Monday, 23 September 2024

पितर नेवता :सद्भावना के संवाहक

 पितर नेवता :सद्भावना के संवाहक 

पितर पाख के बारे म विचार आइस घरों घर पितर मानथे अउ मनाथे पितर आये हे के नेवता घलो देथे l

नेवता माने अपन घर आये के सप्रेम निमंत्रण l

नेवता देने वाला अपन पितर ला मिलाथे l सगा सोदर हित मीत ला पास पड़ोस के मन ला बुलाके पितर भोज कराके  आत्म संतुष्ट होथे l आये पितर उंकर जो भी नाता हो माता पीता बबा डोकरी दाई भाई कका काकी बेटा सबो पितर 

म गिने जाथे l

पितर नेवता के पीछू  हिर्दय ले जुड़े हन  l तोर जाये के बाद अपन ले जुड़े सबो रिस्ता नाता सकलाये हन l हिर्दय ले तोर सुरता करत हन  l मिल जुल के अपना पन के भावना के उदगार करत हन l  श्रद्धा भावना   प्रेम   हमला जोड़ के राखे हे l करुणा ममता दया सहानुभूति  अंतस ले भावना के साथ  सुमत बनाके हाबन l पितर देव के रूप म आथे l तोरा मन दरपन कहलाये 

साफ  निर्मल सुभाव म समाये 

कुछ विशेष घटना के गोठ बात  घलो करथे l  पितर के गुन आचरण  आदत व्यवहार ला  उदगार बखान करथे -" बने रहिस हे...... I" पितर ए सब सुन के जान के तृप्त हो जथे l

ओकर नाम से सब भोग परसाद लेवत हे देख के मन भर जय  संतुष्ट होके जाय l

आखिर पितर भावना के भूखे हे l बरा सोहॉंरी तेलाई पकवान हँसी ख़ुशी के नेंग आय l

पितर पाख म क्रोध गुस्सा बैर भाव अउ गलत मनोविकार ला त्याज्य करे जाथे l पितर मन नाराज होके श्राप झन देवय l

देव तुल्य मानके उही श्रद्धा विस्वास ले अरपन तरपन करथे l इही मान्यता हमर मानवतावादी ला आघू बढ़ाथे l

मैनखे हन मैनखे ला चिन ले 

मैनखे होये के इही धरम हे मैनखे मन बर जी ले l मैनखे अस करम कर, लूट पाट  हिंसा मार खतम कर के भावना ला छोड़ दे l अइसे अवगुन जौन 

परिवार पडोसी ला अलगाथे  लड़वाथे वो बुराई ला आवन झन दे l पूरा पखवाड़ा पितर के गुन गान करे बर नेवता नेवत के 

अपन होये के परब मनाये जाथे l इही कहिबों -पितर नेवता सहिर्दयता के संवाहक हे एक दूसर के हिर्दय ला जोड़थे l 


मुरारी लाल साव 

कुम्हारी

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