Sunday 12 February 2023

काल अष्टमी के कालरात





 काल अष्टमी के कालरात


जून महिना हमर जनम जनम के आस्था बर शोक के महिना होगे । काल अष्टमी  के हवन म  हमर आस्था के हुँम देवागे।सावन लगे के पहिली भोले भंडारी शिव शंभू ल मनौती मनाय सेती उपास रहे बर सावन सम्मार के गिनती कर- कर के जम्मो परानी के मन म भक्ति गदगदात रहय, बोल बम म जाय बर कँवरिया मन के तइयारी के योजना बनत रहय, वइसने अचानक सन् अट्ठाईस जून दु हजार सोला के दिन होत बिहनिया ले सोर मिलिस के जलेश्वर महादेव (डोंगरिया) के शिव लिंग भंग होगे ! फोर डारिन पापी मन ! ए खबर ल सुनके मूड़ म पहाड़ टूटगे! तीर तखार के गाँव-बस्ती म दु:ख छा गे । अइसे लगिस के घर-घर म मरी परे अऊ लाहस निकले हे। शोक के लहरा पूरा जिला भर के सँगे-सँग जम्मों श्रद्धालु मन ल बुडो़ डारिस दुःख के समुंद म । दुःख भरे दुघटना के बरनन मुह ले कहिना मुसकुल हे, जेला हिरदेच ह समझ सकत हे ।


भगवान ह कोनो न कोनो रुप म बिपदा के चेत कराथे, हमुँ मन ल करइस । फेर हम का जानिन के अइसन घटना घटही ? प्रकृति दाई ह तो दिनेमान ले चेत करात रहिस। बादर गरु- गरु लगय, मउसम ह साँय-साँय करय। जइसे रात होइस छिन भर म अइसे अगास म  बादर बगरिस के साक्छात् कालरात लगे लगिस। साफ-साफ घोर संकट के सोर होय लगिस । बडे़-बडे़ पानी बूंद गिरय,गर्रा ह झकोरा मारत गुर्राय। बिजली चमकय  त लगय के धरती ह गाज रुप म ज्वालामुखी उलगत हे, तिड़कय त लगय के कालरात ह किलकारी मारत जीभ लमा-लमा के परलय करत हे। सियान मन कहयँ के जिनगी म प्रकृति के अइसन बिकराल रुप कभू देखे नइ  रेहेन। 


     घटना के कारन धुरी डोले लागिस, गुने ल परगे के प्रकृति के अलग अलग परलयी रुप शिव लिंग के पीरा अनुसार बदलत रहय। जब पापी मन शिव लिंग म छिनी हथौडी़ मारत रिहिस होही त भगवान शिव चिल्ला-चिल्ला के, बिलख बिलख के, तड़फत अपन पिंड रूप तन ल तियागत रहिस होही। फेर हम कोनो पापी ल एकर भनक तक नइ लग पइस। एकर  पीरा आज ले हमर हिरदे ल करोवत हे।


उही दिन उही बादर म जब घटना के सुरता ताजा होथे त तन ह सुन्न पर जथे । अपने अपन आँखी ले सरन बोहाय लगथे । होही काबर नही! जेन भुँईफोर भगवान शिव के आसन म अपन भाव ल चढा़वन , जेखर जस ले जन-जन के मन म आस्था अऊ भक्ति फरत-फूलत रहय, जेखर दरसन करके हमन तन मन ल पबरित करन, अइसन अदभूत शिव लिंग जेला तेरहवाँ ज्योतिर्लिंग के पद मिले हे ओ आज घोर पापी मन के नेग चढ़गे। काल अष्टमी के हवन म समागे।


आज घटना के चार बछर पूरा होगे। आजे के दिन सत्ताईस जून दू हजार सोला,संवत २०७३, दिन सम्मार, असाड़ कृष्न पक्ष सात, कालअष्टमी के बीच रात भगवान शिव लिंगस्वरुप ह फोक नँदिया के बीच धार म टूट के समा गे। जेखर कारन हे भस्मासुर के अंधभक्ति अऊ लालच। लिंग के फोरे ले न मनि मिलिस न भगवान परगट होइस ! होइस त हतिया हमर आस्था के  ..।


मनखे मन जतके पढ़त लिखत हे ओतके अगियान म अँधरा होत जात हे।  आज मनखे ज्ञान-विज्ञान पढ़ लिख के वो जम्मों दैवी शक्ति के ज्ञाता निर्माता हो गे जेला बेद पुरान, धारमिक पोथी म पढ़त सुनत कल्पना  करय, सब ल सिरतोन म पा गे। तभो ले मनखे अंधबिसवास अऊ लालच म मरगे। एक-दूसर के आस्था, संस्कार, अउ भावना उपर हमला होथे। मनखे -मनखे ल जोरे के काम हमर  देवी-देवता बर आस्था अऊ गुरु के अमरित बानी मन करथें। जिंहा पबरित गियान मिलथे, जेखर ले मनखे के चरित्र बनथे।  फेर आज ओही देवता ठाना घलो सुरक्षित नइ रहिगे। कोनो मुर्ति चोराथे कोनो टोर-फोर करथे, त कोनो देवता परगट करे बर अनित काम करथे। अइसन अंधबिसवास ले समाज ह टूटथे, बनय पनपय नही ।


हर- हर महादेव! शिव शंभू !

जय जालेश्वर महादेव!


देवचरण 'धुरी'

कबीरधाम छ.ग.।

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