल नेटवर्क गूगल डहर ले संचालित 'आर्कुट' (अब गुगल प्लस) के अब्बड़ जोर रहिस। ए बेरा अमेरिका म शोध करइया धमतरी के चेलिक युवराज गजपाल हर छत्तीसगढ़ी रचना मन ल ओमा संघराय के घात उदिम करिस। आर्कुट के सिराती अउ फेसबुक के जनमती (2004) बेरा म हिंदी ब्लॉग म बढ़ोतरी घलो होय लागिस। एही बखत संजीव तिवारी हर अपन ब्लॉग 'आरंभ' म अउ संजीव त्रिपाठी हर अपन ब्लॉग "आवारा बंजारा" म छत्तीसगढ़ी पोस्ट डारे के उदिम करीस। जेला जम्मो झन अब्बड सँहराइन।

   

                     फेर लोकाक्षर के आनलाइन प्रकाशन बंद हो गइस। छत्तीसगढ़ी रचना के इंटरनेट म  प्रकाशन घलो हर सरलग नइ रहि पाइस । संजीव तिवारी अक्टूबर 2008 बछर ले ब्लॉग 'गुरतुर गोठ' के शुरुआत करिस। जेहर आज तक चलत हावे। ए ब्लॉग ला लोगन मन के बीच म अबड़ चिन्हारी मिलिस। सोशलमीडिया म 2011 म जयंत साहू के 'चारी चुगली' अउ 2013 म सुशील भोले के 'मयारू माटी'  ब्लॉग के भी अब्बर चर्चा होथे। छत्तीसगढ़ी भासा मा समाचार लिखने वाला प्रदेश के पहला वेबसाइट 'गुरतुर गोठ 2007 म दूसर जयंत साहू के "अंजोर" 2014 म शुरू होइस। जेमा इनटरनेट म  छत्तीसगढ़ी  डाटा अपलोड करे जाथे।


            ए बीच छुटपुट छत्तीसगढ़ी ब्लॉग घलो बनिस। फेर ओमन नंदा गइन। कनाडा ले डाँ. युवराज गजपाल हर  'पिरोहिल' अउ ललित शर्मा हर अपन खुद के छत्तीसगढ़ी रचना मन बर 'अड़हा के गोठ' नाम के एक ठन ब्लॉग बनाइस । फेर ऐहू ब्लाग हर सरलग नइ रह पाइस।

   

           गुंडरदेही के संतोष चंद्राकर हर छत्तीसगढ़ी भाखा म दू ठन ब्लॉग बनाइस अउ रचनाकार मन के रचना मन ल प्रकाशित करे के उदिम करिस। फेर आघू चलके संतोष चंद्राकर आने बूता म भिड़गे। ए बूता थिरा गइस।

  

     रायपुर के अनुभव शर्मा ग्राम  बंघी , दाढ़ी ले ईश्वर कुमार साहू मन  "'मया के गोठ" ब्लॉग बनाइन। बिलासपुर के डाँ. सोमनाथ यादव के ब्लॉग 'सुहई' जांजगीर के राजेश सिंह क्षत्री के ब्लॉग 'मुस्कान' म छत्तीसगढ़ रचना आवत रहिस। 

          भोपाल के रविशंकर श्रीवास्तव हर अपन प्रसिद्ध ब्लॉग रचनाकार म छत्तीसगढ़ी रचना अउ संपूर्ण किताब ल अपलोड करे हे।


           छत्तीसगढ़ राज्य सिरजे के बाद दैनिक अखबार मन हर हफ्ता म एक एक पेज देहे के शुरुआत करिन । कतको साप्ताहिक मासिक म कालम शुरू होइस। दैनिक देशबंधु म मड़ई दैनिक पत्रिका म पहट दैनिक हरिभूमि म चौपाल जइसे

खंभा हर कतको पढोइया तियार करिस हे।

दैनिक लोकसदन , कोरबा अउ रायपुर दुनों जगा ले छपथे। एंकर साहित्यिक खंभा 'झांपी'घलो म कभू- कभू  छत्तीसगढ़ी गद्य छपथे।


            सोसल मीडिया म छत्तीसगढ़ी गद्य के प्रयोग के बाढ़ आगे हे। आशीष सिंह ठाकुर के ब्लॉग "सुमिरौं छ्त्तीसगढ़" म छत्तीसगढ़ी आलेख प्रकाशित होवत रहिथे। ललित शर्मा के ब्लॉग "दक्षिण कोसल टुडे" घलोक म कभू- कभू छत्तीसगढ़ी गद्य दिख जाथे। सुशील भोले के  खंभा 'कोंदा भैरा के गोठ" फेसबुक अउ व्हाट्सएप म खास हे। वोहर रायगढ़ के दैनिक सुग्घर छत्तीसगढ़ के पहिली पेज म छपत हे। व्हाट्सएप म 'मयारु माटी','छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति' जइसन कई ठन ग्रुप के अगुवाई म छत्तीसगढ़ी गद्य साहित्य ल बगराये के परयास होवत हे, जेमा लघुकथा, संस्मरण के ठऊर म सुरता,  कालम के ठऊर म खंभा,  व्यंग्य,निबंध, समीक्षा अउ पत्र साहित्य के ठऊर म मैसेज के चलन आगू बढ़त हावे। एला भी छत्तीसगढ़ी गद्य साहित्य के डहर म नवाचार के उदीम कहे जा सकत हे। ऐमा हजारों साहित्यकार, लेखक मन लिखत पढ़त हावय ।  आई बी सी 24 चेनल म हमर बानी हमर गोठ म छत्तीसगढ़ी म समाचार प्रसारित करथे। 'मोर मितान'  यू ट्यूब चेनल म छत्तीसगढ़ी कलाकार मन के इंटरव्यू प्रसारित होथे। त्रिवेंद्र साहू, टाटानगर.यू ट्यूब म  'हमर गोठ' म इंटरव्यू व लेखक मन के सुरता गोठ बात ल प्रसारित करथे।  अपन जी न्यूज म तृप्ति सोनी छत्तीसगढ़ी म इंटरव्यू प्रसारित करथे। ऑनलाइन मंच म छत्तीसगढ़ी गद्य ल बगराए बर कतको उदिम चलत हावे। 

                 छत्तीसगढ़ी भाषा ल अंतरराष्ट्रीय स्तर म बढ़ावा देहे के खातिर  डिजिटलीकरण करे बर छत्तीसकोश एप NACHA (उत्तरी अमेरिका छत्तीसगढ़ एसोसिएशन / एनआरआई एसोसिएशन ऑफ छत्तीसगढ़) परियोजना शुरू करे गे हावय। ए परियोजना हर हमर छत्तीसगढ़ी साहित्यकार  मन के  कहनी, व्याकरण, शिक्षा वीडियो, कविता, शब्दकोश, त्योहार के किताब आदि ल  ई-संस्करण  के रूप म निःशुल्क प्रकाशित करे के  मंच घलो देथे। 

इंटरनेट म वेबसाईट जइसन अउ कतको आने उदिम तो चलते रहिथे,  फेर ए ऐप म अइसन उपराहा अउ आने का बात हे? त मीनल मिश्रा जी कहिथें कि एकर ले छत्तीसगढ़ के साहित्यकार मन के किताब ल निःशुल्क डाउनलोड किये जा सकत हे। प्रतियोगी लइका मन छत्तीसगढ़ भाषा  साहित्य अउ सामान्य ज्ञान ,व्याकरण के तियारी कर सकत हे। छत्तीसगढ़ी शब्द के हिंदी अऊ अंग्रेजी अर्थ ल बड़ आसानी से जान सकत हे,सीख सकत हे।


नार्थ अमेरिका छत्तीसगढ़ एसोसिएशन (नाचा) के द्वारा बनाए गे हवे छत्तीसकोश ऐप म अउ का जोड़े जा सकथे जेकर ले ए ऐप ह जादा ले जादा उपयोगी बन सकय, एकर बर अउ काम करे के जरूरत हे

     

छत्तीसगढ़ राज्य बने के पाछु हिंदी साहित्य के रचना मन के छत्तीसगढ़ी अनुवाद घलो होवत हावे । ए उदिम ह घलो एक ठन नवाचार ए, जेकर डहर ले छत्तीसगढ़ी भाषा ला लोगन मन के बीच बगराए के मौका मिले हवे। ए डहर आऊ काम करे के उदिम होना चाही अइसन मोर समझ बनथे।


ए दारी मैहर देखथवँ कि छत्तीसगढ़ राज्य बने के बाद छत्तीसगढ़ी गद्य म नवाचार के अबड अकन उदिम देखे बर मिलत हावे। 


छत्तीसगढ़ी भाषा ह लोगन मन के बीच चारो कोती बगरे, समृद्धि होय अइसन मोर कामना हावे।

जय जोहार, जय छत्तीसगढ़।


बसन्त राघव

पंचवटी नगर,मकान नं. 30

कृषि फार्म रोड,बोईरदादर, रायगढ़,

छत्तीसगढ़,basantsao52@gmail.com मो.नं.8319939396

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