Monday, 23 September 2024

मास्टर झड़ीराम

 मास्टर झड़ीराम

         अस्पताल के बिस्तर म परे-परे मास्टर के हालत दिनो दिन अउ बिगड़त राहय। बेटा, बेटी, पत्नी कोनो ल थोरको वोखर चिंता नइ राहय। फेर कोन ध्यान दय पागल अपाहिज ऊपर। अब तो डाक्टर,नर्स मन ही वोखर देख-रेख करँय। पईसा रुपया के थोरको कमी नइ हे, फेर वोखर बिमारी के कोनो ईलाज घलो नइ हे। 

आज चार महीना होगे राहय पागलखाना म भर्ती होय फेर थोरको फरक नइ परे हे। जब भी जोर- जोर से चिल्लावय अउ भागे ल धरय धर पकड़ के सुजी लगा दँय तहले चार-छय घण्टा तक बेहूस। हाथ म हथकड़ी पाँव मे बेड़ी चौबीसो घण्टा लगे हे। बाहिर म सख्त पहरा लगे हे नानकुन टेटका घलो नइ बुलक सकय। मास्टर के आँखी म टकटकी लगे राहय, अइसे लगय जइसे कोनो चीज के चित्र ह वोखर आँखी म झूलना बरोबर झूलत हे। अउ आँसू के धार चार महीना ले अनवरत बोहावत राहय।

बहुत दिन ले कुछु शोर संदेश नइ पईस त एक दिन उहाँ वोखर जिगरी दोस्त डाँ.तिवारी ह मास्टर संग मिले खातिर वोखर घर गिस ,त पता चलिस कि वोहा तो आज चार महीना होगे हे ,पागलखाना म भरती हे।सुनके तो जइसे तिवारी जी के तरुवा सुखागे, उहू ह मनोरोगी चिकित्सक रिहिस फेर का जानय मास्टर के अइसन हाल ल । ठउँका कुछु पुछे बर मुहु उलावत रिहिस वोतकेच बेर मास्टरीन जुली ढमकत-ढमकत निकलिस लाली रंग के चमचमावत एम्बेसडर कार म टाटा बाय करत बइठ के भुस ले चलदीस। मास्टरीन के उमर पचास बरीस के होगे राहय फेर सवाँगा सोलह बछर के टूरी घलो फेल खा जतिस,नान नान हिप्पी चूंदी, मिनीफ्राक, फदफद ले लिपिस्टिक, चार आंगुर के बहकट्टी पोलखा, हाथ म घड़ी, सेन्डिल भी उँचा एड़ी वाले, अपन कंधा म लंबा बेग वोरमाए सोनपुतरी बरोबर सजे धजे राहय। आया बाईमन बतइन कि वोहा तो अभी अपन एक पुरुष मित्र के बर्थडे म शामिल होय बर जात हे, दु तीन बजे रात तक आही। बेटा, बेटी-दामाद सब अपन-अपन नौकरी अउ व्यवसाय म मस्त हें। करोड़ो रुपया के कारोबार फइले राहय, कोनो ल तिवारी करा दू मिनट बइठे के फुरसत नइ राहय थोड़ा बहुत जान पहचान रिहिस उहू ह हाय हैलो तक सिमीत रहि जाय। थोरिक देर गुंगखाय कस बइठे रिहिस अउ एक झन जान पहचान के सेकेटरी ह वोखर चाय, नास्ता सबके बेवस्था करिस पर मित्र के बिना सब अखरत रिहिस। सेकेटरी ल पागलखाना के पता पुछ के निकल चलिस।


तिवारी पागलखाना म बिकट बेर ले अगोरा करिस तब कही जाके मास्टर संग मिलन दीन। जाके देखिस त फर्श म पड़े मास्टर के लंबा-लंबा चुंदी अउ दाड़ी पटवा डोरी कस झूलत राहय, लाल-लाल अंगरा कस आँखी बइहा -भुतहा कस चिरहा-गोंदहा कपड़ा, हाँथ-गोड़ म हथकड़ी अउ बेली भयंकर बिकराल भयावह रुप दिखय, एक क्षण भर तो तिवारी जी के जीव छटाक भर होगे ,रुवाँ-रुवाँ काँप गिस अइसे लगीस जइसे शेर के मांद मे खुसर गेहे, फेर अपन आप हिम्मत करके अउ जय बजरंग बली के नाम लेके जबर छाती करके पीठ ल थपथपावत सहलावत ये झड़ीराम-ये झड़ीराम उठ तो देख मँय कोन आय हँव तोर संगवारी मितान तिवारी। का सकल सुरत बना डारे हस। निच्चट बइहा-भूतहा कस दिखत हस चल उठ कहत जोर से चेचकारिस। त आवाज ल सुनके झड़ीराम चउँकगे। ये मोर कान म अतेक मीठ-मीठ अउ गुरुतुर आवाज कहाँ ले आवत हे। कनघटोर लगा के दू चार घाँव अउ सुनलीस त रटपटाके उठीस। आघु म तिवारी खड़े राहय। आँखी ल मल मलके देखे लागिस, सपना आय कि सिरतोन हाथ म छू के देखिस अउ तिवारी ल पोटार -पोटार के बोमफार के रोय लागिस अतका रोइस कि तिवारी के कमीज पाछू डहन गदगद ले फिंज गे।

बातचीत आगे बढ़ीस त पता चलीस कि वोहा कोनो पागल बइहा नइहे। लाख कोशिस अउ अरजी बिनती करे के बाद घलो वोला छत्तीसगढ नइ जान दीन अउ इही बात के गुस्सा अउ तनाव म भारी उपद्रव कर डरीस। खाना पीना सब ला छोंड़ दे रिहिस त अस्पताल म भर्ती कर दीन। एक दिन हाथ म लगे पाइप बाटल सुदधा खिड़की ले कूद के भागे लगीस त एक गोड़ के हड्डी टूटगे उही दिन ले सब के सब घर बाहिर पागल समझे लागिन। अब तो एक गुमनाम अउ बेंवारस जिंदगी जिये बर काल कोठरी म कैद होगे हँव मितान कहत सिसक-सिसक के रोय लागिस। ये पागलखाना मोर बर नरक के समान हे मितान इहाँ मँय जिंदा लाश बनके रिगे हँव कइसनो करके मोर छुट्टी करा दे कहत  मूड़ पटक-पटक के रोय लागिस। मास्टर के बेहाल अउ बदहाल जिंदगी ल देख के तिवारी अन्दर तक सिहरगे। वोखर भीतर मातृभूमि खातिर प्रेम अउ भक्ति भाव देख के अपनो गदगद-गदगद रो भरीस। अपन मित्र ल बंधुवा मजदुर ले बदतर नारकीय जिंदगी ले छोंड़ाय बर मने मन परन करिस अउ अस्पताल ले घर फोन लगाइस। पत्नी तो जइसे पिटपिटी साँप कस तलमलागे। फेर बेटा जानसन दस मिनट बर आइस। तिवारी संग बातचीत म उहू अतका संतुष्ट होगे कि तुरन्त अस्पताल ले वोखर छुट्टी करा दीस घर लेगे बर 


पिताजी ल बिकट मनइस फेर झड़ी राम नइ मानिस त तिवारी जी ल सरी जवाबदारी सउँप के वोखरे घर रेहे के पूरा बेवस्था करके चल दीस। 

                              आज दू महीना होगे राहय तिवारी घर आय वोखर हालत तेजी से सुधरे लागिस फेर तिवारी तिवरनिन दुनो छत्तीसगढ़ के मूल निवासी रिहिन। समय समय म वोखर संग वोखर खुशी खातिर छत्तीसगढ़ी बोली म घलो गोठियावँय। इही सब बात ल गुनत मास्टर सोचथे हे! भगवान मँय कतका अभागा रेहेंव जेन माँ-बाप के कहना थेारको नइ मानेव । संगवारी मन संग अमेरिका आय के अइसे भूत सवार होय रिहिस कि पैठू खार के पाँच एकड़ धनहा डोली खड़े फसल म बेचाय रिहिस , इहाँ पढ़ते-पढ़त अमेरिकी लड़की संग परेम म अतका फँसगे कि आज तक इहें के होगे। कतका अच्छा ससुर मिले रिहिस जेन अपन करोड़ो के मालिक मोला बनाके स्वर्ग सिधारगे अउ इही आज मोर जी के जंजाल बनगे हे। 

                 आज बीस साल बाद तब अउ अब म कतका अन्तर आगे हे सब कुछ बदल गेहे कतका कमी आगे हे जुली के आदत  व्यवहार म नौकर से भी बदतर समझथे। जाहिल गंवार बिना बाते नइ करय बेटा-बेटी मन तो अमेरिकी वातावरण म अइसे घुल-मिल गेहे कि शिष्टाचार अउ रिश्ता सब ल मजाक समझथें। कुछ डाटना, फटकारना तो जइसे पाप हे।

       जब तक ऊंट पहाड़ म नइ चढ़य भरभस नइ टूटय। फिर परेम ह परेम होथे। जुली संग परेम म वो अतका अंधरा होगे रिहिस कि माँ-बाप के काठी-माटी म घलो नइ सँघरिस। पाश्चात्य संस्कृति के मोह म अतका बावला होगे रिहिस कि अपन भूत भविष्य सब भूलागे। सेंट ब्रिज कालेज के जाने-माने हिन्दी प्रोफेसर अपने घर म घृणा अउ तिरस्कार के जिंदगी जिये बर मजबूर होगे। मैडम के वफादार चरणदास जोरू के गुलाम या मेंड़वा जो भी कहना हे सब फिट बइठ जथे।

             अमेरिका वाह रे। अमेरिका जिहाँ के  रग-रग म पाश्चात्य संस्कृति के जहर  अइसे घुल-मिल गेहे कि रिश्ता-नाता , इज्जत, मान, सम्मान खिलौना अउ मजाक बनके रिगे हे रोज टूटना और जुड़ना उहाँ के संस्कृति बनत जात हे। बिहाव ल उहाँ एक समझौता के रूप म विकसित कर दे गेहे। तलाक खेल मजाक होगे हे एक-एक झन आदमी दसो ठन बिहाव करत हें बुढ़िया मन घलो तलाक लेके जवान साथी संग बिहाव रचाथें अउ बुढ़वा मन तलाक 


ले के नान-नान टूरी मन संग बिहाव रचाथें। शादीशुदा संग इश्क फरमाना जइसे उहाँ के फैशन बनगे हे। ऐती-वोती नजर दउँड़ाके देख ले, चारो कोती एक न एक अलकरहा जोड़ी जरूर देखे म मिल जही जेन ल हमन बाप-बेटी, महतारी बेटा समझबो पता चलथे त वोमन पति-पत्नी (एक साथ डेटिंग) निकलथे। इही जब फैशन परस्ती ल देख के एक मिनट रेहे के मन नइ करय फेर का करबे घोड़ा के गोड़ म टोटा दबे रिथे त सारेच म भलई हे। भगवान वोला तलाक ले जरूर बचाय रिहिस पर पति वो नाम मात्र के रिगे रिहिस। बस मेड़वा पत्नी जुली कतको बेर, कोनो दिन, कोनो समय, कखरो संग आय-जाय बोले के अधिकार नइ रिहिस।

                              फेर वोखरे नही सब घर के महिला चटक-नटक पाबे। दोस्त संग जाना देर रात तक आना पार्टी मे नाचना-गाना ,रम के पेग धरे थिरकना आम बात होगे हे। पति पत्नी के पावन रिश्ता उहाँ अइसे दर-दर ठोकर खात हे कि बच्चा मन के भविष्य अंधकारमय होगे हे। माँ-बाप हो के लावारिस होगे हें। चारो मुडा़ अँगरेजी के अइसे मायाजाल फइले हे कि सभ्यता अउ संस्कृति शर्मिंदा हो जथे । आज छत्तीसगढ़ के झड़ी राम कांवरे अमेरिका मे झडीरेम कवरा होगे हे। शुद्ध अपन नाम सुने बर कान तरसगे रिहस । जी अतका उचाट मारय कि तुरंत भागे के मन हो जाय इही भागे के चक्कर म एक बार एकसीडेन्ट होय रिहस जेमा एक पैर अपंग होगे। बिस्तर म कभू सुतय-कभू उठय मास्टर ल नींद नइ आवय बार-बार सोचय आखिर वो अपन अतेक भरे-पूरे परिवार ल छोड़े के मन काबर कइसे बनाइस। वोखर बाप चार गाँव के गौटिया रिहिस, बड़े ठाकुर के नाम से तिर तार के सब गाँव जानय। पटवारी ममा के बेटी संग चुमाचाटी होगे रिहिस। आखिर कोनो कमी नइ रिहिस ऊखर प्यार दुलार मे फेर मे कतका अभागा बेटा रेहेंव जेन जीते जी माँ-बाप के सरी सपना के खून कर देंव कहत भीतरे -भीतर दंदर-दंदर के रोय लागिस।

                            तिवारी  अमेरिका म राहय जरूर फेर छत्तीसगढ़ी संस्कृति के बड़ा पुजारी रिहिन, घर मे रमायन, गीता,भागवत, गंगाजल, ठाकुर जी, शंख घंटी बड़े ही शान के साथ पूजा खोली मे रखय साथ मे छत्तीसगढ़ी भजन पुस्तक गीत के कैसेड,सीडी, डीवीडी, घलो राखे राहय। एक दिन मास्टर खाना खाके सुते राहय वोखर कान मे अचानक छत्तीसगढ़ी गीत गूंजे लागिस - अरपा पैरी के धार माहानदी हे अपार इन्द्रावती ह पखारे तोर पइयाँ महूँ माथ नवावव भुइयाँ जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मइयाँ सुन के मास्टर के चोला गदगद होगे। थपड़ी पीट-पीट के नाचे लागिस -वाह मोर छत्तीसगढ़ महतारी मेहा तोला कइसे बीरान 



समझके इहाँ आयेंव दाई मोला अपन अचरा के छाँव म बला ले दाई, नजरे-नजर म छत्तीसगढ़ के पावन धरती दरपन बरोबर आँखी-आँखी म झुले लागिस ,गाना के धुन म अतका मतवाला होके बइहा बरन नाचत रिहिस कि कतका बेर के तिवारी -तिवरनीन आघु म खड़े राहय होश नइ रिगे रिहिस। दुनो पति-पत्नी वोखर जुनून ल देख के अपन आँसु नइ रोक सकिन।

                      आज तो मास्टर खाना पीना सबला त्याग दीस एकेठन हठ धरलिस की मोला मोर भारत अमरादे ,मोर छत्तीसगढ़ महतारी के कोरा म पहुँचादे, बस मिट्ठू रटन लगा दिस। तिवारी जी वोखर देशभक्ति अउ दीवानगी ल देख के अपन आप ल घलो नइ रोक सकिस तुरंत वोखर घर फोन लगाइस अउ मास्टर के सब  हाल-चाल ल बतादीस। पत्नी नइ आइस, फेर काबर आतिस ? जेन मास्टर के बिना अपन जीवन ल अधूरा समझय आज उही मास्टर ल पताल पान मे घलो नइ सुँघय। बेटा जानसन अउ बेटी रीना आइन। वोखर देश भक्ति से सराबोर तनमन ल देख के ऊखरो दिल दहलगे ऊखर कठोर करेजा आज चानी-चानी होगे। वास्तव मे हमर पिता जी पागल बइहा नइ हे शायद वोखर ईशारा ल हमन वोखरे लइका होके घलो नइ समझ सकेन ऊखरो आँखी डबडबागे। ठीक है तिवारी जी आप संग मे जाकर पूरी व्यवथा करना कीके वोखर सरी जवाबदारी ल सउँप के दुनो भाई-बहन चल दिन। 

                                आज मास्टर बिकट खुश हे। भारत आय बर जइसे हि तिवारी संग हवाई जहाज म बैठिस सरी अंग म गुदगुदी समागे। मन होवय खलखलाके हाँस लेतिस पर का करय बाकी सवारी मन वोला बइहा-भुतहा समझतीन अउ उतार घलो देतीन, मन ल बांध के चुरमुटाय बइठे राहय। जिहाज चिरई कस सरग म उड़ावत रहाय अउ मास्टर के आँखी-आँखी म अँगना गली म मेंछरावत बछरू, बरदी के बरदी गरूवा, टेपरा घुंघरू के आवाज कान में बाजे लागिस। छेना बीनत छेनहारिन , पानी भरत पनिहारिन, चाऊर निमारत काकी, पहाड़ ले मीठ-मीठ बोली बोलत मयना, गली मे भुंकरत गोल्लर सब झूलना बरोबर आँखी-आँखी म झूले लागिस।  फेर अमेरिका म तो सब जानवर माटी के लोंदा आय। घोस-घोस ले पलगे हे हमर छत्तीसगढ़ के दैहनहा पड़वा अउ चिरई गोल्लर ल देख के पोंक डरही। नीचे  डहन जिहाज आके रूकिस त रटपटाके उठीस। कतका बेर मुंबई आइस पता नइ चलिस । हाथ धरके तिवारी उतारिस । हवाई अड्डा म झड़ीराम डण्डाशरण गिरगे । जय हो मोर भारती दाई तोर गोदी म आय बर कब के तरसत रेहेंव माता कहत गदगद गदगद रो भरीस। 



तिवारी जी सम्हाल के वोला फेर आगे बढ़ीस ।  

                छत्तीसगढ़ आये बर जइसे हि हेलीकाँप्टर म बइठिस अपने अपन दूनो आँखी  ले आसू टपके लागिस  फेर छत्तीसगढ़ आये बर तो कब के मन ह चहकत रिहिस, आज वोखर बरसो पुराना सपना पूरा होगे। मन चिरई पिला  कस अकूलावत राहय। दिन के दू बजे माना विमान तल मे जइसे हि विमान ले तिवारी मास्टर ल उतारिस झड़ी राम ऐती- वोती घोण्डे लागिस । दू चार घाँव उलानबाटी घलो खागे । बार बार घोलण्ड-घोलण्ड के छत्तीसगढ़ महतारी ल माफी माँगत सिहर-सिहर के रोय लागिस । मे कतका मूरख अनपढ़ रेहेंव दाई जेन तोर कोरा ल छोड़ के विदेश चले गे रेहेंव मोला अपनाले दाई, मोला अपनाले दाई कहत धड़ाम ले फेर गिरगे । छत्तीसगढ़ महतारी के कोरा मे परे मास्टर ल तिवारी जी सम्हाले लागिस । तभो ले अइरी चिरई कस चिभोरे लागिस ।

                  आज के रात मास्टर ल थोरको नींद नइ आइस। होटल के कमरा म कभू सुतय, कभू उठय फेर नींदया रानी जइसे बइरी होगे। आँखी -आँखी  म अमेरिका अउ छत्तीसगढ़ के तुलना कर-करके वीडियो कस चित्र आघू-आघू म घुमे लागिस। वाह रे अमेरिका जिहाँ पिसान झोले के झोलनी म इज्जत बाँचही कीथे। बाथरुम के कपड़ा पहिन के शादी, समारोह, पार्टी म जाथें। जेन पुरुष मन खुल्ला बदन रीं सकथें तेन मन गोड़ ले मूड़ तक मोजा, जूता, सफारी, टाई, चश्मा, टोपी पहिने हें, अउ जेन महिला मन ल मर्यादित ढंग से रहना हे तेन मन नाम मात्र के बदन ऊघारु कपड़ा पहिने हें तेनो मन रंग-ढंग नइ हे। दुनो बाँही, जाँघ, पीठ, पेट ल उघार के घुमथें। नाम बड़े दरशन छोटे | केहे म धनवान अमेरिका फेर कपड़ा लत्ता बर कंगला होगे हे। नाम अमेरिका अइसे लगथे अमर रिहि का ?  पर ये अमर रिगे त ईखर देखा-देखी सारी दुनिया बिगड़ जहीं। उहाँ के फास्ट फूड, पिज्जा, बर्गर म कहाँ सवाद पाबे।सवाद तो हमर छत्तीसगढ़ के चीला, फरा, मुठिया, ठेठरी, खुरमी म रिथे। वो तो कई दिन उहाँ घलो बासी खावय तेखर  मजाक बन जाय वोला सड़े बासी खाने वाला काहँय। कंझावत नींद म झकनाके उठीस त चार बजत राहय। सुबे के अगोरा करत आँखी  ले आँसू मऊहा कस टपाटप चूहे लागिस।

बस्तर जिहाँ आके लोगन मन बस तर जथे। जी हा धन्य हे उहाँ के माटी, मनोहर सुन्दर घाटी, नदी, नरवा, झील, झरना, पर्वत अउ जीवनदायिनि

 


इन्द्रावती मैया। धन्य हे उहाँ के माटी जिहाँ नाना प्रकार के रतन के खजाना गड़े पड़े हे। अपन गाँव तो सबला बड़ा प्यारा होथे। जीप म बइठे-बइठे झड़ीराम अपन गाँव मे बीते बचपन ल सुरता करत राहय। ऊखर एकड़ भर के कोठार म अनसनहार पैरावट गंजाय राहय, गोर्रा भर  डिल्ला गरुवा मन जब हूदन-हूदन खाय राहँय तब सइघो जरजर खोलाय राहय, टीप खेलत-खेलत लइका मन ऊही खोल म लुकाय जाँय। अघ्घन पूश म कुतिया मन घलो उहें जमनय। बड़े-बड़े भइसा, पहाटिया संग धोय बर तरिया जाय त पहटिया बबा ह भइसा ऊपर फलास के बइठार दय। गिल्ली डण्डा, खोखो, चर्रा, लंगड़ी, बितंगी सब खेल म बड़ा आनंद आवय। फटले ब्रेक मारीस त झकनागे। चालीस कि.मी. बस्तर ले वोखर गाँव दूरिहा रिहिस अइसे लागिस जइसे चार मिनट म आगे | डॉ.तिवारी ह हाथ धरके उतारिस। वाह मोर मयारु गाँव सरगटोला कतका सुन्दर हे। मोर कतेक सुघ्घर गाँव जइसे लक्ष्मी जी के पाँव कहत कूद-कूद के नाचे लागिस। लइका मन बर खेल-तमाशा होगे। गाँव भरके लोगन जुरियागें। तिवारी जी वोखर परिचय कराइस त सब दंग पतियागें। कका, काकी, भाई, भतीजा, बहू सब मिले बर दउँड़गें। खुशी के मारे बक्का नइ फूटय नान्हेपन के संगवारी मन पोटार-पोटार के रोय लागिन।

                       आज तो गाँव म जइसे तिहार होगे। बड़े जक बंगुनिया म सब बर चाय बनइन अउ सबला चाय बिस्कुट,  मिच्चर के पार्टी दीस। छट्ठी वाले घर कस लगे लागिस। जहुंरिया संगवारी मन दू चार ठन एटम बम फटाका घलो फोड़ीन। मास्टर के जी गदगद होगे। तिवारी जी ह वोखर रेहे बसे के सब व्यवस्था सुघ्घर ढंग ले करिस। बीस लाख रुपया जानसन ह तिवारी जी ल आय के बेर दे रिहिस।

रोज मास्टर झड़ीराम खा पी के गुड़ी चउँक मे बइठय तँहले गाँव भर जुरिया जाँय  अउ अमेरिका म बिताये वोखर दिन ल पूछयँ। काला बतावव रे बाबू हो कहय अउ शुरु हो जाय। अमेरिका के फूहड़ अउ विकृत संस्कृति दुनिया बर खतरनाक हे । वोमन अपन अंधरा संस्कृति ल विकसित संस्कृति कीथे। खुलेआम लड़का-लड़की दोस्त बनके रिथें । आधी रात ले घुमथें। बिना बरबिहाव के एके साथ एके कमरा म रिथें। कोनो टोकइया, बरजइया नइ हे। सुरक्षित यौन संबंध के तरफदारी करइया मन पूरा देश के इज्जत ल बेंच दीन। लड़का- लड़की दोस्ती ल चाहे कोनो लाख जायज ठहरा दँय पर विपरीत लिंग म दोस्ती कभू अच्छा नइ होय। दोस्ती म पवित्रता बिरले ही री पाही।  हर दू आदमी के पीछे



 उहाँ कार जरुर मिल जाहि, पर दु परिवार मे  पवित्र प्यार कभू खोजे म नइ मिलय। टूरा-टूरी मन ल देखबे त चिन्हारी नइ हे फेर काला चीन सकबे टूरी मनके हिप्पी चूंदी, जींस, टाउजर, चश्मा, टोपी हूबहू टूरा मन कस दिखथे। उहाँ के टुरी मन ल काला कीबे चटाचट गाल ल धरके चूम देथें। दू चार घाँव वोखरो संग आइसने करीन त कालेज ल छोंड़ के पल्ला भागँव, किहिस तँहले सब खलखल-खलखल हाँसे लागिन।

          अमेरिका के बात सुनेबर सब एक गोड़ म खड़े राहँय। पेट भर खा लँय अउ झड़ी मास्टर ल चारो मुड़ा कमरछठ कहानी कस घेर के बईठ जाँय, तँह ले मास्टर घलो शुरु हो जाय | ले भई अब कान देके निच्चट सुनहु। तुमन ल तो जतके सुनाथँव वोतके तुँहर साध नइ बुताय। कतका बतावव कईठन बात तो बताय म घलो शरम लागथे। अमेरिका म पुरुश ह पुरुष संग अउ महिला ह महिला संग घलो जोड़ी बनाके रिथें। कानून वाला मन घलो लाचार होगे हें। अब तो ये छूत सब देश म फईलत हे। पऊला भऊजी  दंग पतियागे। खड़ा होके इही ल कलयुग कीथे ईखरे मूड़ म कलयुग झपागे हे। कलयुग कतका खरागे हे जइसन चरितर कभू देखे नइ रेहेन तइसन चरितर सुने ल मिलथे। भला टूरा मनबर टूरी के का दुकाल अउ टूरी मन बर टूरा के का अंकाल परगे हे। अंधरा घलो अपन रद्दा टमड़ लेथे पर आदमी आज आँखी  होके घलो अंधरा होगे हे। येमन जंगली जानवर ले घलो गे बीते होगे हें। हमर इहाँ तो जंगली जानवर मन घलो ,पक्षी मन घलो नर मादा रुप मे जोड़ी बनाके रिथें। भगवान के बनाय जाँवर जोड़ी ल मजाक बना देहें। भगवान के रचना के खिल्ली उड़इया आइसन हमजाँवर जोड़ी मन ल तुरंत जेल म ठूस देना चाही अउ फाँसी दे देना चाही। वाह! पऊला भऊजी वाह! अब तो तुहीं ल विधायक बनाय बर परही कहके माघू कका ह अंखियईस तँहले सब खलखल-खलखल हाँसे लागिन।

                           ले भई एक बात अउ सुनव कीके मास्टर खड़ा होइस। ये मोर मेंछा अउ माई चुटईया ल देखत हव ना। शुरू-शुरू म उहाँ बिकट आदमी ईखर खिल्ली उड़ाय। पर मेछा तो मरद के पहचान आय। जइसे बिना पूंछ के बंदर वइसने बिना मूंछ के मरद शोभा नइ दय। मेछा पुरूष के शान होथे येमा पुरूषार्थ के शक्ति छिपे रिथे। उहाँ कहाँ पाबे सब मेहला कस दिखथें। फेर हमर छत्तीसगढ़ म तो बाप के जियत ले सबो मेछा मुड़ाय के परंपरा घलो नइ हें। कभू-कभू लगय ये मन एक न एक दिन मोर मेछा म घलो शोध करही का ?  कालेज के भव्य सेमीनार म मेछा, माई चुटई अउ सायकल के बारे म जब 



दहाड़ेव त सब दंग पतियागें। मोर माई चुटई के खिल्ली उड़ईया मन खामोश होगें | मै दबंग आवाज म बोलेंव जेन मोर माई चुटई के हाँसी उड़ाथें का उनला कुछ पता हे कि माई चुटई हमर शरीर बर उही प्रकार ले काम करथे जेन प्रकार से टेलीविजन बर एंटीना अउ डिश एंटीना। मन म साफ-सुथरा अचार-विचार ज्ञान सब दिमाग म ज्ञान के स्त्रोत बर ये माइचुटई सीधा प्रभावित करथे। शिक्षामंत्री सर डिंग-डांग डिंगहा लफंगा जी बड़ा खुश रिहिस। इनाम घलो दिस |

                          साईकल चलाय के महत्व ल जब बताय त सब वो दरी हाँसय अउ आज उही अमेरिका म सुबे शाम जागिंग के नाम से साईकलिंग चलत हे। डाईटिंग के भूत उतारे बर सबला वोखरे सहारा ले बर परत हे।कतको झन मेछा  अउ चुटई घलो राखे ल धर लिन । कतको झन मोर लिखे पुस्तक पढ़थें । दू चार पुस्तक तो घर -घर म घलो मिल जही।का बढीया बात बताय मास्टर कका तब तो तै उहाँ के हीरो रेहे कीके सबझन हाँसत-हाँसत लोटपोट होगें।

ले आज का सुनावथस मास्टर कीके बाठू कका कोचकीस त मास्टर घलो उहाँ के बात बताय म थोरको कंजूसी नइ करय। ऊहू ल लगय जइसे उहाँ के बात बताय म वोखर पाप हरु हो जथे। लंबा-लंबा सांस लीस अउ शुरु होगे कि जइसे हमर इहाँ बादर ले पानी छनकथे वोइसने उहाँ  शादी,पार्टी,समारोह म जाम छलकथे। टूरी जातमन फकर-फकर सिगरेट फूंकथे। छकत ले शराब पीथें अउ अपन पति ल छोंड़ के दूसर के पति संग ढकम-ढकम नाचथें। वोइसने टूरा जात मन घलो अपन पत्नी ल छोंड़ के दूसर के बाई संग कनिहा धरके डडंग-डडंग नाचथें। आइसन फुहड़ आजादी ल जेला देख के सभ्यता, संस्कृति, मर्यादा सब पानी-पानी हो जथे। हमर देश म तो पशु-पक्षी मन घलो जब जोंड़ी बना के रेहें के शुरु करथें त दूसर के जाँवर जोड़ी डहन लहुट के नइ देखयँ। सत ईमान से जोड़ी धर निभाथें। पर अमेरिका म आदमी-औरत के जोड़ी के अतका दुर्गती होगे के कि दुर्गती कुकुर गति तक पहुँच गेहें। पत्नी मन हाथ गोड़ के टूटत ले पति मन ल मार के थाऊ बइठा देथे। अब देखव भई तहूँ मन बेलना, बाहरी, लाठी, बेड़गा ल तिरिया के राखहू। कोन जाने कतका बेरा उहाँ के भूत हमरों इहाँ आ जही। बात सुन के सब ठहाका मार-मार के हाँसे लागिन। रामू कका तो  हाँसत- हाँसत अउ खाँसत-खाँसत अकबकागे का करय बिचारा श्वाँस दमा के पुराना रोगी रिहिस।

                              


         बुटिया काकी चौपाल म आके दू लाख रूपया ल झड़ी मास्टर ल दीस अउ गोहार पारके रो भरीस, सबके आँसू  डबडबागे। परिहार इही दिन बादर म वोखर जवान बेटा लकड़ी लाये बर जंगल गे रिहिस का करय बिचारा? साथी मन छोड़ के भाग गें। हाथी मन के झुंड पटक-पटक मार डरीस। सरकार दू लाख रूपया दे रिहिस। झड़ी मास्टर काकी ल बिकट समझईस देख काकी जंगली जानवर मनके जतका उत्पात होवत हे वोखर बर हमू मन जिमेदार हन। भरूहा काट के हमर माँ-बाप मन बसे रिहिन  । आज जंगल ल काट- काट के सब तबाह करदीन। विकास के नाम म जंगल उजार होवत हे ऐखरे सेती जंगली-जानवर मन गाँव -गाँव  के तीर म आथें। पेड़-पऊधा के रनपेट कटई के सेती पानी कांजी घलो नंदागे। धरती माता संग रोज छेड़खानी होवत हे। भगवान के बनाय रचना संग रोज अत्याचार होवत हे। वैज्ञानिक मन शाबासी लूटे बर रोज नावा-नावा भद्दा परयोग घलो करत हें। सुअर संग हमर गऊमाता के क्रास कराके जरसी नस्ल पईदा करदीन। दूध बढ़ाय के नाम म आज हमर शुद्ध गऊमाता के अस्तित्व ह संकट म परगे हे आइसन बेर्रा परयोग ल येमन वर्णशंकर कीथे शंकर भगवान के नाम ल भँजाय बर घलो पाछू नइ हे। आइसन जरसी गाय मन तुतरू कस मुंहुफार के घिघियाथें, हमर देशी गाय कस फटकार के नइ रंभा सकयँ। येला येमन सफलता कीथें। ये सफलता नही कलंकता आय। कोनो पशु पक्षी ईखर मारे नइ बाँचत हें ऊखर जीव पुतकी अमागे हे। गदहा, घोड़ा, रोजिहा, चितवा, सांभर, कोटरी, कुकुर, बिलई सबके शामत आगे हे। ऊखर पहिचान संकट म परगे हे। मोला तो लगथे ईमन एक न एक दिन नरसिंह अवतार ल घलो चुनौती दे दिही। कतको सनकी वैज्ञानिक मन कलेचुप मानव+पशु के परयोग करके घलो देखहीं सफलता मिल जही त ड़िंढोरा पीटे बर नइ छोड़ँय। पर अभी समाज के डर म चुप होही। प्रकृति संग छेड़छाड़ के नतीजा भविष्य म हम सब ला भोगे ल परही कहत-कहत मास्टर के आँखी  गंगा-जमुना कस बोहाय लागिस।

                       आज गाँव  भर सन्नाटा  पसरे राहय। गाँव  के आदमी गांवे म राहय।जंगल मे लकड़ी बर जाय के कखरो हिम्मत नइ होइस। काठी-माटी ले आय हे तइसे सब गुंगखाय बइठे राहय। कखरो मुह ले भांखा नइ निकलय पर माईलोगन जरुर जोंधरा कस लाई बीच-बीच म फूटय। ये रोगहा दोगला मन न जाने कोन जनम के बदला लेवत हें। कतका दिन ले अइसने तपहि अउ दंवही पता नही कब खपलाहीं। हमर जी मुसकी बंधना म बीतत हे। काली जुवार परोसी गाँव  म पाँच झन जवान लइका मन ला मुखबिरी के शक म 



पीट -पीट के मार डरीन। पुलिस के सइघो  जर गाड़ी ल फुटबाल बरोबर उड़ा दीन जेमा 30 झन पुलिस वाला मन शहीद होगें। रोज भांटा मुरई कस आदमी ल काटत भोंगत हे कहत-कहत चर्रस-चर्रस अंगठी फोरे लागिन। बात सुनके झड़ीराम सुकुड़दुम होगे। होश बिगड़गे, छटाक भर खून छउँकगे, सपना के कुरिया भरभरागे, आँखी  के आघू अंधियार छागे अउ भंवरी कस गरुवा धड़ाम ले गिरगे। सब पानी कांजी लेके दऊड़ीन त थोकिन देर म होंश आइस। पानी पी के पेटभरहा साँस लीस त जी म जी आइस वो कभू सपना म घलो नइ सोंचे रिहिस कि मोर छत्तीसगढ़ म आइसन ताण्डव मचैया राक्षस मनके बसेरा हे। 

                                 बिहान  दिन मटिया भऊजी ह बताइस कि का बतावव मासटर बाबू परिहार इही दिन इँहो 19-20 झन इही हत्यारा मन बंदूक धरे -धरे  आय रिहिन अउ गाँव  भर के आघू म वोखर बेटा रजवा, सिपाही हरे राम अउ कोतवाल भवानी दास ल पीट-पीट के इही चऊक म मार डरीन। गाँव  भर देखत रहिगे फेर कोनो चिटोपोट नइ करिन, सब तमाशा देखत रहिगें | सबके मुंह म लाड़ू गोजांगे कोनो आम लीम नइ भजीन महूँ दू-चार भांखा बखानेंव त बंदूक के बट म अइसे मारीस की दिन भर बेहूस परे रेहेंव आज तक घाव परे हे। फेर कोनो महतारी अपन आँखी  के आघू म बेटा ल मारत कइसे देखतीस कहत सुसक-सुसक के रोय लागिस। कतेक ल बताहू मास्टर बाबू ईखर जऊहर होय तेन बेर्रा मन गाँव - गाँव  म आके, डरा धमकाके सरकार संग बईरी बनाथें। घर-घर ले बेटा-बेटी मन ल उठाके घलो लेग जथे। घनघोर जंगल म रहिके फरमान चलाथें। मोला तो थोरको समझ नइ आय कि ये मन ल पईसा, रुपया,गोला, बारुद, बंदूक आखिर कोन देथें ? कईझन किथें ईमन ला सरकार ढीलें हें फेंर सरकार ढिलतीस त काबर सरकार संग बिरोधी होतिस पुलिस सिपाही मनला काबर मारतीस ! अब तो सबला समझ आगे हे ईखर लुटेरा ईरादा ! मुहु सिटठागें मास्टर बाबू कहत भउजी चूल्हा फूँके लागिस ! 

                    सासर भर चाय पी के मटिया भउजी कीथे मास्टर बाबू सरकार ल तो सबे ल देखना हे तेखरे सेती आत्म समरपन करइया नकस्ली मनला घर नौकरी रूपया पईसा जमीन. जघा सब दे के योजना चलावत हे पर कईझन हमर देशप्रेमी पुलिस वाला मन के खून छऊक जथे ! पांच लाख के ईनामी खुंखार नकसली बाठा राम  टेटवा ल पुलिस वर्दी म देख के एसपी पारा सिंग के पारा अतका चढ़गे कि अपन आपा खो डरीस ! जेन पापी



 हमर सत्तर जवान मन के हत्यारा हे उही ल माफी अउ नौकरी नही ! ये तो मोर छत्तीसगढ़ महतारी के घोर  अपमान हे कहत बाठा राम टेटवा के टेटवा ल अइसे दबाईस की खून उछरत मर गे !बाद मे एसपी साहब गिरफतारी  दे दीस ! ऐती सरकार पुलिस वाला मन ल घिरज धर के अभिायान चलाय बर आर्डर फरमाथे त वोती नक्सली मन बर नावा-नावा योजना  लागू करथे  का करय सरकार धलो भारी असमंजस मे फसे हे । जोर से  जमहासी लेवत भउजी उही मेर सुतगे।

            मास्टर झड़ीराम भंयकर दुखी होगे, मन मे सोच विचार के मारे भारी उथल-पुथल मचगे हे भगवान आखिर मोर छत्तीसगढ़ महतारी ल कोन बइरी दुश्मन मन के नजर लगे हे। मोर चंदा असन दाई बर ये राहु राक्षस मन कहाँ ले झपागे हें | मै तो अभी तक जंगल के सोनहा कुकुर मन ल जानत रेहेंव फेर ऊखर ले जादा ऊखरे बिरादरी के ये कुकुरमन कहाँ ले झपागें। फेर येमन तो ठाड छानी मे होरा भुंजईया आँय | बिलई के टोटा म घाटी कोन बांधही  फेर बांधे ल तो परही। शुकवा उवे ला धरलीस पर नीद नइ परीस नही नही अब तो गाँव-गाँव  जाके एक-एक जनता ल जगाना हे ऊखर अन्दर जोश अउ खरोश भरना हे हर गाँव के लोगन ल सिपाही बरोबर बनाना हे नकस्लीमन के सदा सदा बर अंत करना हे आइसन सोच समझ के प्लान बनाना हे कि वोमन कभु सपना म घलो हमर छत्तीसगढ़ ल लहुट के नइ देख पाँय। मन मे भीश्म प्रति़ज्ञा करके मास्टर झड़ीराम कागज कलम दवात उठालीस। 

                       आज गाँव के अउ पचासो गाँव के सियान-किसान-जवान, महिला, पुरूष सब मास्टर के बुलावा म नागाबावा मंदिर म सकलईन। सबके आघु म मास्टर अपन बात रखिस, देखव भाई बहिनी हो। हमर स्वतंत्र छत्तीसगढ़ राज के सपना जभे पुरा होही जब हम सबझन मिलजुल के हमर राज ल नक्सली मुक्त बनाबो, हमर छत्तीसगढ़ के बस्तर से ले के राजनांदगाँव  तक खून के होली खेलईया ये लाल सलामी हत्यारा मन ल सबक सिखाबो येखर बर हम सबके एकता जरूरी हे। हमर छत्तीसगढ़ के अनमोल खजाना ऊपर बीपत के बादर मंडरावत हे हमर बहु-बेटी के लाज नीलाम होवत हे अपन घर म वीरान हो जबो। आज मोर संग सब कसम खाके, किरिया खाके परन करव आज ले नक्सली मन ल कखरो घर ले कोनो सहयोग नइ दन। कोनो मनखे ऊखर सभा जुलुस, बैठक म भाग नइलन। तुमन ला हमर छत्तीसगढ़ महतारी के दूध के कसम,दूध के करजा उतारे बर आघू-आवव,आघू आवव।



 अपन छपवाये दस हजार परचा बाटीस-गाँव -गाँव  वोखर संदेश पहुचाय गिस। भाग नक्सली भाग-जाग छत्तीसगढ़ जाग। काली नही आज कर-नक्सली हे मुठा भर, जात से न पात से भूत भगावव लात से सब पढ़े लागिन  अउ नइ पढ़े हे तेन मनला वोखर क्रांतिकारी कविता सुनाय लागिन -

                 जतबहिरा बेंदरा डहत हे

                 झड़ीराम कहत हे।

                 नक्सली नहीं बीमारी ये

                 एड्स अउ महामारी ये

                 अबला के आँसू बहत हे

                 जतबहिरा बेंदरा डहत हे 

झड़ीराम कहत हे। 

                 घर-घर ल लड़वावत हे 

                 लहू के धार बोहावत हे 

                 हरहा गोल्लर कस चरत हे 

                 जतबहिरा बेंदरा डहत हे

                 झड़ीराम कहत हे। 

     कब तक चुप रहिहव संगवारी 

                 रोवत हे धरती महतारी 

                 पिसनही जांता कस दरत हे

                 जतबहिरा बेंदरा डहत हे

                 झड़ीराम कहत हे। 


                              सबके मन म जोश भरदीस। सब जतबहिरा बेंदरा डहत हें, झड़ीराम कहत हे कहत-कहत अपन-अपन घर बिदा होइन। 

           झड़ीराम नक्सलवादी मनबर एक अपीलनामा जारी करीस हे मोर भूले भटके, छटके, बगरे संगवारी हो राम-राम आज तुँहर जिंदगी दर-दर के ठोकर खात फिरत हे ये मानुष तन बार-बार नइ मिलय संगवारी हो, तुँहर नक्सली नेता मन तुँहर तन-मन म देश के प्रति जहर महुरा घोलत हें तुमन सावधान हो जाव। जेन कोख ले जनम धरेव ऊही ल मत उजारव, भाई-भाई के दुश्मन मत बनव, अपने हाथ म अपने गला ल मत घोंटव, चोर चिहाट कस जंगल-जंगल म छुप-छुप के मत जीअव। कोनो समस्या हे त वोखर उपाय घलो हे सुघ्घर मिल बईठके सुलझा लव। आखिर तुमन काखर विरोध करथव ? गाँव  के विकास के ? गाँव  के आदमी के ? सरकार के, पुलिस के या जंगल के विनाश के ? सब ल पता चलना चाही फेर पुलिस वाला मन तुँहर दुश्मन नोहय, तुहरेंच भाई बंधु आँय वोमन अपन परदेश अउ देश के रक्षा खातिर बर बंदूक उठाए हें कभू तुमन ऊखर ऊपर भारी परहू त कभू वोमन तुँहर ऊपर भारी परही | फेर तुमन जेन जघा ल पाए बर लड़ई झगरा करके मरत-कटत हव अगर तूही मन मर जहू त कोन राज करही ? मेहनत करही कुकरी अउ अंडा खाही दूसरी। त तुमन ल का मिलही ? तुहर नेता मन तुहर मजबूरी अउ लाचारी के गलत फायदा तो नइ उठावत हे ? तूमन ला रात-दिन चाऊर चबवा के बलि के बोकरा तो नइ बनावत हे ? जरा सोच के देखव संगवारी हो। ये जिनगी तुँहर का जिनगी हे का तुमन ला अपन परिवार के खुशी नइ चाही ? का जिंदगी भर गोली-बारूद धरे लुका-लुका के जिहू ?  का तुँहर दाई-ददा, भाई-बहिनी मन तुँहर से कोनो अपेक्षा नइ करत होहीं ? एक गोली कब तुँहर काम-तमाम कर दिही जरा ठंडा दिमाग लगाके, चटनी-बासी खाके अपन आत्मा ल पुछव तुँहर छत्तीसगढ़ तुमन ल पुचकार उठही। जय छत्तीसगढ़ 

तुँहर भाई झडीराम 

राम-राम। 

             नकस्लवादी मन ल धीरे-धीरे जनता मन के समर्थन, सहयोग अउ आदर सत्कार मिले बर बंद होगे ,गाँव-गाँव  ऊखर विरोध होय लागिस । जघा-जघा गाँव  म ऊखर आना जाना म पहरा लगगे। ऊखर विरोध म नारा जुलूस अउ बइठक होय लागिस एक झन

 


मुहु बंद करय त दस झन मुहु खोलिन, गाँव-गाँव म सलवा जुडुम के आंधी चलगे। नक्सलवादी मन घबरागें। ऊखर दल म खलबली मचगे सब खदबदागें। सरकार के मुहिम घलो काम करे लागिस, दल के दल नक्सली मन आत्मसमर्पण करके सरकार के मुख्य धारा म जुड़े लागिन , छत्तीसगढ़ पूरा देश बर मिसाल बनगे। फेर ऐती नक्सलवादी मनके बड़े कमांडर मन बगियागें, दिया तरी अंधियार देखके अउ अपन अस्तित्व बचाय खातिर जी परान लगाके षड्यंत्र बनाय बर भीड़गें।

       चारोमुड़ा ले हताश निराश नक्सलवादी मन एक दिन एक झन लकड़हारा ल जंगल में  खूब मार-मार के अधमरा करदीन, का करय बिचारा डंडा परत जाय अउ भूत बकरे कस बकरत जाय ये सब तो अमेरिका ले अपन गाँव  आय मास्टर झड़ीराम कांवरे के अभिमान आय, ऊही ह जब ले इहाँ आय हे तबले गाँव-गाँव  जाके नक्सली भगाओ, छत्तीसगढ़ बचाओ के आंदोलन छेड़े हे। जघा-जघा अपन लिखे कहानी, किताब, पामप्लेट बांटे हे। जनता मनबर अघुवा नेता बनगे हे। भगवान कस जब लोगन वोला मानथें कहत बेहूश होगे। दादामन लकड़हारा के बात सुनके अगियागें, बगियागें, कटकटागें, बेंदरा कस दांत पीसे लागिन , किरची बाघ कस कूदे लागिन  फेर हारे जुवाड़ी बाघ बरोबर। अपन हार ल जीते खातिर अइसे जनेवा फाँस बनाय बर लगगें तेखर कोनो ल कानोकान भनक तक नइ लागिस।

                        पूस के महीना कन-कनावत हाड़ा टोरईया जाड़ अउ घपटे अंधियारी रात, चारोमुड़ा घोर सन्नाटा अउ खामोशी, बीच-बीच म कोलिहा के हुँवा-हुँवा सुनइ दय, दू पहर रात पहागे राहय ऊही बेरा बिरबिट करिया अंधियारी रात ल चीरत दू सौ नकस्लवादी-मन धड़धड़- धड़धड़ झड़ीराम के घर म आ धमकीन। तीर के परोसी करा हाँका परवा के मास्टर ल उठईन वोतका बेर मास्टर नावा किताब ‘कूटहा अउ जूटहा लुटेरा नकस्ली’ लिखत राहय। जइसे हि कपाट खोलिस नकस्ली मन टूट परीन | घर ले घिरलावत बीच चऊक म लाके हरदी गाँठ कस कूचरे लागिन ,मास्टर  बेहूश होगे। नकस्लीमन ठहाका मार-मार के हाँसे लागिन । होश म आते साठ मास्टर जोर-जोर से चिल्लईस आवव-आवव हमर गाँव  वाले भाई बहिनी हो तुमन घर म बिलई कस मत सपटे राहव | मत डेरावव ये हत्यारा देशद्रोही मन ल, ये पापी मन जब तक रिहीं खो-खो के भुंजहीं। हमर घर के ईज्जत लुटईया, हमर धरती ल लहू म सनइय्या ये पापी मन के भूत भगादव। ये हमर देश के गद्दार मन ल मार डरव, तुँहर छत्तीसगढ़ महतारी के दूध के किरिया हे | आवव-आवव मत डेरावव।

 


नक्सलीमन वोखर चिल्लाहट सुनके ताली बजा बजाके हाँसे लागिन  एक दू झन सनकी मन भड़ाभड़ दू चार रहपट मास्टर ल फेर पीटदीन। नकस्ली मन जानत राहय हमी मन ये गाँव  के दादा अन हमर खिलाफ करके अपन बलि दे बर कोन आहीं। साले चना ढुरू आज हमर नाक में दम कर दे हस रे,ये ईलाका हमर आय। ले कतका फुदरथस फुदर काहय अउ भकाभक मारय। लाख कोशिस कर डरीन फेर मास्टर लाल सलाम नइ किहिस, जय छत्तीसगढ़ जय छत्तीसगढ़ चिल्लाय लगिस | तेलगू कमांडर भन्नागे दूनल्ली बंदूक ल मास्टर के मुहुं म घुसेड़ दीस अउ दनादन गोली दाग दीस। गाँव के लइका सियान जवान सब कटकटागें। सब ल अपन-अपन परन सुरता आगे। नकस्ली मन मास्टर झड़ीराम के लाश म चढ़ के नाचे लागिन , दारू पी-पी के लाश ऊपर पुरके लागिन अउ लाल सलाम-लाल सलाम चिल्लाय लागिन । ऐती जब गाँव  वाला मन अपन अपन घर ले बरत लुवाठी धरे चऊँक डहन दउँड़े लागिन मारव-मारव,पकड़व-पकड़व के शोर चारोमुड़ा गूंजे लागिस,कतको झन ढेला पथरा बरसाय लागिन, बरत लुवाठी के चपेट म नक्सली मन आय अउ जरत-बरत गिरत अपटत चिल्लावत भागे लागिन । ऐती कोन्टा- कोन्टा म पवडर मारे के डस्टर म मिरचा बुकनी भरे जवान मन अंधाधूंध डस्टर ओट के नकस्ली मन के धुर्रा बिगाड़ दीन | आँखी  कान ल रमजत भागत नकस्लीमन ल माईलोगन मन घलो नइ छोड़िन-मुहाटी के आमने-सामने बाल्टी के डोरी ल लमियाके सपटे-सपटे धरे राहँय, छंदा-छंदाके मुड़भसरा नक्सली मन गिरत जाँय ,तँहले माटी तेल फुग्गा मार दँय, बरत लुहाठी फेंक दँय। हे दाई, हे ददा मरगेन, नइ बाँचन, कहत सब नकस्लवादी मन भागे लागिन । जँगल के चोक्खा-चोक्खा पथरा, माटी तेल वाले फुग्गा, डस्टर म मिरची बुकनी,बाल्टी डोरी ये जब उपाय ल झड़ीराम गाँव-गाँव  म महिना दिन पहिली ले पुरा तइयारी के साथ नक्सली मन ले लड़े बर करवावत अउ सिखोवत आवत रिहिस। आज तो वोखर बातय उपाय ह नक्सली मन के बुधना झर्रा दिस। जनता मन ऊपर ऊखर काल बनके टूट परगे। पचास-साठ झन नक्सली मन गाँव  खोर के गली खोर म मरे भुँजाय परे रिहिन, पल्ला भगईया मन कुछ भाग के जंगल मे लुकागें। दइहान डाहन मूड़ कान फुटे अचकुचरा भुंजाय तीस-चालीस झन नक्सली मन बिन पानी के मछरी कस तलमलावत राहय। झिरिया खोल डहन बीस-तीस झन नक्सली मन खुरच-खुरच के मरे परे राहँय। येती मास्टर झड़ी राम  लहुलुहान चोरबोराय गऊरा चंवरा म परे राहय, दुनुहाथ जोड़े धरती मइयाँ ल परलगी करत परान छुटगे राहय। 


            

 बिहान भर गाँव -गाँव  म दुख पिरा शोक के लहर दउँड़गे जेने सुनिन बोमफार के रो ड़रिन। एक पल बर तो पूरा देश सुन्न होगे। छत्तीसगढ़ के गाँव-गाँव म शोक फइलगे। बस्तर जिला म तो जइसे घर-घर दुख के पहाड़ टूटगे। कखरो घर आज चुलहा नइ फुकिन आज उखर छत्तीसगढ़ महतारी के सेवा करइया दुलारा बेटा झड़ी राम हमेशा-हमेशा बर दाई के कोरा म समागे रिहिस।  

                               आज देश अउ छत्तीसगढ़ के ओन्टा कोन्टा ले मास्टर के शव यात्रा म शामिल होय बर गाँव  म रेला -पेला होगे राहय। गाँव  आय बर नेता, मंत्री, मुख्यमंत्री, सांसद, विधायक,राज्यपाल अउ कतको संगठन के नेता मन टूट परिन।  शहीद बेटा के अंतिम दरशन बर इंच भर जघा खाली नइ बाचिस। पुलिस प्रशासन ल हालत काबू करे बर बिकट पसीना बोहाय ल परिस। सरगटोला के बड़े दइहान म चीता सजाय गे रिहिस। मास्टर झड़ीराम ल पुष्पाजंली देवइया मन के बेकाबू भीड़ के मारे बेरा बूड़े ल धरलीस। अबक-तबक चिता मे आगी ढ़िलाय रितिस ततकेच बेर बादर म गड़गड़-गड़गड़  जिहाद के आवाज पाके सब चउँकगें। सुरक्षा कमांड़ो मन उतरत देखिन अउ दउँड़ परिन। जिहाद ले एक झन गोरिया नारिया आदमी उतरके चिता ड़हन आइस त आघू म डॉ. संकटमोचन तिवारी  ल देख के चिपटगे अउ फफक-फफक के रोय लागिस। मास्टर के चिता ल आगी दे बर वोखर भतीजा ल तइयार करे गे रिहिस पर आखिरी बेरा म मास्टर के बेटा जानसन आ के मुखाग्नि दीस। चारो मुड़ा जानसन के बड़ई होगे। आखिर लहु तो लहु होथे। जानसन के रग-रग में एक  छत्तीसगढ़िया बेटा के लहू तउँरत रिहिस। छत्तीसगढ़ के लहू अउ देश भक्त झड़ीराम के ताकत आज वोला अमेरिका ले छत्तीसगढ़ आय बर मजबूर करदीस। चाहे कोनो भी वातवरण मे पले बड़े राहय समय आथे त जरूर ऊखर लहू पुकार उठथे | देश भक्ति के एक अउ मिशाल पेश होगे । 

                  धूं-धूं करके चिता जले लागिस। सबके आँखी  म गदगद-गदगद आँसू चले लगिस । कतको झन मूँह ल चपक - चपक के रोवत राहँय। कतको झन गोहार पार के अउ कतको झन बोमफार के रोवत राहँय कतको झन जोर-जोर से मास्टर झड़ीराम जिंदाबाद, झड़ीराम अमर राहय के नारा लागवत राहँय। ठउँका वोतकेच बेर धड़धड़-धड़धड़ चालिस ठन  टरक म सवार होके हथियार बंद नक्सली मन पहुँचगे। जहाँ-तहाँ चारोमुड़ा सबला घेर के टरक खडा होगे सब आदमी अकबकागें। अक्का आवय न बक्का का करय कक्का |



 सुऱक्षाकर्मी कमांडर मन मंत्री ,मुख्यमंत्री ,राज्यपाल ल घेरलीन। अभी तक तो नाम सुने रिहिन | आज सउँहत आघू म देखके कतको नेता मन के तोलगी गीला होगे। कतको नेता जेन बड़ा हुशियारी मारय अउ अपन ल तोपचंद समझँय तेन गऊरा चढ़े कस लदलद-लदलद काँपे लागिन । कतको झन संकट से हनुमान छोडा़वे़ कहत हनुमान चालीसा रटे लागिन । अउ कतको झन दुख हरो द्वारिकानाथ शरण मैं तेरी बुदबुदाय लागिन । सब के मन म आशंका होगे कि अब-तब खून के होली शुरू होही। वोतकेच बेर एसपी टाईगर दहाड़ीस कि अगर कोनो भी नकस्लीवादी बंदूक धरके आघू बढ़ही त गोली से भूंज दे जाही । हुसियार सावधान। सब नकस्लवादी मन अपन -अपन बंदूक ल टरक म छोड़ के ,मा़स्टर झड़ीराम के अपीलनामा ल लहरावत आघू बढ़ीन त सब खुश होगें। चारोमुड़ा ताली के गड़गड़ाहट ले आसमान गूंजे लागिस अउ पाँच हजार नकक्ली मन एक सँघरा आत्मसमर्पण करदीन ।

               छत्तीसगढ़ अमर रहे। मास्टर झड़ीराम अमर हो के नारा चारो ओर गुँजाय मान होय लागिस । नकस्लीमुक्त छत्तीसगढ़ बनाय बर मास्टर के संकल्प ल वोखर संदेश ल सरकार अउ समाज मिल जुल के पूरा करे के बीड़ा उठाईन । छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा शहीद झड़ीराम काँवरे ल “छत्तीसगढ़ के रतन बेटा” के उपाधि से सम्मानित करे गिस ।

आज भी छत्तीसगढ़ के रतन बेटा झड़ी के सुरता करके आँखी  म आँसू  के झड़ी लग जथे

  कमलेश प्रसाद शर्माबाबू

ग्राम –कटंगी,गण्डई 

पो-गण्डई

वि ख-छुईखदान

जिला-केसीजी(छत्तीसगढ़)

पिनकोड – 491888

मो न-9977533375

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