आज 145 वीं जयंती मा विशेष
कलम के सिपाही- प्रेमचंद
साहित्य ल समाज के दर्पण कहे जाथे। साहित्य ह मानव समाज ल नवा रस्दा देखाथे। सुमता के दीया कइसे जलही येला सुध्घर ढंग ले बताथे। साहित्य के माध्यम ले तत्कालीन समाज के दशा कइसे रिहिस हे वोहा पता चलथे। साहित्य म इतिहास, संस्कृति ह उभर के आगू आथे। जिहां साहित्य म हमर देश अउ समाज के इतिहास ह पता चलथे त अब्बड़ मिहनत के सियाही ले लिखे साहित्य ह इतिहास घलो गढ़थे। अइसने अपन लेखनी ले एक नवा इतिहास लिखिस कलम के सिपाही, कहानी अउ उपन्यास सम्राट प्रेमचंद ह। महान साहित्यकार प्रेमचंद के जनम 31 जुलाई 1880 म बनारस के के तीर लमही गांव म होय रिहिन। वोकर सही नांव धनपत राय श्रीवास्तव रिहिन। प्रेमचंद के पिता के नांव अजायब राय अउ महतारी के नांव आनंदी देवी रिहिस। प्रेमचंद नानपन म नंगत के तकलीफ पाइस। नानकुन रिहिन तभे
वोकर महतारी ह ये दुनियां ले गुजर गे। सौतेली महतारी के रूखा बेवहार ल सहत जिनगी के गाड़ी चलत रिहिस त पिता ह घलो सरग सिधार गे। प्रेमचंद ह बछर 1919 म बी. ए. के परीक्षा पास करिस। प्रेमचंद के बिहाव वोकर सौतेली महतारी ह अपन बीच के रिश्तेदार के एक कुरुप लड़की ले कर दिस। फेर बाद म शिवरानी देवी ले बिहाव करिस।
जिनगी म समस्या ले जूझत प्रेमचंद ह अपन शिक्षा ल सरलग जारी रखिस। सुरू म मास्टरी काम करिस। वो समय हमर देश म अंग्रेज मन राज करत रिहिन। सरकारी नौकरी अउ उपर ले विदेशी शासन। ये स्थिति म दुब्बर बर दू असाढ़ जइसे दशा हो जाय। शुरूआती बेरा म प्रेमचंद ह उर्दू म लिखत रिहिन। अइसन समय म प्रेमचंद ह उर्दू म नवाबराय के नांव ले लेखन कारज ल जारी रखिन। वोकर संग्रह" सोजे वतन "ल अंग्रेज़ी शासन ह जप्त कर लिस अउ चेतावनी दिस कि दुबारा अइसे नउबत लाहू त ठीक नइ रहि।
हिंदी म प्रेमचंद के नांव ले लिखे के शुरू करिस। ये नांव वोला दया नारायण निगम ह दय रिहिन। गांधी जी के प्रभाव म आके
नौकरी छोड़िस। प्रेमचंद ह महात्मा गांधी ले अब्बड़ प्रभावित होइस। अंग्रेजी शासन के विरुद्ध आंदोलन के समय गांधी जी के ये कहे ले कि भारतीय मन अंगेज सरकार के नौकरी छोड़ दयत प्रेमचंद ह घलो नौकरी छोड़ दिस।
अब प्रेमचंद हिंदी म लिखे ल लगिस। वोकर कहानी अउ उपन्यास में गांधी जी के प्रभाव सुध्धर ढंग ले झलकथे। गबन, रंगभूमि, नमक का दरोगा येकर उदाहरण हरे। गबन म नायक के हिरदे परिवर्तन होथे अउ भ्रष्टाचार ल छोडे बर प्रन करथे। रंगभूमि के नायक सूरदास ह तो गांधी जी के छवि ल
देख के गढ़े में हावय। उपन्यास के विषय-वस्तु घलो अजादी के लड़ाई हरे।
सर्वहारा वर्ग के पीरा ल उजागर करिस
प्रेमचंद जइसे साहित्यकार सैकड़ों बछर म एक झन होथे। वोहर अपन कहानी अउ उपन्यास के माध्यम ले सर्वहारा वर्ग के पीरा ल उजागर करिस।शोषक वर्ग के करनी ल सबके सामने लाके समाज ल जागरूक करिस । पूस की रात, कफन, सवा सेर गेहूं ठाकुर का कुआं, पंच परमेश्वर, लांछन, सद्गति के माध्यम से समाज के दबे कुचले किसान, मजदूर, आम आदमी के पीरा ल अपन लेखनी के माध्यम ले कहानी धार दय है। शोषक वर्ग उपर जमगरहा प्रहार करे हावय। ईदगाह अउ पंच परमेश्वर के माध्यम ले हिंदू मुस्लिम एकता ल जोर दय हावय। हमर देश ल अलगू चौधरी अउ जुम्मन शेख के आजो जरूरत है। आजो पंच मन ल परमेश्वर होना चाही ताकि पीड़ित मनखे मन ला नियाव मिल सकय। तथाकथित उच्च शिक्षित लोगन मन मा संवेदना रहना चाही अउ ये संदेश बूढ़ी काकी म देखे ल मिलथे। ठाकुर का कुआं तत्कालीन समाज में व्याप्त छुआछूत रूपी कोढ़ ल दर्शाथे कि कइसे निम्न वर्ग उपर अतियाचार करे जाय। धर्म के नांव म शोषण करइया मन उपर बाबा जी का भोग, सदगति कहानी अउ गोदान उपन्यास के माध्यम ले नंगत प्रहार करके आम जनता ल सावचेत करे हावय। प्रेमचंद ह नारी समाज के दयनीय दशा ल चित्रण करे हावय। दूसर कोति उंकर नारी पात्र ह अब्बड़ सबल घलो हावय। पूस की रात की मुन्नी, ठाकुर का कुआं, लांछन, पंच परमेश्वर, घासवाली, गोदान के नायिका मन मुखर अउ सबल हावय। बड़े घर के बेटी ये संदेश देथे कि बने आदत बेवहार ले मनखे बड़े होथे। जउन ह अपन दूनों कुल के मान मर्यादा ल सुघ्घर ढंग ले राखथे उही बड़े घर के बेटी कहलाय के हकदार हावय। प्रेमचंद के शुरू के कहानी मन म नैतिकता के दर्शन होथे ।1936 के आत -आत्त वोकर विचार प्रगतिशील हो जाथे। येकर कारन बाद के कहानी अउ उपन्यास म नैतिकता के बजाय समाज के सच्चाई ल उजागर करथे ।
आज कलम के सिपाही ल सरग सिधारे नवासी बछर होगे हावय तभी ले पोकर कहानी अउ उपन्यास मन आजो प्रासंगिक है। अमृत राय ह अपन पिता प्रेमचंद के जीवनी कलम का सिपाही नांव ले लिखिस जउन ह बछर 1963 म प्रकाशित होय रिहिस है। जब प्रेमचंद अउ विद्वान राजनेता कन्हैया लाल मुशी ह 1930 में गांधी जी ले प्रभावित होके हंस पत्रिका के संपादन करत रिहिन त मुंशी लिखे के बाद अल्प विराम राहय फेर प्रेमचंद लिखे जाय। पर बाद म साहित्य बिरादरी म प्रेमचंद म ही मुंशी प्रेमचंद लगाय ल लगगे। जबकि मुंशी मतलब कन्हैया लाल मुंशी है। प्रेमचंद खुद एक स्वतंत्र नांव है।
प्रेमचंद के निधन सरलग बीमारी के कारन 8 अक्टूबर 1936 में होगे। अपन जीवन काल म प्रेमचंद ह करीब 300 कहानी 3 नाटक, 15 उपन्यास, 10 अनुवाद अउ 7 बाल पुस्तक लिखिस। कलम के सिपाही ला 145 वीं जयंती मा शत् शत् नमन है।
ओमप्रकाश साहू अंकुर
सुरगी, राजनांदगांव
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