Monday, 23 September 2024

नानूकुन कहानी " ओसरी पारी "

 नानूकुन कहानी 

    " ओसरी पारी "

गाँव के गली म  पानी भरे बर नल लगे हे l  सार्वजनिक हरे l बिहनिया ले पानी भरे बर  लाइन लग जथे l  काम बूता के बेरा हड़बड़ी लकर धकर जल्दी म सबो झन रहिथे l

सब ला इही बेरा म भरना हे l सब ला अपन अपन बेरा म जल्दी जाना हे l 

कुंती के घर ओकर ससुर बीमार हे l रात भर जागिन सब l घरके बूता काम बिन पानी के कइसे होही? पंचाईती नल बिहनिया 6 बजे खुल जथे  l गुंडी,बाल्टी,हऊँला  के लाइन लग जथे l 

कुंती कहिस  - मोला भरन दे ना गोमती l गोमती कहिस -पाछू  आये हस ? पाछू  तोर पारी हे l

कुंती कहिस -गोमती तोला बहिनी  कहिथंव ना l 

पानी बर, बहिनी  दीदी के का नाता? अपन अपन पारी आथे l

कुंती बता तीस,सही कारन फेर 

गोमती के मुड ला देख के कुछु  नई कही सकीस l

ओसरी पारी ल देखत  देखत ओकर घर ले खबर लेके ओकर परोसी पंचू आके कही थे  - भउजी तोर ससुर मरगे!"

"चल  जल्दी चल l "

"सुन के कुंती  फ़फ़क के  रोवत रोवत  हौला ला खाली धर के आँखी ले आँसू बोहावत जाथे l "

गोमती घलो सुन के बोक ले होगे l सुकुरदुम (स्तब्ध )होगे l मने मन रोये ला धर लीस प्रयासश्चित करिस  l अइसन अल्हन होही तेला कोन जान पाथे l 


चार महीना के पहिली गोमती के सास चल बसे हे l उहू देखत देखत खटिया ले उठ नई पाये रहिस l ओ घड़ी बेरा के दसा ला गोमती देख डरे रहिस l कलपत रोवत गोमती कहत रहिस -

"बहिनी  मय का जानव ओकरो जाये के पारी रहिसl 

हे भगवान!बद्दी लगा देस  मोर ऊपर  l 

गोमती के सेती देरी होइस कही लोगन मन l

" ऊपर कोती जाथे  तौन ओखी लगाके जाथे l जेकर जाये के बेरा आथे  तेन  ला कोनो नई जाने हे आज ले l लगे हे जाना एक दिन  ओसरी पारी l  उंकर आत्मा भटकत रहिथे परोसी  बतावत रहिस l  "

कुंती फफक के रोवत हे!

जाति बिराती  जल नई पिया सकेंव?

जल्दी म चल देस हमन ला छोड़ के l  

कौसिलल्ला खांध म हाथ रख के चुप कराथे - "चुप हो जा गोमती!

ओसरी पारी सब जाथे l मोर इंहा भैय्या पहिली गईस,पाछू भउजी गिस l  ओसरी पारी  लगे हे l "



मुरारी लाल साव 

कुम्हारी

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