Friday 24 February 2023

महतारी भाँखा के जतन जरूरी हे

 महतारी भाँखा के जतन जरूरी हे


                     कखरो भी मुख ले निकले कोनो शब्द तब तक भाँखा नइ कहिलाये जब तक कि वो कोनो ला समझ मा नइ आ जाय, नही ते मनखे के आलावा चिरई- चिरगुन, कुकुर- बिलई, कीट- पतंगा ----- मनके बोली घलो भाँखा कहिलातिस। कोनो भी भाँखा कइसे बनिस? कोन बनाइस? कतिक महिनत लगिस? कतिक दिन मा बनिस? येखर बारे मा तनिक सोचबों ता, कोनो भी भाँखा ला छोटे- बड़े कहिथन तेखर भ्रम दुरिहा जही, हाँ कोनो भी भाँखा के बोलइया कम जादा हो सकथे, फेर भाँखा के निर्माण के प्रक्रिया अउ काम एके हे। लइका जने के बाद महतारी जइसे लइका के पालन-पोषण करत, वोला जिंदा रखथे, वइसने भाँखा ला जिंदा रखथे बोलइया मन। लइका बड़े होके अपन अकड़ गुमान या स्वारथ मा महतारी बिन रहि सकथे, फेर भाँखा बोलइया बिन नइ जी सके। महतारी अउ महतारी भाँखा ले दुरिहाई बने बात नोहे। जइसे कोनो लइका अपने महतारी ला महतारी कहिथे, कोनो आन ला नइ कहय, वइसने महतारी भाँखा ला घलो ओखर जनइया मन ला बोले, बउरे बर लगही। आन मनके मुँह ताकना गलत हे।  जइसे मातृ अउ मातृभूमि ला सरग ले बढ़ के हे केहे गेहे, वइसने बड़का हे मातृभाषा। जनम देवइया अउ पालन करइया ददा दाई के मुख के बोली लइका बर महतारी भाँखा बोली आय, जेमा दया, मया, ममता घुरे रहिथे।


                     कोनो भी भाँखा बोली कागज पाथर मा कतको लिखा जाये, यदि बोलइया समझया नइ रही ता, प्राचीन काल के कतको भाँखा- बोली अउ लिपि कस कोनो संग्राहालय मा माड़े रहि जाही या फेर बिरथा हो जही। मनखे अपन मन के भाव ला भाँखा मा उतारथे, जेला समझ के आन मनखे ओखर संग जुड़थे। भाँखा मनखे ला जीव जानवर ले अलगाथे,भाँखा बिन मनखे, मनखे मनले नइ मिल सके। भाँखा भाव, भजन, भ्रमण सबे बर जरूरी हे। मनखे भले सुख मा दाई, ददा ला नइ सोरियाही, फेर आफत मा ए ददा, ए दाई कहिबेच करथे। कहे के मतलब महतारी अन्तस् मा रचे बसे रहिथे, वइसनेच आय महतारी भाँखा। भले देखावा मा मनखे महतारी अउ महतारी भाँखा ला बिसार देथे, फेर आचार, विचार, संस्कार के दाता उही आय। महतारी भाँखा के संग मनखे के दया-मया, संस्कृति अउ संस्कार जुड़े होथे। महतारी भाँखा ले दुरिहाना मतलब अपन संस्कृति अउ संस्कार ला तजना हे। आज अपन भाँखा बोली के बढ़वार बर खुदे ला महिनत करे के जरूरत हे। कोनो भी चीज ला बनावत बड़ बेर लगथे, फेर उझारत छिन भर। अइसन मा चलत कोनो भाँखा बन्द हो जाय, दुर्भाग्य के बात हे। जइसे पानी ढलान कोती बहिथे, वइसने भाँखा घलो सरल कोती भागथे। अपन जुन्ना बोली बचन अउ माटी जे सुवाद मा नवा जमाना के शब्दकोश ला शामिल करत, कठिन ले सरल के रथ मा सवार होके, उदार भाव ले सबला स्वीकारत आज कोनो भी भाँखा बोली के अस्तित्व ला बचाये के उदिम करना चाही,तभे नवा जमाना संग जुन्ना बोली भाँखा टिक पाही। छत्तीसगढ़ी सवांगा पहिर के फ़ोटो खींचाय ले कुछु नइ होह, अन्तस् के निर्मल भाव अउ समर्पण जरूरी हे, नही ते देखावा रूपी सुरसा के मुँह मा कतको चीज समा जथे।


                    ये दुनिया विशाल हे। आज नवा जमाना मा मनखे सबे देश राज संग जुड़ के चलत हे। गाँव, शहर ले, शहर, महानगर अउ देश-विदेश ले जुड़े हे। सियान मन हाना मारत कहिथे कि, कोश कोश मा पानी बदले अउ  चार कोश मा बानी।  माने दुनिया मा बड़ अकन भाँखा  हे, जेखर पार पाना मुश्किल हे। आज मनखे सबे संग कदम ले कदम मिलाके चलत हे, अइसन मा एक सम्पर्क भाँखा जरूरत बन जाथे। मनखे ला महतारी भाँखा के संगे संग अपन देश अउ विश्व भर मा प्रचलित मुख्य भाँखा ला बोलना अउ समझना चाही। पहली संचार अउ सोसल मीडिया के अतिक व्यापकता नइ रिहिस, ना सबे मनखे के विश्वभर मा जाना आना, ते पाय के  वो समय मनखे मन एक या दुये भाँखा जाने, पर आज अपन अस्तित्व बर महतारी भाँखा के संगे संग सम्पर्क भाँखा ला जानना जरूरी हे। भारत मा आज हिंदी सबे कोती बोले समझे जावत हे। संगे संग व्यापारिक भाषा के रूप मा अंग्रेजी जम्मो देश मा पाँव पसारत हे। मनखे मन ला अपन महतारी भाँखा के संग हिंदी, अउ अंग्रेजी के ज्ञान घलो होना चाही। आज के लइका मानसिक रूप ले ये सब बर तियार हे, कोनो लइका मन  ऊपर  एक ले अधिक भाषा ला बोले सीखे बर कहना,थोपना नही, बल्कि आज के जरूरत के रूप मा, बहुभाषी बनना कहे जाथे। एक भाषा ला धरके चलना आज सम्भव नइ हे, काबर कि मनखे जुड़ चुके हे, सरी दुनिया संग। आज भाषा जमाना के  नवा रूप के संग, सोसल मीडिया मा घलो जघा बनावत जावत हे। सब ला अपन महतारी भाँखा ला नवा दशा दिशा देना चाही, ओखर प्रसिद्धि अउ बढ़वार बर सोचना चाही। अनुवादिक एप, गूगल, टाइपिंग जैसे आज के जरूरी एप मा महतारी भाँखा दिखे, एखर बर आज के बुधियार लइका मन ला बूता करना चाही, ताकि भाषा सोसल मीडिया मा  घलो जिंदा रहे अउ सबला सहज समझ आये, तभे भाँखा के उमर बाढ़ही।


अपन भाँखा के मान करव ,

दूसर भाँखा के सम्मान करव।


जीतेंन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)


महतारी भाँखा दिवस के आप सबो ला सादर बधाई,

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