Saturday, 16 August 2025

लघु कथा - " चिंनगारी " -मुरारी लाल साव

 लघु कथा -

         " चिंनगारी "

       -मुरारी लाल साव 

चूल्हा म भात चूरत रहिस l छेना लकड़ी जलत रहिस बीच बीच म चिंनगारी छटक जाय एला देख के केकती अपन नोनी बीना ला  चेतावत कहिस -"

देख के नोनी चिंगारी ले बाँच के राह l कतका जोर कती लुक कती आ जही l कपड़ा लत्ता ले बचा के राख lआगी ले जादा चिंगारी ले डर लगथे l धुरिया रहिबे l "

बीना नोनी  चूल्हा मेऱ साग सुधारत  गुनत घलो रहीस l बीना ला अपन मइके म आये छै महीना होगे रहिस l सब पूछय घलो बीना नोनी बइठ गे हे का? ओकर ससुरार वाले मन आके लेगत नइ हे l जेखर ऊपर पहाड़ टूटथे उही जानथे l 

बीना सुन सुन के तर तर आँसू के रेला बोहातीस l जेने पातिस तेने पूछत्तीस l  सास मन के चलथे बहू के कोन सुनथे?काकर सो झगरा होगे हे अतेक तेमा तोला लेगत नइ हे? बीना के छाती म पखरा कचारे अस घात लगय l

इही चिंता म दिनों दिन मुराझावत जात रहीस चेहरा ह ओकर l 

      एक दिन अपन मौसी सास ला  बताइस -

"मय ककरो सो लिगरी लाई के गोठ नइ करेव हँव l उल्टा मोर ननद शकुन हा लबारी गोठ करके भड़का देहे l 

कोनो कुछु लेवय कुछु देवय  मोला का करना हे l 

फेर जेला मै नइ जानव त का बताहूँ l  

अपने मन पइसा कौड़ी धरथे अपने मन ओरमांथे गहना ला l अपने मन पहिरथे कोन मेऱ कहाँ मढ़ाथे?हम का जानबो दाई l 

इल्जाम लगाथे मोरे ऊपरl सहन नइ होवय l 

इही लिगरी लाई ला सुन मोर पति  समझावत कहिस -"घर म चिंगारी के लुक धर लेहे  आगी लग गे हे  भभके  भर बर बाँचे हे एखर ले पहिली अभी अपन मइके म कुछ दिन राह l

मय तोला जइसे छोडत हँव ना ओइसने लेगे बर घलो आहूँ l

टेंशन म रहिबे  त तोर कोंख बर बुरा असर होही l


दाई बहिनी अउ गोसाईन के जंजाल म फँसे केशव रस्ता निकालीस l चार महीना अइसने म सिरागे l

एक दिन केशव के दाई कहिथे -" बेटा तै ले अतेस बहू ला l

जादा दिन कोनो बहू ला ओकर मइके म नइ रखय l"

इही बीच ओकर बहिनी कइथे-" एके जघा म रहिबे त पूछा पाछी म कुछ बात निकल जथे l भउजी के बिना घर सुन्ना लगत हे l

मोर सो गलती होगे हे माफ़ी मांग लुंहू l "

चिनगारी  छटकत रहिस l झोइला होगे आगी के संग l

"चल बहिनी, बीना ला लेके आबो l अपन घर बार ला अपन संभालय l"

अइसने कहत केशव अपन ससुरार लाये बर निकल जथे l

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