Thursday, 5 September 2024

तीजा परब विशेष

 सुरता मइके के-गीत


सावन काँटेंव मैं गिनगिन, सुरता मा दाई वो।

कि आही तीजा लेय बर, भादो मा भाई वो।।


मइके के सुरता, नजरे नजर म झुलथे।

देखतेंव दसमत पेड़ ल, के फूल फुलथे।

मोर थारी अउ लोटा म, कोन बासी खाथे।

तुलसी चौरा म बिहना, पानी कोन चढ़ाते।

हे का चकचक ले उज्जर, कढ़ाई दाई वो--

आही तीजा------


गाय गरुवा मोर बिन, सुर्हरथे कि नही।

खेकसी कुंदरू बारी म फरथे कि नही।

कुँवा तरिया म पानी कतका भरे रहिथे।

का मोला अगोरत,परोसिन खड़े रहिथे।

कोन करथे मोर कुरिया म पढाई दाई वो---

आही तीजा------


दुरिहा दिये दाई, तैंहर अपन कोरा ले।

मइके लाही कहिके,मोला तीजा पोरा में।

जल्दी भेज न दाई बाट जोहत हँव वो।

मइके के सुरता म मैं हा रोवत हँव वो।

एकेदरी थोरे सुरता भुलाही दाई वो---

आही तीजा---


जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को, कोरबा


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मरना हे तीजा मा


सार छंद-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"


लइका लोग ल धरके गय हे,मइके मोर सुवारी।

खुदे बनाये अउ खाये के, अब आ गय हे पारी।


कभू भात चिबरी हो जावै,कभू होय बड़ गिल्ला।

बर्तन भँवड़ा झाड़ू पोछा, हालत होगे ढिल्ला।

एक बेर के भात साग हा,चलथे बिहना संझा।

मिरी मसाला नून मिले नइ,मति हा जाथे कंझा।

दिखै खोर घर अँगना रदखद, रदखद हाँड़ी बारी।

खुदे बनाये अउ खाये के,अब आ गय हे पारी।1।


सुते उठे के समय बिगड़गे,घर बड़ लागै सुन्ना।

नवा पेंट कुर्था मइलागे, पहिरँव ओन्हा जुन्ना।

कतको कन कपड़ा कुढ़वागे,मूड़ी देख पिरावै।

ताजा पानी ताजा खाना, नोहर हो गय हावै।

कान सुने बर तरसत हावै,लइकन के किलकारी।

खुदे बनाये अउ खाये के,अब आ गय हे पारी।2।


खाय पिये बर कहिही कहिके,ताकँव मुँह साथी के।

चना चबेना मा अब कइसे,पेट भरे हाथी के।

मोर उमर बढ़ावत हावै,मइके मा वो जाके।

राखे तीजा के उपास हे,करू करेला खाके।

चारे दिन मा चितियागे हँव,चले जिया मा आरी।

खुदे बनाये अउ खाये के,अब आ गय हे पारी।3।


छंदकार-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छत्तीसगढ़)

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लावणी छंद-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"


तीजा पोरा


मुचुर मुचुर मन मोर करत हे, देख करत तोला जोरा।

महूँ ममा घर जाहूँ दाई, तोर संग तीजा पोरा।


कभू अकेल्ला कहाँ रहे हँव, तोर बिना मैं महतारी।

जावन नइ दँव मैंहर तोला, देवत रह कतको गारी।

बेटी बर हे सरग बरोबर, दाई के पावन कोरा।

महूँ ममा घर जाहूँ दाई, तोर संग तीजा पोरा।


अपन पीठ मा ममा चघाके, मोला ननिहाल घुमाही।

भाई बहिनी संग खेलहूँ, मोसी मन सब झन आही।

मया ममा दाऊ के पाहूँ, खाहूँ खाजी अउ होरा।

महूँ ममा घर जाहूँ दाई, तोर संग तीजा पोरा।


कइसे रथे उपास तीज के, नियम धियम होथे कइसन।

सीखे पढ़े महूँ ला लगही, नारी मैं तोरे जइसन।

गिनगिन सावन मास काटहूँ, भादो के करत अगोरा।

महूँ ममा घर जाहूँ दाई, तोर संग तीजा पोरा।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को, कोरबा(छग)

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करू भात अउ करू पानी


दीदी मनके करू भात,जीजा मनके करू पानी।

का कहँव संगवारी, तीजा तिहार के कहानी।।


एक ला जुन्ना सहेली मिलगे,एक ला जुन्ना संगी।

एक पीटत हे मुड़ी, एक फेरत हे मुड़ मा कंगी।।

एक हाँसे हाहा हाहा, एक के नइ फुटत हे जुबानी।

का कहँव संगवारी, तीजा तिहार के कहानी।।


दीदी मन सम्हरे हे, जीजा मन के कुकुर गत हें।

दीदी मन बिंदास सुतत हें, जीजा मन जागत हें।।

जय जय गूँजे एक कोती, एक कोती राजा जानी।

का कहँव संगवारी, तीजा तिहार के कहानी।।


राँध के जीजा, नइ खा सकत हे कँवरा।

पड़े हे कपड़ा लत्ता, पड़े हे बर्तन भँवरा।

चेहरा मा चमक नइहे,रद खद हे छत छानी।

का कहँव संगवारी, तीजा तिहार के कहानी।।


उती तीजा के बिहान दिन,सरि सरि लुगरा।

अउ ए कोती जीजा हा, पड़े हवय उघरा।।

दीदी फोन उठात नइहे, हे हलाकान जिनगानी।

का कहँव संगवारी, तीजा तिहार के कहानी।।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को, कोरबा(छग)


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