Wednesday, 4 September 2024

मितानी (नान्हे कहिनी)

 मितानी (नान्हे कहिनी)

सोमनी गाँव म एक बर के रुख रहिस हे। बर रुख के तरी म बने छइहाँ राहय। येखर छइहाँ म लइकामन खेलत राहँय। राम अउ कमल नाँव के लइका के बीच म बने मितानी रहिस हे। कमल ह बहुत उतयइल रहिस हे। एती ओती कूदत फाँदत राहय। कई बेर रुख ले गिरे भी रहिस हे। डर्रा डर्रा के रूख म चघय। 


एक दिन बर के रुख ऊपर चढ़गे।  जेन डारा म चढ़े रहिस हे तेन ह बहुत पातर रहिस हे। डारा ह नवगे। कमल ह डररागे अउ चिचयाये ले लगगे "बचा ले राम मैं ह गिरत हावंव। " 

राम ह जेन मेर खड़े रहिस हे तेने मेर बर के एक जटा ह झूलत रहिस हे। राम ह जटा ल झुला के कमल डाहर फेकिस अउ कमल ल कहिस "येला पकड़ ले अउ झूल के नीचे आ जा।" कमल ह तीन बेर कोशिश करिस फेर जटा ह पकड़ म नइ अइस। राम जटा ल घेरी बेरी कमल डाहर फेकय फेर ओ ह खाली वापस आ जाय।


बहुत कोशिश के बाद आखिर म जटा पकड़ा गे। कमल ह जटा ल पकड़ के झूलगे। झूलत राम डाहर अइस त राम ह जटा ल पकड़ लिस अउ कमल ल उतार लिस। राम के बुद्धिमानी ले कमल ह बांचगे। ऊंखर मितानी के गठान ह अउ मजबूत होगे। अइसने सबके मदद करना चाही। 

सुधा वर्मा, 31/8/2024,,,

No comments:

Post a Comment