Monday, 23 September 2024

राजनीतिज्ञ के आत्मकथा

 राजनीतिज्ञ के आत्मकथा 

मेंहा कुछु भी करथँव या कुछु भी गोठियाथँव .. जम्मो झन मोला राजनीति करत हस कहिथे । मेहा राजनेता अँव .. राजनीति नइ करिहँव त काय करहूँ .. । न मोला कुदारी धरे ला आय न रापा .. कलम हा मोर हाथ म फबय निही .. पढ़े लिखे हँव फेर नौकरी लइक योग्यता नइहे .. । अतके पढ़े हँव के .. दादागिरि .. चमचागिरि .. बईमानी अऊ धोखाधड़ी .. बहुत आसानी से कर लेथँव ... चाहे जनता रोज कतको गारी बखाना करय । उँकर ले लुकाय अऊ तोपे बर .. जे करथँव तिहि ला लोगन राजनीति के नाव दे देथे । जनता अऊ पुलुस ले बाँचे बर अऊ काय करँव ... ? इँकर चक्कर ले निजात पाय बर तो राजनीति म खुसरेच ला परथे । अब तुँही मन बतावव .. अइसन बुता के पाछू .. राजनीति म नि रइहूँ त पुलुस मोला धाँध नइ दिही का .. ?  जनता मोला जियन दिही .. ? सरी दुनिया हा अपन पेट बिकारी बर कुछ न कुछ करथे .. महू ओकरे बर करथँव ... नइ करहूँ ... त कोन फोकट म खाय बर दिही .. ?  एक बात अऊ ... अतेक बुता  के पाछू ...  दूसर जगा म सुरक्षित रहि सकतेंव त ... एमा काबर आतेंव ? गऊकिन .. मोला समझ नइ आय .. लोगन काबर मोर आलोचना करत फिरत रहिथे ? जनता के आलोचना समझ आथे ... फेर जे खुदे उही हमाम म बुड़े नंगरा खुसरके पगुरात हे तहू मन .. मोला राजनीति करत हे कहिके घेरी बेरी हुदेलत कोचकत बखानत रहिथे । राजनीति करना हा बुरा काम आय का तेमा .. ?  अऊ यदि बुरा काम आय त मोला राजनीति करत हे कहवइया मन .. काबर खुदे उही म निंगे तऊरत डफोरत हे । 

कोन्हो भूख म मरगे तभो हम कुछ कहि नइ सकन .. कुछ भी कहिबो ... तहन राजनीति करत हे कहिके झंझेटथे । मरे मनखे ला न्याव देवाना हमर कर्तव्य नोहे का .. ? जियत हे तेला मरे म सहयोग करना हमरे धरम आय .. येमा कति मेर राजनीति हे तेमा ... ? कोन्हो अपमान ला मुड़ी म खाप के जियत हे ... कोन्हो सम्मान पाके मरत हे .. यहू ला कहि देथन तहन ... राजनीति करत हे कहिके ... हमर सातों पुरखा म पानी रितोय ला धरथे । काकरो समस्या उचा नइ सकन ... कन्हो ला का उचाबो ? हम ननपन ले .. बबा ददा ला राजनीति के सागर म डुबकी लगावत डफोरत देखे हन .. हमू ओकरे सेती राजनीति म आय रेहेन .. फेर ओमा बात बात म राजनीति करत हे कहिके .. हमर दिल ला अतका दुखा देथे के .. हम राजनीति म राजनीति करे बर मजबूर हो जथन । हम जानत हन येमा कतका का हे ..। अपन जिनगी सँवारे बर अऊ अपन लइका लोग के भविष्य बनाय बर हम राजनीति म खुसरे हन .. त काबर राजनीति नइ करबोन ? पाँच बछर म .. पचास बछर बर सरग बनाय के ताकत केवल अऊ केवल इही धंधा म हे .. त हम काबर छोंड़बो ... ?  हम योग्य रहितेन त दूसर बुता नइ करतेन गो .. काबर येमा आतेन .. अऊ सुनतेन ... ? 

राजनीति ले जादा पबरित बुता काय आय .. तुँही मन बोलव भलुक .. ? काकर घर काय होवइया हे .. कोन कतका दुख म परे हे .. कोन गाँव शहर म काय समस्या हे ... इही सबो के जनाकारी राखना अऊ ओला उजागर करके ओकर समाधान बर पहल करना हा बने बुता नोहे का .. ?  कोन कोन हमर रहत ले सुख म जियत हे .. कति गाँव काकर सेती समस्या विहीन बनिस .. ते बात मन ठीक थोरेन आय तेमा ... ? सत्ताधारी हा लोगन ला मुसेट के अकेल्ला अपन धोंध भरत हे तिही ला .. जनता ला बताना मोर हिसाब ले बने बुता आय .. फेर यहू ला कहि दे मा राजनीति के महक बगर जथे । कोन कतका खइस .. कोन कतका लीलिस .. काकर पेट म कतेक जगा म काय काय भराये हे .. येला कहि देबे ते राजनीति करत हे कहिथे । नइ कहिबे त ... सबो इही समझथे .. येकरो पेट म कुछ भाग खुसरे होही .. तभे कलेचुप बइठे हे । 

जम्मो मनखे मोला फोकट के खाथे समझथे ... मोर बारे म कतेक गलत खयाल रखथे .. । भगवान कसम फोकट म कभू नइ खाये हँव । एक नानुक उदाहरण बतावत हँव .. गाँव म सरकारी स्कूल बर भवन बनत रहय .. इंजीनियर हा दिन भर खड़े होके अपन आगू म बनवावत रहय .. फेर ओहा अतका नइ बता सकय के .. कतेक सीमेंट रेती के मसाला डराय हाबे । मेहा बिगन देखे बता देथँव के ओमा अतका कमजोर या अतका सजोर मसाला डराय हाबे .. अब तुमला लागत होही के येमा का मेहनत .. ? यदि हम मेहनत नइ करतेन त कइसे जानतेन ... ?  हम जे तिर मेहनत करेन तेहा ... कोन्हो ला दिखिस निही .. तेला हम का करबो ... ? 

बिहिनियाँ ले उचथन तहन इही सोंचथन के आज के दिन अच्छा बीतय .. । फेर जब मरे रोवइया हा हमर तिर म नइ आवय .. त हमर अच्छा दिन कतिहाँ ले आही .. । तब हमीं ला बाहिर निकले बर परथे .. हम जइसे बाहिर निकलथन .. त सबो इही समझेथे के काकरो टेंटवा ला मसके बर बाहिर निकले हे । जे गरीब ला राशन कार्ड नइ मिले हे तेला देवाये के उदिम करथन .. त ओमा काय गलत आय । अब बिहाने ले निकले हन त दू चार पइसा तो पाबेच करबोन ..। नइ कमाबो त हमरो तो अबड़ अकन परिवार हे .. कइसे चलही ? इँकर भरण पोषण के जुम्मेवारी हमरे आय । अतका हकर हकर के कमाथन तभो चारो मुड़ा ले ...बखानत .. फोकट म खावत हे कहिके ... हमर छाती म मूंग दरे ला धरथे । 

कोन हिंसा बगराथे कोन अहिंसा ... कोन लोगन ला रोजगार दे सकत हे कोन बेरोजगार बनावत हे .. कोन लोगन ला बइठे बइठे खवा सकत हे कोन बिगन मेहनत हाथ नी लगावन देवत हे .. कोन अमीर तनि हे कोन गरीब तनि .. कोन कर्मचारी ला मुसेटत हे कोन सहलावत हे .. कोन साव आय कोन चोर ... कोन हमर बर उपयोगी हे अऊ कोन अनुपयोगी ... समे देख .. हम सबो ला आजमा लेथन । आज जे हमर संग हे काली दूसर संग चल देथे .. परन दिन फेर हमरे तिर म लुहुर टुपुर करे ला धर लेथे ।. कोन कतका खावत हे .. कोन पचोवत हे .. कोन बिगन खाय हल्ला करत हे .. कोन सरी चाँट के खाय के पाछू ... । सब हिसाब लगाके कुर्सी म विराजमान होके जनता के सेवा करे बर हम जे बुता म हाथ अऊ मुँहु लगाथन ... कुर्सी ले वंचित हमर संगवारी मन बर .. इही सब राजनीति बन जथे । हम कोन्हो ला नमस्ते घला नइ कर सकन ... जब करथन त सबो ला इही लागथे के चुनाव आगे हे का .. ? बीच म कर देथन त .. सबो ला राजनीति करे के भ्रम हो जथे । 

हम राजनीति करे बर राजनीति म नइ आय रेहेन । हम खावव अऊ खावन दव म विश्वास करइया मनखे आन .. फेर कुछ समे ले न खाँव न खावन दँव कहत कहत .. कुछ मन घरोघर टायलेट ला खा डरिन । हम इही ला कहि पारेन .. तहन हमू राजनीति करइया बन गेन । गाँव के सेवा करबो .. गाँव के विकास करबो सोंच हम येमा उतरे रेहेन .. विकास करेन घला । गड्ढा म खचकेदार चिखला मतइया शानदार सड़क बना देन .. कागज म तरिया .. मुहुँ म कुँवा .. स्कूल भवन के भितर म पानी के भंडारन क्षमता बढ़वा देन .. गरीब ला राशन बर लाइन झन लगे ला परय कहिके .. ओकर राशन ला हम अपन घर ले आनेन .. । अऊ कतेक विकास करतेन गा तेमा .. ? गऊकिन अतका के करत ले हमर कनिहा सोझियागे अऊ विकास हा हमर तिर ले झन भागय कहिके .. तोलगी म लुकाके राखेन ..  बिकास भँड़वा हा .. रोगही महँगाई कस हमू ला बढ़ो दिस । हमर हाथ हा सइकिल ले स्कूटर तक पहुँच गिस। कुट कुट ले ईमानदारी देखाये के बावजूद ... पाँच बछर म केवल बीस एकड़ भुँइया बनिस । हमर मन हा .. उन्नत फसल कोति दऊँड़े लगिस । हम जनपद अध्यक्ष के कुर्सी तक पहुँच गेन । पाँच बछर म उत्पादन क्षमता म बहुतेच बढ़्होत्तरी होइस .. हमर घर म एक ठिन कार जामगे । उपर डहर विराजित मनखे मन ला पता चलिस । ओमन हमला चिन्ह डरिन अऊ अपन संग संघेरे बर उपर ले गिन । हम विधायक बन गेन अऊ ओकरो ले जादा उन्नत फसल लगा डरेन । हमर मेहनत के फसल के एक एक दाना बेंचाय लगिस .. हमर घर के बेड रूम म एक ठिन पइसा के पेंड़ धर लिस ? हम मंत्री .. सांसद बन गेन । फेर जब तक हमर कमई ला खाय बर .. दूसर के केवल मुँहु उलत रिहिस अऊ कलेचुप धोंध भरत रिहिस तब तक ... सब खुश रिहिन । कुछ कारण से कुछ मुहुँ खजवाय ला धर लिस अऊ कुछ धोंध हा कोटना बन गिस तहन .. हमर खुशी ला गरहन तिरना शुरू कर दिस । हम सोज सोज जीतत रेहेन तेकर सेती .. हमला अऊ दूसर बुता के आवसकता नइ परिस .. केवल खात रेहेन अऊ खवात रेहेन ... । फेर कुछ लोगन मन .. हमर से जनता ला नाखुश रेहे बर मजबूर करिन ... तहन हमला दूसर उदिम करे ला परिस ... तब लोगन हमला राजनीति करत हे कहिके जगा जगा बदनाम करे ला धरिन । हम इँकर आरोप ला झेलत भर ले झेलेन .. तहन जवाब देना शुरू करेन ... कोई जगा हाथ ले जवाब निकलिस कोई जगा मुँहु ले ... । हम अतेक दिन ले केवल नेता रेहेन ... अब राजनीति करइया राजनेता बन गेन । 


हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन , छुरा .

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