Saturday 14 October 2023

देश के आजादी मा छत्तीसगढ़ी साहित्यकार मन के योगदान

 देश के आजादी मा छत्तीसगढ़ी साहित्यकार मन के योगदान


साहित्य ल समाज के दर्पन कहे जाथे. साहित्य के माध्यम ले जुन्ना बेरा के संगे संग वर्तमान बेरा के स्थित - परिस्थिति हा मालूम होथे. साहित्य ले हमर इतिहास के जानकारी होथे ता साहित्य हा इतिहास घलो गढ़थे. बंकिम चन्द्र चटर्जी के आनंद मठ के "वंदेमातरम", श्याम लाल पार्षद के "विजयी विश्व तिरंगा प्यारा", डा. मोहम्मद इकबाल के" सारे जहां से अच्छा हिंदोस्ता हमारा",रामप्रसाद बिस्मिल के "सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है",सुभद्रा कुमारी चौहान के "खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी "जइसन कालजयी रचना हा भारतवासी मन मा जिहां आजादी बर प्रेरणा दिस ता देश खातिर अपन जान के बाजी घलो लगा दिस. भारतेंदु हरिश्चंद्र हा" भारत दुर्दशा "लिखके जनता मन मा जागृति फैलाइस. हमर छत्तीसगढ मा घलो बुधियार साहित्यकार मन हा अपन फर्ज ला सुग्घर ढंग ले निभाइन. पं सुंदर लाल शर्मा,  गिरवर दास वैष्णव,कुंज बिहारी चौबे, खूबचंद बघेल, हरि ठाकुर, केयूर भूषण,कोदू राम दलित, द्वारिका प्रसाद तिवारी विप्र अउ आने  बुधियार साहित्यकार मन अपन कलम के माध्यम ले जिहां जन जागरण फैलाइस ता खुद आंदोलन के अगुवाई  घलो करिन. ता आवव‌ हमन हमर छत्तीसगढ के साहित्यकार मन के आजादी मा कइसन योगदान हे वोकर चर्चा करथन.


पं. सुंदर लाल शर्मा - छत्तीसगढ़ के गांधी नांव ले प्रसिद्ध पं. सुंदर लाल शर्मा हा हमर छत्तीसगढ मा सामाजिक अउ राजनीतिक आंदोलन के अगुवा माने जाथे. वोहा बड़का साहित्यकार के संगे संग स्वतंत्रता सेनानी रिहिस.प्रयागराज राजिम के तीर चमसूर गांव मा सन 1881 मा अवतरे शर्मा जी हा दानलीला प्रबंध काव्य लिख के प्रसिद्धि पाइस ता आजादी के आंदोलन मा घलो बढ़- चढ़ के भाग लिन. अनुसूचित जाति मन के उद्धार खातिर अब्बड़ योगदान दिस ता वोमन ला राजीव लोचन मंदिर मा प्रवेश कराके एक बड़का कारज करिस. येकर बर खुद वोकर समाज ले नंगत ताना सुने ला पड़िस.  पर वोहा हार नइ मानिस. ये कारज ला तो वोहा सन 1917 ले चालू कर दे रिहिन तभे तो जब महात्मा गांधी के छत्तीसगढ़ आना होइस ता ये काम बर वोला अपन गुरु कहिके  अब्बड़ सम्मान दिस.


शर्मा जी हा अपन राजनीतिक जीवन के शुरूआत सन 1905 ले करिन. 1906 मा वोहा सामाजिक सुधार अउ जनता मा राजनीतिक जागृति फैलाय खातिर "संमित्र मंडल" के स्थापना करिन.1907 के सूरत कांग्रेस अधिवेशन मा शर्मा जी हा भाग लिस. इहां उपद्रव के बेरा लोकमान्य बालगंगाधर तिलक ला मंच मा चढ़ाय मा जउन लोगन मन के भूमिका रिहिन वोमा नवजवान शर्मा घलो अगुवा रिहिन. ये अधिवेशन मा कांग्रेस हा गरम अउ नरम दल मा बंटगे. कांग्रेस अउ देश मा मा नवा तेवर के नेता लोकमान्य बालगंगाधर तिलक,लाला लाजपतराय अउ विपिन चन्द्र पाल हा अब्बड़ लोकप्रिय नेता के रूप मा उभरिन.


रायपुर मा सतनामी आश्रम खोलिस.वोहा सतनामी भजनावली ग्रंथ के रचना करिन. शर्मा जी हा लाल-बाल-पाल युग मा सन 1910 मा राजिम मा पहली स्वदेशी दुकान लगाय के कारज करिन.  शर्मा जी हा सन 1918 मा भगवान राजीव लोचन मंदिर राजिम मा कहार मन के प्रवेश के आंदोलन चलाइस.


सन 1920 मा असहयोग आंदोलन के बेरा मा हमर छत्तीसगढ मा कंडेल सत्याग्रह चलिस. येकर अगुवाई शर्मा जी, नारायण लाल मेघावाले अउ छोटे लाल श्रीवास्तव हा करिन.  किसान मन नहर जल कर ले नंगत परेसान रिहिस. शर्मा जी के अब्बड़ प्रयास ले 20 दिसंबर 1920 मा गांधीजी के रायपुर,धमतरी अउ कुरूद आना होइस. गांधीजी के पहली बार छत्तीसगढ़ आय ले इहां के जनता मा अब्बड़ उछाह छमागे. अइसन बेरा मा अंग्रेजी शासन ला झुके ला पड़िस अउ किसान मन के नहर जल कर हा माफ कर दे गिस.

21 जनवरी 1922 मा सिहावा नगरी मा जंगल सत्याग्रह होइस. लकड़ी काट के ये सत्याग्रह के शुरूआत करे गिस.येकर मौखिक सूचना वन विभाग के स्थानीय अधिकारी मन ला दे गिस.

येकर अगुवाई शर्मा जी अउ नारायण लाल मेघावाले करिन. इंहा वन विभाग के अधिकारी मन आदिवासी जनता ला कम मजदूरी देवय.संगे संग आने प्रकार ले शोषण क‌रय. आंदोलन के जोर पकड़े ले आदिवासी मन के मांग मान ले गिस. इही बेरा मा शर्मा जी ला अंग्रेज शासन हा गिरफ्तार कर लिस. वोला एक बछर अउ मेघावाले ला आठ माह के सजा सुनाय गिस.  ये बेरा मा 1922 मा जेल पत्रिका ( श्रीकृष्ण जन्म स्थान) रचना लिखिस.


शर्मा जी हा " भारत में अंग्रेजी राज" रचना लिखे रिहिन तेला अंग्रेज सरकार हा प्रतिबंधित कर दिस.

23 नवंबर 1925 मा शर्मा जी के अगुवाई मा अछूतोद्धार खातिर अस्पृश्य लोगन के एक बड़का समूह हा  राजीव लोचन मंदिर मा प्रवेश करके पूजा- पाठ करिन. अनुसूचित जाति मन ला जनेऊ धारन करवाइस. 

 23 से 28 नवंबर 1933 के बीच गांधीजी के दूसरइया बार छत्तीसगढ़ मा आना होइस. ये बेरा मा गांधी जी हा अछूतोद्धार कारज के अवलोकन करिन अउ अब्बड़ प्रशंसा करिन.28 दिसंबर 1940 मा शर्मा जी के निधन होइस. ता ये प्रकार ले हम देखथन कि शर्मा जी के सोर साहित्य के संगे संग आजादी के सेनानी के रूप मा बगरिस.वोहा संवेदनशील रचनाकार के संगे संग मंजे हुए राजनीतिज्ञ रीहिन. शर्मा जी हा छत्तीसगढ़ राज्य के प्रथम संकल्पना करिन 


कुंजबिहारी चौबे - संस्कारधानी राजनांदगांव मा 15 जुलाई 1916 मा जनम होइस.सिरिफ 16 साल के उमर ले वोहा हिंदी अउ छत्तीसगढ़ी मा रचना लिखे के चालू करिस.वोकर कविता मा आक्रोश, क्रांतिकारी विचार, निर्भीकता, स्वाभिमान अउ विद्रोह के भाव राहय. वोकर पहिचान विद्रोही कवि के रूप मा होइस. वोहा कर्म ले क्रांतिकारी अउ मन ले कवि रीहिन.स्वतंत्रता आंदोलन मा छत्तीसगढ़ के क्रांतिकारी कवि के रूप मा नांव ले जाथे.विद्रोही कवि के रुप मा पहचान बनइया चौबे जी के प्रमुख कविता मा " बियासी के नागर","मैं पापों का शुचि गान किया करता हूं "शामिल हावय. छात्र जीवन मा अपन स्कूल मा अंग्रेज मन के झंडा ला निकाल दिस तेकर सेति वोला बेत ले मारे गिस तभो ले ये वीर बालक हा भारत माता की जय अउ महात्मा गांधी की जय बोलत रिहिन. वोकर ये रचना ले अब्बड़ प्रसिद्ध कमाइस - "अंग्रेज तंय हा हमला बनायेस कंगला, लूट - लूट के तंय हा टेकायेस बंगला".वोकर 100 कविता के संग्रह" अवशेष " नांव ले प्रकाशित होइस. छत्तीसगढ़ी मा कम रचना उपलब्ध होय के कारण साहित्यकार पं. दानेश्वर शर्मा जी हा येला छत्तीसगढ़ के चंद्रधर शर्मा गुलेरी किहिस. सन 1943 मा कम उमर मा ये विद्रोही कवि के देहावसान होगे. 


द्वारिका प्रसाद तिवारी विप्र - विप्र जी के जनम 6 जुलाई 1908 मा बिलासपुर मा  अउ 2 जनवरी 1982 मा निधन होइस. 


कृति - सुराज गीत,  गांधी गीत , धमनी के हाट , कुछु कांही,डबकत गीत,राम अउ केंवट संवाद. विप्र जी के रचना के संकलन नंद किशोर तिवारी जी के संपादन मा लोकाक्षर पत्रिका के द्वारा प्रकाशित कराय गे हावय. 


गिरिवर दास वैष्णव - वैष्णव जी के जनम सन 1897 मा बलौदा बाजार के गांव मांचाभाठा देंदुआ मा होइस.


कृति- छत्तीसगढ़ सुराज गीत


कोदू राम दलित - जन कवि कोदू राम दलित  कुंडलियां लेखन खातिर अब्बड़ प्रसिद्ध हे. वोहा छत्तीसगढ़ के गिरधर कवि राय के नांव ले प्रसिद्ध हावय.दलित जी के जनम 5 मार्च1910 मा  बालोद जिला के अर्जुन्दा ले लगे गांव टिकरी मा होय रीहिस. दुर्ग मा शिक्षकीय कार्य के दायित्व निभावत साहित्य सेवा करिन.दलित जी के रचना मा अंग्रेजी शासन के खिलाफ प्रतिकार देखे ला मिलथे या दूसर कोति  गांधीवादी विचारधारा ले ओत प्रोत रचना के सृजन करे हावय. दलित जी के रचना मा सियानी गोठ ,हमर देश, कृष्ण जन्म, बहुजन हिताय बहुजन सुखाय ,छन्नर- छन्नर पैरी बाजय, कनवा समधी,अलहन,दू मितान प्रमुख हे.  दलित जी के देहावसान 28 सितंबर 1967 मा होइस. दलित जी के पुत्र आदरणीय अरुण कुमार निगम जी छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ साहित्यकार हे. छंद के छ नांव ले नि: शुल्क आनलाइन क्लास चलाथे. संगे संग छत्तीसगढ़ी पद्य खजाना अउ छत्तीसगढ़ी गद्य खजाना नांव ले ब्लाग चलात हे . 






            सरलग...


                    ओमप्रकाश साहू अंकुर

                    सुरगी राजनांदगांव

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