लोक खेल :फुगड़ी
तीजा तिहार के खेल
हमर छत्तीसगढ़ के लोक खेल फुगड़ी आय l एला नान्हे बेटी माई मन खेलथे l अब ए खेल ह नंदावत हे l ए खेल के पाछू "स्वस्थ तन अउ स्वस्थ मन जीवन के अनमोल धन " विचार ले जुड़े हे l वैज्ञानिक दृस्टि ले घलो ए खेल के अब्बड़ महत्व हे l एखर लाभ कतका हे कतका जरूरी हे?एखर प्रसार प्रचार नई हो पाइस तेखर सेती लोक जीवन ले धुरियागे l थोर कुन जान लन फुगड़ी ला l
नान्हे बेटी मन ला नोनी कहिथन l गाँव के नोनी मन सकलाके आपस म खेलथे l सबो लोक खेल के तरह इहू खेल के लोक खेल गीत हे जेला फुगड़ी गीत के रूप में जानथन l लोक गीत ला सुने होहू
" गोबर दे बछरु दे
चारो खुंट ला लिपन दे. I "
ए गीत ला बइठ के कछोरा पार के गाथे l बइठे बइठे पहिली एक गोड़ ला कूदत उठात दूसर गोड़ ला आघू पाछू करत रहिथे lउही ढंग ले डेरी हाथ आघू जेवनी हाथ पाछू दूनो हाथ ,आघू - पाछू होवत रहिथे l गोड़ के पंजा एड़ी म पूरा शरीर के भार पड़थे l कमर म जोर जाँघ म जोर पड़थे l पेट के कसरत हो जथे l छाती म साँस भर भर के उछलत बइठ कूद कर के खेल ला जारी रखे जाथे l जेन थक जथे फुगड़ी हार गे माने जाथे l
फु+गड़ी l गड़ी के मतलब संगी सहेली होथे l फु याने बाहर l नई खेल सकेस गड़ी फु हो जा l खेल ले बाहर हो जा l फुगड़ी नई खेल सकस
बाहर जा l चुस्त अउ दुरुस्त स्वस्थ हे तेखर एक प्रकार ले सहेली के निरीक्षण परिक्षण खेल ले बीमरहीन संग भला कोन संग रहीl फुरफुन्दी असन रह l फुरफुन्दी असन फुर्ती बना के रख l फु के मतलब फुरफुन्दी ले लेथन त इही भाव छिपे हे l
फु से फूल असन गड़ी घलो l
शारीरिक तंदरुस्ती बनाये बर खेल जरूरी हे l जउन खेलही ओह ह ओकर चेहरा ह फूल असन चमकही l
पाँव एड़ी मजबूत होथे l जाँघ कनिहा मजबूत होथे l पेट नई निकलय l पेट के भीतरी सब स्वस्थ होथे l गर्भाशय स्वस्थ होथे l महिला मन के महत्वपूर्ण अंग आय l उंकर जननंग के सही स्वस्थ रहना जरूरी हे l
कुल मिलाके फुगड़ी खेल ले नारी मन ल लाभ ही लाभ होथ
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