Friday 24 February 2023

महतारी भाँखा

 महतारी भाँखा

मोला अपन महतारी भाखा छत्तीसगढ़ी उपर गरब हे।दाई के भाखा ही मातृभाषा आय। मोर महतारी के भाखा छत्तीसगढ़ी रहिस, तब मोरो भाखा आरुग छत्तीसगढ़ी आय।हिन्दी मोर पढ़े लिखे अउ कामकाज के भाखा बनिस। फेर छत्तीसगढ़ी मोर गली गाँव, घर द्वार, मेला मड़ई, नाता गोता, हाट बजार के भाखा आय। छत्तीसगढ़ी मोर डोंगरी पहाड़,खेती खार, तरिया डबरी घाट- घटौंदा के भाखा ये। छत्तीसगढ़ी इहाँ के दाऊ, मंडल, किसान, मजदूर अउ बनिहार - बनिहारिन के भाखा ये।पनघट, गोठान, बरदिहा अउ पनिहारिन के भाखा ये।

छत्तीसगढ़ी मोर अंतस मा समाय हे, जउन हा ददरिया, करमा, पंथी, पांडवानी, नाचा, चंदैनी, सुआ, बांसगीत, बिहाव अउ गौरी गौरा गीत के रूप मा प्रकट होथे। छत्तीसगढ़ी हे तब डुबकी हे, कड़ही हे।बोहार भाजी अउ तिवरा भाजी के साग हे। फरा हे, चीला हे। भात हे बासी हे, पेज हे पसीया हे, कोदो हे कुटकी हे।तसमई अउ सोंहारी हे।अपन भाखा के अपन मिठास। मैं इंकर बिना नइ रहे सकौं। सहर मोर जीविकोपार्जन के जगा आय। फेर गांव मा लाख बुराई पावँव, हरौं खाटी गवइंहा।छत्तीसगढ़ी मोर संवाद के भाखा ये। छत्तीसगढ़ मा कोन हे जेन छत्तीसगढ़ी नइ जानय।नइ जाने के नखरा करने वाला बहुत हे। उड़िया, बिहारी, अवधी, यूपी, राजस्थानी झारखंडी, मैथिल, हरियाणवी, बोलने वाला मन जगा छत्तीसगढ़ी में संवाद आसान हे। हिंदी के समस्त लोकबोली मा खून के रिश्ता हे। अपन अपन बोली भाखा मा गोठियाही एक दूसर संग तो सबो समझही। हमर भाखा हमर गुमान।


छत्तीसगढ़ी हे तभे तक छत्तीसगढ़ी संस्कृति घलो हे। जइसे जइसे भाखा मरत जाही हमर संस्कृति अउ संस्कार घलो नंदावत जाही।हमर पहचान ही छत्तीसगढ़ से हे। छत्तीसगढ़ी ले हे। हम कहाथन छत्तीसगढ़िया। हमर स्वाभिमान आय छत्तीसगढ़ी ।हमर अस्तित्व आय छत्तीसगढ़ी। हमन अपन लोग लइका ला विदेश मा टांग के गरब करत हन। फेर यहू जान लौ, एक पीढ़ी बाद ही वो ये पहिचान ला भूल जाही। अपन घर परिवार अउ संस्कार ला भूल जाही। फेर यहू बात हे कि जब भी दुनिया मा बाहरी वाद के खिलाफत होथे अपन देश अपन मूल मातृभूमि के कोख मा ही जगह पाथे। 

आवौ छत्तीसगढ़ी ला अपन संवाद के भाषा बनावन। छत्तीसगढ़ी एक संपूर्ण अउ समृद्ध भाषा आय। संप्रेषण क्षमता मा कोई कमी नइ हे। कमी हे तो हमर मानस मा। हमर ताकत ये छत्तीसगढ़ी। छत्तीसगढ़ी हे तभे तक हम असली छत्तीसगढ़ी हन। मातृभाषा के उपेक्षा करके हम विकास के सपना देखबो तो अधूरापन ही रइही। समय बदलत जावत हे।विद्वान मन के राय रहे हे कि प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा मा ही होना चाही, तभे बच्चा मन के सर्वांगीण विकास होथे। एकर कारण नवा शिक्षा नीति मा मातृभाषा मा प्रारंभिक शिक्षा के बात ला जोड़े गेहे। 

आप सब ला मातृभाषा दिवस के गाड़ा गाड़ा बधाई अउ शुभकामना ।आवव हम आज संकल्प लेवन कि हम अपन लोग लइका ला कतको उच्च शिक्षा देवन, अंग्रेजी हिन्दी संस्कृति अउ दुनिया के कोनों भी भाखा के ज्ञान देवन, अपन भाखा ले उन ला वंचित नइ रखन। अपन संस्कार अपन पहचान ला नइ भुलावन दन। 


हम गोठियाबो तभे पूरा छत्तीसगढ़ गोठियाही। 


जय छत्तीसगढ़। 

जय छत्तीसगढ़ी।। 


बलराम चंद्राकर भिलाई

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