Monday, 23 September 2024

बड़े दीदी डाॅ सत्यभामा आडिल की समीक्षा*

 *बड़े दीदी डाॅ सत्यभामा आडिल की समीक्षा* 


#संदर्भ : छत्तीसगढ़ी कहानी ' *अग्नि संस्कार* '


🌹आपकी लम्बी कहानी "अग्नि संस्कार"--बहुत प्रभावशाली,व 99% सच के निकट है!  भाषाशिल्प भी सटीक व वर्णनशैली भी कहानी के तत्वों के अनुसार है!कथानक बहुत सशक्त,और नक्सली समस्या के  परिवेश के अनुसार ही है! कथानक,संवाद,पात्र व चरित्रचित्रण,परिवेश, व उद्देश्य,सभी तत्वों की दृष्टि से एक श्रेष्ठ कहानी है!

बस्तर में यही घटनाएं तो घट रही हैं। बस,आपने सत्य का पर्दाफाश किया है!

पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी,दार्जलिंग में जब मुझे "तीस्ता हिमालय" द्वारा--प्रथम अमरावती सृजन सम्मान दिया गया,तब कलकत्ता के पत्रसमूह के सम्पादक वर्ग उपस्थित थे।मुझे सम्मानित करने वालों में एक मजूमदार का पुत्र भी था!परिचय  में उसने मुझे यही बताया!कौन मजूमदार?वामपंथी,नक्सलपन्थ के नायक मजूमदार का पुत्र!!मैं अंदर से डर गई!

मैं तीन बार नक्सलबाड़ी  क्षेत्र में घूमी--2008,2010 में!!आज भी वैसा ही पड़ा है। नक्सली आंदोलन---वैचारिक था!कानू सान्याल ने हथियार नहीं पकड़ा था !यह हथियार तो उनके अनुयायियों ने शुरू किया ! बाद में यह आंदोलन हिंसक हो गया!


 *कानू सान्याल से मैं उनके जीवन के अंतिम काल में जंगल में मिली!* 

वे हिंसक नहीं थे।अंतिम समय में  वे बेहद  दुखी थे!

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प्रस्तुति- कहानीकार *डाॅ विनोद कुमार वर्मा*

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