" बेंदरा नाच "
(नानकुन व्यंग्य कहानी )
हमन नानकुन रहेन तब बजार हाट अउ गली म बेंदरा नाच ला देखे रेहेन l ओइसने हे भलवा नाच ला देखे रहेन l बहुत दिन होगे l अब मैनखे मन बेंदरा नाच करत हे l बेंदरा मन ले ओपार होगे l बेंदरा मन अब दूसर कोती तिरियावत जात हे मैनखे असन l मैनखे मन बेंदरा असन ए घर ले ओ घर जा जाके कूद फांद करत हे l घर उजारत हे रिस्ता नता ला बिगाड़त हे l
ओ बेंदरा मन ला लाठी के ए पार ले ओ पार, ओ पार ले ए पार कूद रे बेंदरा कहिके बलदू देवार कुदावय l अब सुलटू नेता मन अपन बेंदरा मन ला ओ पार्टी म जा, लहर चलत हे ए पार्टी म आ रे कहिके एती ओती कुदावत हे l
सुनते ही नाती नतनिन मन तीर म आके कहिथे - "बबा बेंदरा नाच के कहानी ल हमू मन सुनबो कहिके तीर म आके बइठ जथे,ले सुना ना l
" कोन बेंदरा नाच के कहानी ल सुनाँव? कइसे सुनाहूँ? सोचे ला परही l
चल जोर देवत हे लइका मन सुना देथँव l
बलदू नाँव के देवार रहिस l
सीसी बॉटल टीना टप्पर लोहा बल्दी म लेवय बदला म काँहीकुछु जिनिस ला देवय l
गली म घूम घूम के बेचय l
फ़ायदा नई मिलिस धंधा बदल दीस l सांप ला धर के घर घर घूमय अउ देखावय l उहू म जादा भीख,दान पुन पैसा नई मिलिस l
धंधा बदलय तेखर सेती ओखर नाँव बलदू होगे l बेंदरा पकड़ के ले आइस l बेंदरा ला लाठी मार मार के सिखाइस l टोंटा म रस्सी बांध के गोड़ ला पीट पीट के सिखाइस l नाच बेंदरा नाच l
अइसने पलटू मन पाला पलट पलट के बड़े बड़े होटल म खवा पिया के सिखाथे l पकड़ पकड़ के लाथे नवसीखिया मन ला अपन गेंग म l रेंक देके फांस के रखथे l
बलदू देवार अउ पलटू के बेंदरा नाच सिखाये म गूढ रहस्य छिपे हे l बलदू के कुंदरा म सुन्दर अउ सुंदरिया नाच सीखय बोल घलो सीखय, इशारा सीखय l
पलटू के होम सीटी म डांस पार्टी, चीयर पार्टी,डियर पार्टी अउ का का नाम ले गेम चलय l
बबा बलदू के ला बताना?
हव हव l
बजार के एक मुड़ा के तीर म अपन झोला झकक्ड ला रख देतिस lढोलक कभू डमरू बजाके देखय्या सकेलतिस l
बम्बई के नाच गाना
सुन के होये सब दीवाना
दिल्ली के दूल्हा डउका
सूट बूट म आये हे ठाउंका
डमरू फेर बजाथे डम डम डम डम....l
बहुत दिन होंगे बलदू नई दिखत हे जियत हे कि मरगे l फेर ओकर बेदरा नाच सुरता आथे l
बेंदरा नाच होवत हे घर घर
गली गली म गाँव गाँव शहर शहर म l बलदू के परम्परा बने पनप गे हे, पलटू मन के राज म l रोजी रोटी ककरो चलय चाहे झन चलय फेर
सुन्दर अउ ओकर सुंदरिया नाचे ला नई छोड़े हे -
" गजब दिन होंगे राजा
तोर ले मन मिलाये...... I
मुरारी लाल साव
कुम्हारी
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