Sunday 12 February 2023

छत्तीसगढ़ी कहानी-करगा

 छत्तीसगढ़ी कहानी-करगा 

                                                                    

                                          चन्द्रहास साहू

                                  मो - 8120578897

आज बिहनिया ले बादर गरजत हे, बिजली कड़कत हाबे। कोनो हा उछाह मगन होथे तब कोनो गरीब ला संसो धर लेथे। करिया-करिया बादर आमा-अमली कोती ले आइस अउ गौटिया घर के छानी ऊपर टँगा गे अब। ...अउ बरसे लागिस सोनिया बरोबर।

"तेहां जइसन चाहबे वइसने करहुँ फेर तलाक झन दे। तोर बिना मोर जग अँधियार हो जाही।''

गोसाइया अब्बड़ समझावत हे। फेर गोसाइन तो गाँव-गोहार पार डारिस।

"इस बैल के साथ एक पल भी नही रह सकती मैं। आई कैन नॉट लिव विथ दिस बुल। आई वांट डाइवोर्स अदरवाइस आई विल गो कोर्ट एंड पुलिस स्टेशन।''

भूरी डोमी कस फुफकारत हाबे आज वोहा। लहू के संचार बाढ़गे। धड़कन बाढ़गे। आँखी लाल होगे। गुस्सा मा हफरत हे अउ गोड़ कांपत हाबे सोनिया के। 

"लिसन, ससुरजी ! तुम लोगो का नाम लिख के मर जाऊँगी। रियली, आई विल डाई।''

ससुर जी भलुक अंगरेजी के आखर ला नइ समझिस फेर भाव ला तो जान डारिस। महाबिपत अवइया हाबे। मुड़ी ला गढ़िया के ठाड़े हाबे। .....अउ गोसाइया दिनेश ? का कर डारही बपरा हा। 

"जौन साध हे तोर जम्मो ला पूरा करहुँ। गाँव छोड़ के शहर मा रहे के साध हाबे ते वहुँ ला पूरा करहुँ। ददा-दाई संग तारी नइ पटत हाबे ते चल दुनिया के कोनो शहर मा। जी लेबो लड़-झगड़ के फेर तलाक झन माँग। ये अतराब मा अब्बड़ नाव हाबे मोर ददा के वोकर नाव ला मइलाहा झन कर ...।''

रो डारिस दिनेश हा फेर बहुरिया सोनिया ? भकरस ले भीतिया के कपाट बाजिस अउ तारा-बेड़ी लग गे।। अंगरेजी मा अब्बड़ बड़बड़ावत हाबे। रोये चिचियाये बरतन-भाड़ा पटके के आरो आवत हाबे अब। 

                   बिहनिया के पानी अउ पहाती के झगरा जम्मो एक होगे। भीतिया के झगरा परछी मा आगे अब। परछी ले दुवारी, ....अउ दुवारी ले खोर मा अमरगे। अउ खोर मा अमरगे तब का बाचीस ? इज्जत तो गवां डारे हाबे अब, गौटिया के लिंगोटी उतारत हे-गाँव वाला मन।      

                 एक मइनखे के दस मुँहू होगे। हड़िया के मुँहू ला तोप डारबे फेर मइनखे के मुँहू ला कइसे तोपबे। गॉंव भर सोर होगे। खैरागड़िया गौटिया के बहुरिया-बेटा दुनो झन मा अब्बड़ झगरा माते हाबे। आज उघरा होवत हाबे उकरो ओन्हा हा। खाल्हे पारा के  गरीब के गोठ तो अचरी-पचरी, कुआँ-बावली, खेत-खार नरवा-नदिया मा लसुन मिरचा लगा के, भूंज बघार के गोठियाथे गाँव वाला मन। 

"कतको चद्दर ओढ़ ले गौटिया खजरी तो खजवाबे करही..?"'

"सिरतोन खजरी धरे हाबे गौटिया के बहुरिया ला। देवता बरोबर गोसाइया के मान नइ राखिस।''

"नांदिया बइला बरोबर समहरे रहिथे। न गोड़ के पनही हीटे न मुँहू के मुहुरंगी मेटाये।''

"रूपसुन्दरी हाबे ओ ! हिरवइन बरोबर। फेर चाल मा कीरा परगे हाबे वोकर।  दिखे बर श्यामसुंदर अउ पादे बर ढ़मक्का।''

"शहर के टूरी अउ उधार मा चूरी कभु नइ मांगना चाही। दुनो के रंग झटकुन उतर जाथे। गौटिया के बहुरिया के रंग घला उतरत हाबे।''

आनी-बानी के गोठ गोठियाये लागिस गाँव वाला मन। आधा बस्ती सकेलागे हाबे आज गौटिया घर के गम्मत देखे बर।

                गाँव भर के सुख-दुख मा पंदोली देवइया खैरागड़िया गौटिया काखरो तीन-पाँच मा नइ राहय। एकलौती बहुरिया ला अउ जादा दुलार देथे फेर बहुलक्ष्मी के रक्सा कस बरन ला देख के मूड़ धर लेहे गौटिया हा। अब्बड़ आगी उलगत हाबे बहुरिया सोनिया हा। दहेज प्रताड़ना टोनही प्रताड़ना घरेलू हिंसा आनी-बानी के धारा के डर देखाथे बहुरिया हा। का करही ?  कोन समझाही वोला ? गौटिया-गौटनिन के जी पोट-पोट करत हे। कभु कोट-कछेरी गेये नइ हाबे। काकरो लन्दर-फंदर मा नइ राहय तभो ले ये अलहन ले कइसे बाँचव भोलेनाथ ! गौटिया मुड़ धर लेथे। 

"बहुरिया ला कुरिया ले बाहिर कोती निकालो भई ! कोनो अनित कर डारही ते फांसी हो जाही हमर ?'' 

अब्बड़ झन उदिम कर डारिन सोनिया ला कुरिया ले निकाले बर। कपाट के गुजर ला उसाल डारिस गोसाइया दिनेश हा फेर सोनिया नइ निकलिस। संसो अउ बाढ़गे कोनो अहित कर डारही तब। 

"सिधवा ला जम्मो कोई डरवाथे गौटिया। अइसन पदनी-पाद पदोइया बहुरिया ला झन डर्रा। मोरो चुन्दी हा घाम मा नइ पाके हाबे भलुक अनभव के विद्या ला झोंक के पाके हावय। चेहरा मा झुर्री आय हे तौन सीख अउ परीक्षा के चिन्हारी आवय। जिनगी के पहार ला पैलगी करत कनिहा नवे हाबे अइसन टूरी बर पुरव अउ बाँचव।''

उदुप ले बईगिन डोकरी आइस अउ किहिस। वहुँ तो सुन डारे रिहिन नवा बहुरिया के चरित्तर ला। भलुक कोनो मंतर नइ जाने फेर ये घर के बिपत टरइया आवय-बईगिन डोकरी हा। गौटिया के चेहरा मा संसो के डांड़ कमतियाइस  बईगिन डोकरी ला देख के। 

"ये पहार कस बिपत ला टार दे बईगिन काकी ! मोर सिधवा लइका दिनेश के घर टुटे ले बचा दे। तलाक लुहु कहिथे बहुरिया हा। हमन ला पुलिस कछेरी......।''

"हांव सुन डारेंव गौटिया ! संसो झन कर।''

गौटिया के बात ला अधरे ले कांट दिस बईगिन डोकरी हा।

"हेर बेटी ! कपाट ला।''

कोनो आरो नइ आवय अउ आथे तब जइसे जम्मो कोई के करेजा काँप जाथे। 

"डोन्ट डिस्टर्ब मी। मुझे ज्यादा परेशान मत करो। मर जाऊँगी मै। रियली,  आई विल डाई।''

सोनिया के आरो आय। बरतन पटकत हाबे कूदत हाबे बही बरोबर,चिचियावत हाबे, बाय-बैरासु धर लेहे तइसे। जम्मो कोई बरजिस अब। 

.......अउ अब्बड़ आरो कर डारिस जम्मो कोई  खिसियावत-दुलार करत फेर कपाट नइ उघरिस।

"का करंव ?'' 

बईगिन डोकरी हक्क खा गे। कुछु गुनिस अउ पेरा परसार कोती चल दिस। ..... अउ आइस तब नानकुन झिल्ली मा कुछु धरे हाबे। 

"अब्बड़ मरे के साध हाबे न। तब, ले मर।''

झिल्ली मा कॉकरोच अउ छिपकली रिहिस, कपाट के पोंडा कोती ले ढ़ीलत किहिस। 

"अब सोज्झ मा निकलही अउ टेड़गा मा निकलही। गाँव के कमेलिन मन गउँहा-डोमी संग बुता कर लेथे फेर शहरनिन मन तो कॉकरोच अउ छिपकली ला देख के ठाड़ कुदथे। अब देख तमासा अंगरेजी मीडियम वाली टूरी के।''

डोकरी फुसफुसाइस। अब सिरतोन रोये के,चिचियाये के आरो आवत हाबे।

"प्लीज सेव मी ! बचाओ ! कॉकरोच और छिपकली कांट देंगे मुझे, मर जाऊँगी ...। प्लीज सेव मी, प्लीज सेव ।'' 

कपाट हीट गे अब। अउ बईगिन दाई ला पोटार लिस। डर मा लद-लद काँपत हाबे सोनिया हा। चेहरा लाल होगे हे-लाल बंगाला कस। 

"नानचुन कीरा-मकोरा ला डर्राथस बेटी ! कुछु नइ करे। काबर रिसाये हस ओ बता। का जिनिस के कमती होगे  हे तोला ? मेंहा तोर बर लड़हूं ये गौटिया-गौटनिन अउ तोर गोसाइया दिनेश ले। जम्मो कोई बर पुर जाहू मेंहा।''

बईगिन डोकरी दुलारत किहिस अउ पोटार लिस। ऑंसू ला पोछत पीठ मा थपकी देवत चुप कराइस सोनिया ला।..... अउ सिरतोन सोनिया ला अइसे लागथे हितु-पिरितु कोनो हाबे ते-इही दाई बईगिन डोकरी हा। सुख दुख के संगवारी। जम्मो कोई के चरित्तर ला देख डारिस। नाव बड़े दरसन छोटे गौटिया-गौटनिन अउ बइला बरोबर भोकवा गोसाइया दिनेश के।

"नाक उच्चा करके बड़का खानदान ले बहुरिया लाने हस तब वोकरो धियान राख। बहु चलाये के ताकत नइ रिहिस तब अइसन बड़का घर ले नत्ता काबर जोरेस गौटिया ! कोनो मरही-पोटरी ला ले आनतेस। ताहन रातदिन गोबर बिनवावत रहिते। बिजनेसमैन के बेटी संग नत्ता जोरे हस। वोकरो तो मान राख।.....अब तो ये बहुरिया इहाँ एक पल नइ राहय। तोला कोट-कछेरी रेंगाही तब चेतबे।''

गौटिया-गौटनिन ला ठोसरा मारत किहिस बईगिन डोकरी हा।

बड़का अटैची ला तनतीन-तनतीन कुरिया ले निकालिस बईगिन डोकरी हा। सोनिया जम्मो जोरा-जारी आगू ले कर डारे रिहिन।

"चल जाबो तोर मइके अउ थाना-कछेरी। दहेज प्रताड़ना के केस करबो। तब चेथी के अक्कल आगू कोती आही। .....मालपुआ खाके अब्बड़ मोटा गे हाबे, थोड़को सोंटाही।''

गौटिया-गौटनिन तो सुकुरदुम होगे बईगिन के गोठ सुनके। 

"ये का अइन्ते-तइन्ते गोठियावत हस काकी ?''

गौटिया गरजिस फेर बईगिन आवय जम्मो के बीख ला उतारत-उतारत अब्बड़ बीखहर होगे हाबे। 

"मोला छोड़ के झन जा सोनिया ! बईगिन दाई  मोर घर ला टुटे ले बचा दाई !'' 

गौटिया के एकलौता बेटा दिनेश रोवत हाबे।

"चुप रोनहा नही तो....! तोरे सेती मोर फुलकस बेटी के ये दुरगति होये हाबे।''

बईगिन बिन पेंदी के लोटा निकलगे। गौटिया के बहुरिया ला मनाये-बुझाये बर बलाये हाबे अउ भभकावत हे सोनिया ला। ससन भर देखिस जम्मो कोई ला। सोनिया संग बईगिन डोकरी  घर ले बाहिर निकलगे अउ ऑटो मा बइठ के रायपुर रोड कोती जावत हाबे अब।

                   सोनिया रायपुर के बिजनेसमैन के बेटी आवय। इंजीनियरिंग के पढ़ाई करे हाबे अउ दिनेश ? गाँव के खेती करइया। भलुक बी ए करे हाबे फेर नौकरी नइ मिलिस। खेत-खार कमा लेथे-मेड़ मा बइठ के।

सोनिया अब्बड़ मना करिस बिहाव नइ करो कहिके फेर चीज के लालच कोन ला नइ राहय। "गौटिया के एकलौता बेटा के गोसाइन बनबे बेटी ! राज करबे। धन्धा-पानी चल गे ते मालामाल अउ नइ चलिस तब बंठाधार। पचासों एकड़ अचल संपत्ति के मालकिन हो जाबे। कभु लाँघन नइ मरस। गौटिया-गौटनिन कतक दिन जीही पाँच बच्छर कि दस बच्छर। गौटिया घला अंगरेजी मीडियम वाली शिक्षित सुशील बहुरिया खोजत हाबे। अब्बड़ दुलार करही जम्मो कोई।''

अइसना तो कहे रिहिन सोनिया के ललचाहा ददा हा। ....अउ सोनिया अब्बड़ मना करिस फेर ददा के गोठ ला कहाँ टार सकही ? बिहाव होगे धूमधाम ले। निभत हाबे अब । फेर संगी-संगवारी आइस छे महिना पाछु अउ कहे लागिस ओरी-पारी।

"सोनिया ! तुम्हारा पति तो  बैल है और उनके साथ खूंटे से बंधे हुये तुम गाय बन गई हो।''

"गजब की जोड़ी है दोनों की।''

"न बात करने का सऊर है दिनेश को, न रहन सहन का।''

"तुम तो कॉलेज की क्वीन थी। हाई सोसायटी हाई स्टेटस। ....और अब गोबर में सड़ रही हो।'' 

तलाक ले लो सोनिया ! अभी भी वक्त है। अभी बच्चा भी नही है। कही बाद में न पछताना पड़े।''

"दिलीप और अक्षय तो आज भी तेरा इंतजार कर रहें है। तुम्हारे पास दो दो ऑप्शन है।''

"क्या हुआ दोनों अभी बेरोजगार है तो, वेल एडुकेटेड है।''  

संगी-सहेली मन आय रिहिन तब अइसने तो कहि के खिल्ली उड़ाये रिहिन सोनिया के। ...अउ कोनो खिल्ली उड़ाथे तब, आगी लग जाथे तन-बदन मा। आज तो वोकरे संगी-संगवारी मन गाय कहि दे रिहिन। सोनिया तो बेरा खोजत हाबे  तलाक लेये बर। ....अउ आज दिनेश खेत कमाये बर गेये हाबे-रोपा लगाये के दिन ये।

"मंझनिया के जेवन अमराये बर चल देये कर बेटी ! अब मोरो जांगर नइ चले। नौकर मन घला आये-जाए मा अब्बड़ बिलमा डारथे। लइका दिनेश हा बेरा मा खाही तब सुघ्घर होही ओ !''

सास किहिस फेर सोनिया तो चर्रस-चर्रस झंझेट दिस।

"मैं नही जाऊँगी। किसी का खाने-पीने का ठेका नही ली हूँ। जिसको भूख लगे तो समय पर आकर खाये।''

सोनिया सोज्झे सुना दिस अगियावत। गौटिया के मुँहू सिलागे बहुरिया के गोठ ला सुनके। अपंगहा गोड़ मा रेंगत गिस खाना अमराये बर गौटिया हा अउ सबरदिन बर खोरवा होगे। बस, एकरे सेती चार गोठ सुना दिस दिनेश हा अउ इही झगरा आवय। तलाक तक गोठ अमरगे। बेरा बखत मा दुलारत समझाइस गौटिया-गौटनिन बईगिन डोकरी हा फेर सोनिया के छाती मा वोकर संगी-संगवारी के गोठ लटक गे हाबे। -"बइला संग बिहाव करके अपन जिनगी ला बरबाद कर देस सोनिया ! अभिन घला कतको झन तोर अगोरा करत हाबे। तलाक लेके रायपुर लहुट जा। गोबर संग गोबर कीरा झन बन।'' 

जम्मो ला सुरता करत करू मुचकावत हाबे सोनिया हा। अपन जीत दिखत हे अब। गाँव के खाल्हे पारा छुटही अउ रायपुर रोड अमर जाही ताहन एक्सप्रेस बस मा बइठ के उड़ा जाहूँ। चेहरा के गुलाबी बाढ़गे सोनिया के। 

"रहा ले, ऑटो वाले बाबू ! हमर घर कोती चल।

बईगिन डोकरी किहिस अउ वोकर मोहाटी मा ठाड़े होगे ऑटो हा।

"रायपुर जाहू दाई !''

"हांव बेटी ! चार पहार रात ला कांट ले ताहन चल देबे।''

सोनिया बईगिन डोकरी घर चल दिस अब।

                         सुरुज नरायेन आज झटकुन अपन घर चल दिस फेर कमेलिन मन बिलम के  घर लहुटत हाबे। अँधियार होगे। चिखला-माटी मा सनाये बड़की बहुरिया सुशीला मुचकावत आइस अउ बईगिन डोकरी ला बताये लागिस।

"दाई ! आज रोपा लगाई बुता हा लघियात झर जातिस ओ। फेर भइसासुर वाला खेत मा नाग-नागिन के जोड़ी  अब्बड़ पदोइस।''

"बने पूजा पाठ नइ करे रेहेव का ओ ! भिम्भोरा मा ?''

"गोलू के पापा हा करे रिहिन दाई ! फेर का करबे ? थरहोटी अउ नानकुन टेपरी मा रोपा लगावत अब्बड़ बिलम गे जम्मो कोई। गोलू के पापा हा छुट्टी लेके बुता मा पंदोली दिस तब होइस झटकुन। नही ते रबक जातेंन। काली इतवारी मनाही।''

बईगिन डोकरी के बहुरिया सुशीला किहिस अउ गोड़धोनी कोती चल दिस। 


"गोलू के पापा मिनेश कुमार तो चार दिनिया आवय बेटी ! सबरदिन के किसानी बुता ला बहुरिया सुशीला करथे ओ। रोपा घरी अउ मिंजाई के घरी मा आके वोला पंदोली दे देथे मिनेश हा।''

सोनिया ला बतावत हाबे बईगिन डोकरी हा।

          "भलुक कमती पढ़े हाबे फेर अब्बड़ गढ़े हावय ओ मोर बेटी कस बहुरिया सुशीला हा ! गोठ-बात हिसाब-किताब आदत-बेवहार जम्मो मा अब्बड़ सुघ्घर हाबे सुशीला हा। महिला समूह के अध्यक्ष हाबे अभिन। अवइया बेरा मा सरपंच बनाबो कहिके गाँव वाला मन रुंगरुंगाये हाबे। कलेक्टर के मीटिंग मा जाके हिन्दी अंगरेजी मा गोठिया लेथे अउ गाँव के बइठक मा हमर मयारू भाखा छत्तीसगढ़ी मा। अब सुशीला हा चौथी पढ़े हाबे, कोनो नइ पतियाये। जम्मो ला सीखोये हाबे मोर बेटा मिनेश हा।''

सोनिया हुंकारु देवत हे। ससन भर देखथे अब बहुरिया सुशीला ला। सुघ्घर दिखत हाबे। भलुक दिनभर बुता करे हाबे तभो ले नइ कुमलाये हाबे सुशीला के चेहरा हा। सुशीला जेवन के तियारी करत हाबे रंधनी कुरिया मा। अब मिनेश घला घर अमरगे चिखला-माटी मा सनाके। 

"बेटी जात हा धान के थरहा आवय ओ। माइके ले तियार होके ससराल मा गड़िया देथे। बने मया पाके फरथे फुलथे अउ अपन वंश ला बढ़ाथे धान के पौधा बरोबर। बाली के पूजा होथे अउ करगा बोदरा ला फेंक देथे। ममहावत धान के बाली बन सोनिया ।  करगा बोदरा बनबे तब कोनो नइ भावय। आज फोन करके देख ले दिलीप अउ अक्षय ला घला। तोर अगोरा नइ करे भलुक तोला जूठा कहि दिही। जतका मया तोला दिनेश करथे वोतका दुनिया के कोनो मइनखे नइ करे। तोर उछाह बर टेक्टर ला बेच दिस अउ फोरव्हीलर बिसाइस। दाई के गहना-जेवर ला बेच के तोला सोना मा बूड़ो दिस-तोर उछाह बर। टुटहा पनही ला पहिर लेथे फेर तोर बर दर्जन भर ले आगर सेंडिल बिसाये बर नइ बरजिस। रिकम-रिकम के लुगरा लिस- तोर उछाह बर। दवई  के पइसा ले तोर बर सेंट बिसाइस। लाँघन रिहिस तभो तोर बर इज्ज़ा-पिज्जा बिसाइस। देवता भलुक नो हरे फेर सुघ्घर इंसान आवय बेटी। ..अउ ये दुनिया मा  सब मिलथे फेर इंसान नइ मिले। दिनेश हा तोर उछाह बर सब करही ओ ! फेर ओकरो उछाह बर  एककन संसो कर। गोठ-बात,रहन-सहन तौर-तरीका अचार-विचार जम्मो ला सीख जाही मोर सुशीला बरोबर। बेटी ! तलाक झन ले ओ।''

सोनिया रोवत हाबे सिरतोन कभु करू जबान नइ देये हाबे दिनेश अउ वोकर दाई ददा मन, गुनत हाबे। 

"चलो दाई ! जेवन करबो। गोलू के पापा ला आरो कर।''

"गोलू के पापा आ गा ! मिनेश आ बेटा।''

बईगिन डोकरी आरो करिस। ... अउ आइस तब तो सोनिया सुकुरदुम होगे। इंजीनियरिंग कॉलेज के इलेक्ट्रॉनिक्स एन्ड टेलीकॉम्युनिकेशन डिपार्टमेंट के एचओडी आवय डॉ मिनेश कुमार। सोनिया तो वोकरे मार्गदर्शन में अपन रिसर्च वर्क ला पूरा करे हाबे।

"गोसाइन-गोसाइया हा गाड़ा के चक्का घला आवय सोनिया। अउ दिनेश हा सुघ्घर लइका आवय। मेंहा जानथो। मोर गोसाइन चौथी पढ़े हाबे। फेर मोला गरब हाबे मोर घर परिवार खेत-खार जम्मो ला सम्हाल डारिस। अउ कुछु कमती हाबे दिनेश मा तब तेहां सीखो। सीख जाही जइसे मोर मयारुक सुशीला सीख गे।''

मिनेश किहिस गरब करत अउ जम्मो कोई फुटू साग संग जेवन करे लागिस अब । सोनिया के अंतस मा जागे करगा मरगे अब। अउ ममहावत दुबराज धान के बाली कस दिनेश के मया ममहाये लागिस। आँखी के आगू मा दिनेश के सुघराई दिखत हाबे अब।........... अब बिहनिया के अगोरा करत हाबे। 

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चन्द्रहास साहू द्वारा श्री राजेश चौरसिया

आमातालाब रोड श्रध्दानगर धमतरी

जिला-धमतरी,छत्तीसगढ़

पिन 493773

मो. क्र. 8120578897

Email ID csahu812@gmail.com

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समीक्षा


 पोखनलाल जायसवाल: 

आज अउ तइहा के गोठ करन त पाथन कि आज के पीढ़ी घर बसई ल घरघुँदिया सहीं समझे धर ले हें। थोरको नवा बात होइस नहीं कि उजारे के सोच लेथे। अलगे अलगे जिनगी जिए के सोचथें। सबले बड़े आजादी चाहथे। अइसन आजादी जिहाँ कोनो रोक टोक झन रहय। मन भर उड़ान भर सकय। फेर उड़ान भरे च ले नइ होय। उड़ान भरे के पहिली मंजिल के तो ठिकाना होना च चाही। सिरिफ कल्पना के पाँख लगाय ले बूता नइ बनय। थके पाछू पाँव मढ़ाय बर धरती तो होना च चाही। आज के नवा पीढ़ी थोरको बने का पढ़ लेथे, सियान मन ल घेपबे नइ करय। पिटिर पिटिर अँग्रेजी के चाबुक चला धर लेथे। संगी जहुँरिया के बहकावा म होश खो डारथे। 

       जोश म होश खो के नवा पीढ़ी अपन पाँव कइसे कुल्हाड़ी(टँगिया) मारथे। का का मनगढंत परपंच (प्रपंच) नइ रच डारथे। एकर परछो करगा कहानी म मिलथे। फेर अनभो के कोनो विकल्प नइ होवय यहू ए कहानी म देखे ल मिलिस जब बइगिन दाई ह अपन सूझबूझ ले गौटिया घर आय घर टूटे के बिपत ल टार देथे। सिरतोन आय कि गाँव के बइगा-बइगिन गाँव के सियान होथे अउ अपन सियानी ले गाँव म आय/अवइया अल्हन चाहे कोनो किसम के रहय ओकर ले बँचाय के हर उदिम करथे। पूरा गाँव उँकर बर एक परिवार होथे। बइगिन दाई सोनिया के मन ल पढ़ डारथे। गौटिया गौटनिन के घर आय ए अल्हन के उपाय सोच लेथे- तभे तो ओ कहिथे-" .... अइसन टूरी बर पूरवँ अउ बाँचवँ।"

       सोनिया के हिरदे जीत अउ विश्वास पाके ओ रस्ता म ले आनथे, जिहाँ जिनगी के गाड़ा के चक्का के मरम समाझावत सोनिया ल असल जिनगी का अउ कइसन होथे? दिखावत समझा डारथे। बइगिन दाई के ए गोठ सोनिया के हजाय बुध ल जिनगी के पटरी म ले आथे "बेटी जात ह धान के थरहा आवय ओ! मइके ले तियार होके ससराल म गड़िया देथे, बने मया पाके फरथे फूलथे अउ अपन वंश ल बढ़ाथे धान के पौधा बरोबर। बाली के पूजा होथे अउ करगा बोदरा ल फेंक देथे।  ममहावत धान के बाली बन सोनिया! करगा बोदरा बनबे त कोनो नइ भावय। ....तोला जूठा कहि दिही।"

        कहानी के भाषा शैली अउ संवाद पात्र मन के मुताबिक बढ़िया गढ़े गे हे। अँग्रेजी शब्द के प्रयोग सुग्घर ढंग ले होय हे। मुहावरा/कहावत मन के सटीक प्रयोग कहानी के सुघरई ल बढ़ावत हे। 

        "..ए अतराब म अब्बड़ नाँव हाबे मोर ददा के, ओकर नाँव ल मइलाहा झन कर..." ए वाक्य म मोला मइलाहा शब्द जादा सही नइ लागत हे।

        शहरी जीवन शैली अउ गँवइहा जिनगी के बीच बने भिथिया ल ढहाय के बढ़िया उदिम करे गेहे कहानी म।

        जोश के भुइँया म जागे पढ़े लिखे होय के अभिमान के करगा ह अनभो के सफाचट नाशक के आगू मर जथे अउ हिरदे के खेत म मया के फुलवारी ममहाय लगथे। कहानी के शीर्षक ल  सार्थक करत हे।

        सोनिया अउ बइगिन के चरित्र ल जउन ढंग ले गढ़े गे हे, ए कहानीकार के परिपक्वता के उदाहरण ए। नवा-जुन्ना पीढ़ी के बीच जउन पीढ़ी गेप हे, ओकर मनोविज्ञान ल समझे म ए कहानी मिशाल बनही। नवा जुन्ना दूनो पीढ़ी म सुग्घर समन्वय स्थापित करत ए कहानी छत्तीसगढ़ी साहित्य ल अइसन आयाम दिही, दिशा दिही। 

      कहानीकार भाई चंद्रहास साहू जी ल बधाई💐💐

पोखन लाल जायसवाल

पलारी (पठारीडीह)

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