कहिनी // *अँधियारी रात* //
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गाँव के बाहिर तरिया के पार म नानचूक माटी के कुंदरा रहिस ओकर मुहाटी उत्ती कोती रहिस।सूरुज के सोनहा किरन ओकर घर ल बिहिनिया ले झांकत,तरिया के लहरा अँगना म छरा-छिटका देवत अऊ पुरवाही अँगना ल बहिरी बाहरत जइसन लागत हावे।कुंदरा भीतरी खुसरे बर कोंघर के जाये ल परय नी तो मुड़ी ल ठक ले परबेच करे।घर के छानही आधा खपरा अऊ आधा खदर ले छवाय रहिस।एकठन कुरिया अऊ नानचूक परछी रहिस।परछी ल नाहक के कुरिया भितरी खुसरे,परछी म फइरका नी रहिस,कुरिया म टीपा के फइरका रहिस जेमा संकरी लगे रहिस।कोनों कोती जावंय त उही संकरी ले घर के दुवारी ल फइरका बंद कर देवंय।कुरिया के भीतरी एक कोंटा म राधें के चुल्हा,सिल्वर के डेगची,तेलई अऊ पानी धरे बर एकठन करिया मरकी जेन ह माटी के बने रहिस अऊ बड़ चिकचिकावत रहिस।अऊ छोट-छोट थरिया जेमा भात खावें,कटोरी अऊ गिलास रहिस।सुते बर एकठन बगई गथांय झोलगहा खटिया घलो रहिस।
तरिया पार म बस ओमन के जिनगी के ठउर-ठिकाना रहिस चम्मास के दिन तरिया पार जबर बिच्छल रहे काबर के कन्हार माटी रहिस।कतको झिन तो बिछल के गिर जावें काकरो कनिहा लचक जाय त काकरो गोड़ टूट जाये।तरिया के मेड़ ले नाहक के सबो किसान मन अपन-अपन खेत जावें अऊ कतको मनखे के रेंगा-राही रहेच रहे तेकर सेती अऊ भारी चिखला रहे फेर गरुवा,भइंसा घलो के रेगांन रहिस।कुंदरा के मुहाटी जघा अऊ जबर चिखला रहे।सबो डाहर रेंगइया मन ओमन के मुहाटी तीर म चिखला ले बांचे बर छेवांत रेंगय।चम्मास के महीना नाहक लेथे तभे ओमन ल बने पच्छर लागय।कुंदरा के मुहाटी मेर थोरिक चउंक-चाकर रहिस।एको-दूझिंक बइठ के गोठबात घलो करें।जादा समे ओमन के उहीच बाहिर जघा म उठत-बइठत सगरो दिन पहावत रहिस।
कुंदरा म धनीराम अपन गोसाईंन लछमीन अऊ दू झिन नोनी बड़े के नांव थेथी अऊ छोटे के नांव मनटोरा,ओकर एकझन बेटा घलो रहय जेकर नांव खोलबहरा रहिस।खोलबहरा सेठ घर बछर भर के बरसिहा कमिया लगे रहे जेकर पइसा घर के खरचा चलत रहिस।धनीराम अऊ ओकर गोसाईंन के जइसनहा नांव रहिस ठीकेच ओकर उल्टा रहिस।बपरा धनीराम करा न तो धन जोगानी रहिस न तो पइसा-कौड़ी फेर ईमान अऊ सुवाभिमान रबेच रहिस।येती धनीराम एकठन सौखी जाली राखे रहिस।रोज भिनसरहा उठ के तरिया म मछरी मारे अऊ ओकर गोसाईंन लछमीन ह बेच के घर के साग-नून चलावै।धनीराम बीमरहा घलो रहिस दिन भर खांसतेच रहे सूखा के *हाड़ेच-हाड़ा* बांचे रहिस तभो ले मछरी मारे बर नी छोड़ीस।ओकर गोसाईंन घलो बिमरहीन रात दिन *फेसेक-फेसेक* लगे रहे।पइसा-कौड़ी के बिना ठीक से ईलाज घलो नी करा सकत रहिन।कोनों दिन एको जुवार खाए बर घलो नी पाय।तभो ले काठे-काठ लांघन परेच रहें,तरिया पार के पिपरी ल बिन के घलो खा लेवैं,फेर काकरो करा हाथ नी लमावंय।जबर सुवाभिमानी रहिस।
ओकर एकझन बेटी के नांव थेथी रहिस अऊ सहीच के थेथी रहिस।जइसन नांव रहिस वइसन ओकर काम घलो रहिस।दूसरइया बेटी मनटोरा गजब सुग्घर,हाँसत बदन,बढ़िया गोल मुँहरन,*फूल चुहकी फिलफिली* कस फभे रहय।पइसा-कौड़ी के बिना ओहर जादा नी पढ़ पाईस।पढ़े के बड़ सउंख रहिस फेर काय करे।ओहू अपन दाई के संग बुता-काम करे लग जावे।जबर सुवाभिमानी रहिस कोनों कुछू देतिन तेला कभू नी लेवै।अपन *जांगर के ऊपर भरोसा* करय।ओमन बछर भर के तिहार काय होथे तेन ला कभू नी जानीन।कोन हरेली,तीजा-पोरा,दूरगा,दसरेहा के कोन देवारी सगरो दिन एके बरोबर रहे फेर देवारी तिहार बर दूठिन दिया घर के मुहाटी के दूनों कोती एककठन दीया अवस के बारे।दीया म तेल के रहत ले तीर-तखार ले *जुगुर-जुगुर* अँजोर करत रहे फेर थोरिक बेरा म बुझा जावे फेर जस के तस अँधियार।ओमन के जिनगी इही *अँधियारी रात* बरोबर गुजरत रहिस।
छोटे बेटी मनटोरा भलेकुछ पढ़े नी पाइस फेर ओकर खेलकूद ल कोनों रोक नी सकिन न तो कोनों अड़गा डार सकिन।लइकुसहापन ले खेलेकूदे कोती जादा धियान रहिस।ओहर खेलकूद म जबर आघू रहिस दउड़-कूद म अउवल अउ अइसन करतेच-करत खेलकूद म आघू कोती ओकर पांव बढ़त गिस अऊ एक दिन अइसन समे घलो आइस ओकर ओलंपिक म सलेक्शन होगीस अऊ ओहर गोल्ड मेडल घलो जीत डारिस।सियान मन कहे हावे *घुरवा के घलो भाग लहुटथे*।गोल्ड मेडल जीतीस त दूसर दिन गाँव म सोर सुनाय ल धर लीस पत्रकार अऊ टीबी चेनल वाला मन ओकर गाँव आइन।गाँव के सड़क तीर एकठन पान ठेला म मनटोरा के नांव पूछिस।ठेलावाला बताइस के बस्ती के बाहिर म एकठन तरिया हावे उहीच मेर ओकर घर हावे।
बस्ती जबर लंबा रहिस फेर तरिया कोती जाय के गली थोरिक सांकुर के संगे-संग मोड़ान घलो रहिस तेकर सेती फटफटी नी जा सके।टीबी चेनल वाला मन केमरा अऊ झोला-झंखर धरके रेंगत गीन तरिया पार के जावत ले ओमन थक गीन,पछिना पोंछे बर धर लीन।तरिया पहुंचीन त ओमन ल एकोठन घर नी दिखिस भलुक एकठन नानचूक कुंदरा रहिस।ठेलावाला हमन ल लबारी मार दिस अऊ गलत जघा घलो बता दिस चेनल वाला मन सोचे लागीन।ओमन दूरिहा ले देखिन एकझन पनिहारिन हउंला धर के तरिया कोती आवत रहिस।पनिहारिन तीरेच म आइस त ओही ल पूछिस मनटोरा के घर कहाँ हे ? इही घर म मनटोरा रहिथे पनिहारिन थोरिक लजावत बताइस।फेर ओमन ल बिसवास नी होवत रहिस के इही घर म कोनों ओलंपिक जइसन खेल म स्वर्ण पदक जीतइया रहिथे।फेर *सत ल कोनों नकार नी सके*।
एकझन चेनल वाला मन म सोचत कुंदरा भीतर खुसरिस त ओकर मुड़ी ल ठक ले लागिस काबर के पहिली बार खुसरे रहिस ओहर अजम नी पाइस,पीरा म अकबका गिस।मुड़ म हाथ संवारत कहिथे घर म कोनों हव का ? झोलगहा खटिया म सुते-सुते धनीराम कहिस कोन अस अऊ काय गोठ आय तेन बता।थोरिक बाहिर निकलबे त बताहूँ चेनल वाला घर के दुवारी ले झांकत कहिस।धनीराम खटिया ले रटपटावत उठिस अऊ कुंदरा भितरी ले हड़बड़ावत बाहिर कोती निकलिस।चेनल वाला धनीराम संग गोठियाय ल धरलीस अऊ पूछिस मनटोरा इही घर म रहिथे।हव साहेब हव इही घर म रहिथे डरावत धनीराम कहिस।मनटोरा कहां गे हावय जानथस चेनल वाला फेर धनीराम ल पुछिस।नोनी मनटोरा बाहिर खेले गे हावे साहेब डरावत धनीराम कहिस।तैं झन डरा बबा चेनल वाला कहिस,तोर बेटी मनटोरा ओलंपिक खेल म गोल्ड मेडल जीते हावे अऊ हमर देश के नांव विश्व म उजागर करे हावे।धनीराम ओतका सुनीस त अकबकागे ओला बिसवास नी होवत रहिस के ओकर बेटी मनटोरा ओलंपिक जइसन खेल म गोल्ड मेडल जीत गेहे कहिके।खुशी के मारे *मन कुलक* भरिस ओकर दूनों आँखी ले आँसू के धार बोहागे।
दूसर दिन जम्मो पेपर म ऊपर के पन्ना म बड़का अक्षर म लिखाय छपे रहिस *मनटोरा देश के मान* टीवी समाचार म ओकर घर के फोटो अऊ ओकर दाई-ददा मन के फोटो देखावत प्रसारित करत करिस।देश के प्रधानमंत्री ह नोनी मंटोरा ल *खेल रतन* देहे के घोसना तुरतेच करिस संगे-संग ओला एक करोड़ के ईनाम घलो देइस।कहे गे हावे के *समे ह जम्मो घाव ल भर देथे*।मनटोरा के नांव इतिहास के पन्ना म सोनहा आखर म लिखा गिस।गुनीक मन कहे हावें *अँधियारी रात* के पाछू *अँजोरी रात* आबेच करथे।
✍️ डोरेलाल कैवर्त " *हरसिंगार* "
तिलकेजा, कोरबा (छ.ग.)
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