नानूकुन कहानी
" ओसरी पारी "
गाँव के गली म पानी भरे बर नल लगे हे l सार्वजनिक हरे l बिहनिया ले पानी भरे बर लाइन लग जथे l काम बूता के बेरा हड़बड़ी लकर धकर जल्दी म सबो झन रहिथे l
सब ला इही बेरा म भरना हे l सब ला अपन अपन बेरा म जल्दी जाना हे l
कुंती के घर ओकर ससुर बीमार हे l रात भर जागिन सब l घरके बूता काम बिन पानी के कइसे होही? पंचाईती नल बिहनिया 6 बजे खुल जथे l गुंडी,बाल्टी,हऊँला के लाइन लग जथे l
कुंती कहिस - मोला भरन दे ना गोमती l गोमती कहिस -पाछू आये हस ? पाछू तोर पारी हे l
कुंती कहिस -गोमती तोला बहिनी कहिथंव ना l
पानी बर, बहिनी दीदी के का नाता? अपन अपन पारी आथे l
कुंती बता तीस,सही कारन फेर
गोमती के मुड ला देख के कुछु नई कही सकीस l
ओसरी पारी ल देखत देखत ओकर घर ले खबर लेके ओकर परोसी पंचू आके कही थे - भउजी तोर ससुर मरगे!"
"चल जल्दी चल l "
"सुन के कुंती फ़फ़क के रोवत रोवत हौला ला खाली धर के आँखी ले आँसू बोहावत जाथे l "
गोमती घलो सुन के बोक ले होगे l सुकुरदुम (स्तब्ध )होगे l मने मन रोये ला धर लीस प्रयासश्चित करिस l अइसन अल्हन होही तेला कोन जान पाथे l
चार महीना के पहिली गोमती के सास चल बसे हे l उहू देखत देखत खटिया ले उठ नई पाये रहिस l ओ घड़ी बेरा के दसा ला गोमती देख डरे रहिस l कलपत रोवत गोमती कहत रहिस -
"बहिनी मय का जानव ओकरो जाये के पारी रहिसl
हे भगवान!बद्दी लगा देस मोर ऊपर l
गोमती के सेती देरी होइस कही लोगन मन l
" ऊपर कोती जाथे तौन ओखी लगाके जाथे l जेकर जाये के बेरा आथे तेन ला कोनो नई जाने हे आज ले l लगे हे जाना एक दिन ओसरी पारी l उंकर आत्मा भटकत रहिथे परोसी बतावत रहिस l "
कुंती फफक के रोवत हे!
जाति बिराती जल नई पिया सकेंव?
जल्दी म चल देस हमन ला छोड़ के l
कौसिलल्ला खांध म हाथ रख के चुप कराथे - "चुप हो जा गोमती!
ओसरी पारी सब जाथे l मोर इंहा भैय्या पहिली गईस,पाछू भउजी गिस l ओसरी पारी लगे हे l "
मुरारी लाल साव
कुम्हारी
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