*छत्तीसगढ़ के सामाजिक ताना-बाना अउ लोक व्यवहार ल समेटे हे: खेतिहारिन*
छत्तीसगढ़ी साहित्य के सेवा म रमे चेतलग रचनाकार कमलेश प्रसाद शर्माबाबू के साहित्य समर्पण अभिनंदनीय हे। वो सरलग कविता अउ कहानी लिखथें। बाल साहित्य जइसन मनोवैज्ञानिक अउ कठिन विधा म घलव उॅंकर दखल हे। छंद लेखन म उॅंकर कलम जोरदार चलत हे। कुल मिलाके कमलेश प्रसाद शर्माबाबू छत्तीसगढ़ी साहित्य बर समर्पित रचनाकार आँय। जिंकर रचना मन म विधागत शिल्प तो रहिबे करथे, उँकर भाव पक्ष के सजोरपन ह पाठक ल बाँधे रखथे। पाठक ल पढ़त खानी अइसे लगथे कि ए सब तो हमरे तिर के गोठबात आय। उँकर सतरंगी छत्तीसगढ़ी कहानी संग्रह 'खेतिहारिन' सात कहानी मन के संग्रह आय।
हाथ म किताब के आत्ते साठ्ठ मुख पृष्ठ ल देखेंव, जउन आकर्षक हे। किताब के नाम के मुताबिक अउ नवा जुग (बेरा-बखत) के प्रतिनिधित्व करत फोटो ले सजे हे। पढ़े के पहिली पन्ना मन ल उलटेंव-पुलटेंव अउ के ठन कहानी हे? कहि अनुक्रमणिका ल झाँकेंव त सात कहानी के सकला पायेंव। सात कहानी मतलब सतरंगी, इही भाव मोर मन म आइस। किताब भेजत बखत शर्माबाबू जी आग्रह करिन आप ल जउन लगही तउन जरूर लिखिहव अउ मार्गदर्शन करिहव। मैं शर्माबाबू जइसन मँजाय अउ स्थापित सजोर रचनाकार ल का मार्गदर्शन करिहँव? मैं तो बस एक पाठक आँव। बस! अपन मन के बात ल किताब पढ़ के लिखे के उदिम करत हवँव।
श्री अरुण कुमार निगम के लिखे भूमिका के हेडिंग देखत अपन सतरंगी कहानी संग्रह कहे के विचार मोला बदले ल पड़गे। किताब म लिखाय जिनिस ल दुबारा कहना कति ले सही कहे जाही। संगीत के सात सुर बरोबर ए सातो कहानी पाठक मन के मन ल जरूर भाहीं। जम्मो कहानी के भाव आने-आने हे। पुनरावृत्ति नइ हे।
पहलीच कहानी "खेतिहारिन'' अभी तक मोर पढ़े गे कहानी म सबले बड़का छत्तीसगढ़ी कहानी आय। बड़ लाम कहानी होय के बावजूद कहानी बोझिल अउ उबाऊ नइ लागय। बड़ लाम कहानी म प्रवाह अउ कथानक के पटरी ले उतरे के खतरा रहिथे, फेर कहानीकार भटके नइ हे। एक नारी के संघर्ष अउ साहस के चित्रण ले नारी जात ल नवा संदेश देना ए कहानी के उद्देश्य आय। मन के हारे हार हे। ए कहानी म जिनगी के जम्मो उतार-चढ़ाव हे। जिनगी के जम्मो रंग हे। नारी सशक्तिकरण ल समर्पित कहानी कहे जाय त कोनो दू मत के गोठ नइ होही। समाज अउ व्यवस्था ल आड़े हाथ ले के कहानीकार अपन सामाजिक दायित्व ल घलव पूरा करे हे। ए कहानी म समाज याने लोगन के मनोविज्ञान ल बने ढंग ले चित्रित करे गे हावय। सही बात आय कि समाज खासकर नारी परानी बर टेटका सहीं अपन रंग बदलत रहिथे। कोरोना के आय ले फिफियाय समाज के चित्रण जिंहाँ कहानी के रचनाकाल के आरो देथे, उहें व्यवस्था म लगे लोगन के चाल अउ चरित्तर दूनो ल उघार के रख देहे। 32 पेज म ....खेतिहारिन अंदर तक सिहरगे। ए वाक्य म मैं "अंदर" के जगह "भीतर" लिखतेंव।
"पापी पेट" कहानी पेट बर संघर्षरत वो मनखे के कहानी आय जेन पेट के जुगत म गाँव छोड़ शहर जाथे अउ शहर जाय के पाछू ओकर जम्मो भरम टूट जथे। दूर के ढोल सुहावना होथे कहिनउ ढोल के पोल के जानबा होय ले गाँव लहुटथे। ए गुनान करे के लइक आय कि जब सबेच मनखे शहर के रस्ता धरहीं त शहर म हाहाकार तो मचबे करही। मारकाट अउ चोरी-चाकरी बढ़बे करही। पापी पेट के सवाल उहों खड़ा होबे करही।
"बंठू-बुटिया" कहानी सचेत करथे कि जादा मया-दुलार दे ले, लइका बिगड़ सकथे। अलाल हो सकथे। बड़ उतलइन हो सकथे। एक हद तक ही मया दिखाना चाही। यहू हे कि दाई-ददा के एक फटकार लइका ल सही रस्ता म लाथे।
"अनुकंपा" बड़ मार्मिक कहानी हे। जेन म आरक्षण ले बाहिर/छूटे वर्ग के पीरा हे। संविधान ले मिले आरक्षण कोनो बर वरदान हे त कोनो बर अभिशाप। कहानी सिरतोन घटना ल लेके भले लिखे गे होही, पर मोर नज़र म ए कहानी समाज म अपन बढ़िया छाप छोड़ही, अइसे मोला नइ लगत हे।
पचवइया नंबर के कहानी "अंकुश ममा अउ निरंकुश भाँचा" बालकहानी के कलेवर के बढ़िया कहानी आय। जेन पात्र मन के नाँव ल सार्थक करत लइका ल सुधारे अउ ओकर हित बर कभू-कभू कड़क फइसला लेहे ले नइ हिचके के संदेश देथे।
"कउँवा मितान" कहानी बदलत समय म समाज म आवत विकृति ले सावचेत करथे। कखरो ऊपर अतके विश्वास करन कि अपन अंतस् के आँखी ल हरदम खुल्ला राहय, काली पछताय के मउका झन आवय। कखरो भभकी नवा जोम झन करन। सोच विचार के संगत करन अउ उँकर हर बात आँखी मूँद के झन मानन।
छत्तीसगढ़िया समाज अपन भोलापन म ढोंगी बाबा मन के चंगुल म झटकुन फँस जथे अउ अपन सरबस लुटा डरथे। अपन भोलापन म सबो ल अपने सहीं भोला समझे के भूल करथे। इही सब के लेखा-जोखा आय "जोगी या भोगी" कहानी। ए कहानी चतुरा अउ अंतस् म खोट रख हमर विश्वास के भरोसा के लहू करइया बाबा मन के पोल खोलथे। आखरी के दू डाँड़ अइसे लगत हे कि कहानी के शीर्षक लाय खातिर लिखे गे हे।
अब मैं एक सवाल पाठक वर्ग बर छोड़त हँव कि चिखत-चिखत सब ल चिखने वाला जोगी चिखत दास का असल म जोगी रहिस कि भोगी? पृष्ठ 99
ए संग्रह के जम्मो कहानी के भाषा अउ संवाद मन पात्र / चरित्र के मुताबिक हें। शिल्प बढ़िया हे। शब्द चयन सही हे। मुहावरा हाना के प्रयोग सहराय के लइक हे। कहानीकार के भीतर बइठे कवि के हावी होय ले दू-तीन कहानी म कविता के प्रयोग सुग्घर होय हे। फेर लम्बा कविता पाठक ल कहानी के कथानक ले दुरिहा सकथे। शुद्ध गद्य के पाठक ल उबासी लग सकथे।
छत्तीसगढ़ के सामाजिक ताना-बाना अउ लोक व्यवहार ल सहेजे "खेतिहारिन" कहानी संग्रह छत्तीसगढ़ी कहानी बर नवा डहर गढ़ही, अइसे मोला लगथे। एकर कव्हर पेज अउ भीतरी पन्ना मन सुग्घर छपाई संग बढ़िया क्वालिटी के हे।
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कहानी संग्रह- खेतिहारिन
कहानीकार- श्री कमलेश प्रसाद शर्माबाबू
प्रकाशन - शुभदा प्रकाशन जांजगीर चाँपा
प्रकाशन वर्ष-2022
मूल्य- 150/-
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पोखन लाल जायसवाल
पलारी (पलारी)
जिला बलौदाबाजार भाटापारा छग.
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