आजादी के सिपाही - त्यागमूर्ति ठाकुर प्यारेलाल सिंह
आजादी पाय बर भारत माता ह अपन कतको बेटा -बेटी मन के कुर्बानी दिस. अब्बड़ झन क्रांति कारी मन ल अ़ग्रेज शासन ह फांसी म चढ़ा दिस. भारतीय जनता मन उपर नाना प्रकार ले अत्याचार करे गिस. तभो ले हमर देश अउ प्रदेश के नेता अउ जनता मन हा गोरा मन के आगू नइ झुकिस.
आजादी के लड़ाई म हमर छत्तीसगढ म शहीद गेंद सिंह, वीर नारायण सिंह, वीर हनुमान सिंह, वीर गुंडाधूर,पं. सुंदर लाल शर्मा, वामन लाल लाखे, ई.राघवेन्द्र राव, पं. रविशंकर शुक्ल, ठाकुर छेदीलाल सिंह , रामाधीन गोंड,कुंज बिहारी चौबे, खूबचंद बघेल अउ ठाकुर प्यारेलाल सिंह जइसे जुझारू,कर्मठ अउ मातृभूमि बर समर्पित नेता रिहिन हे. ठाकुर प्यारेलाल सिंह ल आजादी के आंदोलन के अर्जुन कहे जाथे.
त्याग अउ न्याय मूर्ति ठाकुर प्यारेलाल सिंह के जनम 21 दिसंबर 1891 ई. म राजनांदगांव -खैरागढ़ मार्ग म ठेलकाडीह से बुरती दिशा म 3 किलोमीटर दूरिहा सेम्हरा दैहान गांव म होय रिहिस हे. ये ग्राम पंचायत डुमरडीहकला के आश्रित गांव हरे. ठाकुर प्यारेलाल लाल सिंह जी के
के पिताजी के नांव ठाकुर दीन दयाल सिंह अउ महतारी के नांव नर्मदा देवी रिहिन हे. ठाकुर साहब के पिताजी राजनांदगांव के प्रतिष्ठित स्टेट स्कूल के प्रथम प्रधानाचार्य रिहिन हे अउ बाद म शिक्षा विभाग के बड़े अधिकारी घलो बनिन.
ठाकुर साहब के पिताजी ह शांत, गंभीर अउ अनुशासन प्रिय मनखे रिहिन. प्यारेलाल के प्राथमिक शिक्षा राजनांदगांव म अउ उच्च शिक्षा रायपुर, नागपुर, जबलपुर अउ इलाहाबाद म होइस हे. बी. ए .पास करे के बाद सन् 1916 म इलाहाबाद विश्वविद्यालय से वकालत पास करिन .
छात्र मन के हड़ताल के अगुवाई करिन
आजादी के लड़ाई के समय म जब हमर देश म लाल- बाल- पाल के जोर चलत रिहिन हे त ठाकुर साहब बंगाल के कुछ क्रांतिकारी मन के संपर्क म आइस अउ क्रांतिकारी साहित्य के प्रचार करत अपन राजनीतिक जीवन शुरू करिन. इही समय ठाकुर साहब स्वदेशी कपड़ा पहने के व्रत ले लिस . युवावस्था म विद्यार्थी मन ल संगठित करे के काम करिन. राजनांदगांव म 1905 में ठाकुर साहब के अगुवाई में छात्र मन की पहली हड़ताल होइस. ठाकुर साहब अपन सहयोगी छविराम चौबे अउ गज्जू लाल शर्मा के संग मिलके राजनांदगांव म राष्ट्रीय आंदोलन ल ठाहिल बनाइन.
येहा देश के छात्र मन के पहली हड़ताल माने जाथे.
राजनांदगांव म सरस्वती पुस्तकालय के स्थापना
सन 1909 म ठाकुर प्यारेलाल सिंह ह राजनांदगांव म सरस्वती पुस्तकालय के स्थापना करिन. आगू चल के येहा राजनीतिक गतिविधि के जगह बनगे. आगू चल के ये पुस्तकालय ल शासन ह जब्त कर लिस.
ठाकुर साहब ह पढ़ईया लइका मन के जुलूस म वंदेमातरम के नारा लगाय. वो बेरा म अइसन करना अपराध माने जाय.पर प्यारे लाल सिंह जी डरने वाला मनखे नइ रिहिन हे. सन 1916 में ठाकुर साहब ह वकालत चालू करिन. पहली दुर्ग म फेर बाद म रायपुर म वकालत करिन. कम समय म शठाकुर साहब ह वकालत म प्रसिद्ध होगे.
सितंबर 1920 म कलकत्ता म लाला लाजपत राय के अध्यक्षता म कांग्रेस के विशेष अधिवेशन आयोजित होइस. येमा गांधी जी के नेतृत्व म असहयोग आन्दोलन चलाय के स्वीकृति दे गिस. फेर कांग्रेस के अधिवेशन नागपुर म 26 दिसंबर 1920 म होइस जेकर अध्यक्षता विजय राघवाचार्य करिन. ये अधिवेशन म हमर छत्तीसगढ ले आने नेता मन के संग ठाकुर प्यारेलाल सिंह ह घलो शामिल होइन. रोलेट एक्ट अउ जलियांवाला बाग़ हत्या कांड के सेति देश भर म अंग्रेज सरकार के विरुद्ध चिंगारी सुलगत रिहिस हे.
अइसन समय म गांधी जी ह आह्वान कर चुके रिहिन कि अंग्रेज सरकार के गुलामी ले छुटकारा पाय खातिर स्थानीय समस्या ल आधार बना के असहयोग आन्दोलन चालू करय.
बी.एन.सी. मिल के बारे म जानकारी
वो समय राजनांदगांव म बी.एन.सी.मिल्स चलत रिहिसि.बंगाल -नागपुर काटन मिल्स म हजारों मजदूर काम करय. येकर स्थापना 23 जून 1890 म होय रिहिस हे अउ उत्पादन के काम नवंबर 1894 म चालू होइस हे. वो समय राजनांदगांव म वैष्णव राजा बलराम दास के राज्य चलत रिहिन हे. राजा साहब मिल के संचालक बोर्ड के अध्यक्ष रिहिन हे. ये मिल्स के निर्माता बम्बई के मि. जे.वी. मैकवेथ रिहिस हे. कुछ समय चले के बाद मिल ल घाटा होइस. येकर सेति ये मिल ल कलकत्ता के मि. शावालीश कंपनी ह खरीद लिस जउन ह नांव बदलके बंगाल -नागपुर काटन मिल्स कर दिस. स्थापना के समय येकर नांव
सी.पी. मिल्स रिहिस हे.
मजदूर मन के ऐतिहासिक हड़ताल के अगुवाई
सन 1919 ले ठाकुर प्यारेलाल सिंह ह राजनांदगांव के मजदूर मन ल एक करके जागृति फैलाय के काम चालू कर दे रिहिन हे. अंग्रेज शासन के समय म जनता के शोषण जिनगी के हर पहलू म आम बात रिहिस हे. इहां के मजदूर मन के नंगत शोषण होत रिहिस हे. मिल मालिक ह मजदूर मन ले 12- 13 घंटा काम लेय .येकर ले सन् 1920 म बी.एन.सी. मिल्स के मजदूर मन म अंग्रेज सरकार के विरुद्ध असंतोष फैलगे.
अइसन बेरा म छत्तीसगढ़ म मजदूर आंदोलन के प्रमुख केन्द्र राजनांदगांव ह बनगे.ठाकुर प्यारे लाल सिंह अउ डॉ.बल्देव प्रसाद मिश्र मजदूर यूनियन के अगुवाई करय. ये काम म शिव लाल मास्टर अउ शंकर खरे सहयोग करय.
सन् 1920 में असहयोग आंदोलन के बेरा म ठाकुर प्यारेलाल सिंह के अगुवाई म अप्रैल 1920 में बीएनसी मिल्स के मजदूर मन के 36 दिन के ऐतिहासिक हड़ताल होइस. अत्तिक लंबा समय तक चलने वाला ये देश के पहली हड़ताल रिहिस हे. ये हड़ताल ले राजनांदगांव के अब्बड़ सोर होइस. ये आंदोलन ले ठाकुर साहब के प्रसिद्धि देश भय म फैलगे.
संस्कारधानी ह राष्ट्रीय आंदोलन के मुख्यधारा ले जुड़गे.
असहयोग आंदोलन के समय वकालत छोड़िन
गांधी जी के नेतृत्व म जब देश भर म असहयोग आंदोलन ह चालू होइस त ठाकुर साहब ह अपन वकालत छोड़ दिस. राजनांदगांव म राष्ट्रीय विद्यालय के स्थापना करिन. हजार भर के संख्या में चरखा बनवा के जनता ल बांटिन ,चरखा के महत्व समझाइस अउ खादी के प्रचार करिन . ठाकुर साहब खुद खादी पहने लागिस. राजनांदगांव ले हाथ ले लिखे पत्रिका घलो निकालिन जउन ह जन चेतना बर अब्बड़ सहायक होइस.
झंडा सत्याग्रह म भागीदारी
सन 1923 में झंडा सत्याग्रह चालू होइस त ठाकुर साहब ल प्रांतीय समिति द्वारा दुर्ग जिला ले सत्याग्रही भेजे के काम सौंपे गिस . नागपुर म सत्याग्रह आंदोलन चालू होइस.एकदम जल्दी नागपुर सत्याग्रह के केंद्र बन गे.
मजदूर मन के दुबारा हड़ताल
सन 1924 में राजनांदगांव के मिल मजदूर मन ठाकुर साहब की अगुवाई में फिर हड़ताल करिन. कतको मन के गिरफ्तारी होइस. ठाकुर साहब पर सभा लेय अउ भाषण देय बर रोक लगा दे गिस. ठाकुर साहब ल जिला बदर कर दे गिस .राजनांदगांव ले निष्कासित करे के बाद सन 1925 म ठाकुर साहब रायपुर चले गिस अउ आखरी तक ऊंहचे रहिके अपन राजनीतिक काम मन ल संचालन करत रिहिन.
सविनय अवज्ञा आंदोलन के अगुवाई करिन
सन 1930 में गांधी जी द्वारा चालू करे गे सविनय अवज्ञा आंदोलन म ठाकुर साहब बढ़- चढ़कर भाग लिस.शराब दुकान म धरना दिस. ठाकुर साहब किसान मन मा जागृति फैलाय बर अंग्रेज शासन लगान मत दो, पट्टा मत लो आंदोलन चलाइस. एकर सेतिज्ञ ठाकुर साहब ल 1 साल के सजा दे गिस. सिवनी जेल म भेज दे गिस. गांधी- इरविन समझौता होइस त आने राज -बंदी मन के संग रिहा होइन.
सन 1932 में जब सत्याग्रह फिर से चालू होइस त ठाकुर साहब पंडित रविशंकर शुक्ल के संगे संग आने नेता मन संग संचालन के दायित्व संभालिन. 26 जनवरी 1932 में गांधी चौक मैदान में सविनय अवज्ञा के कार्यक्रम के संबंध में भाषण देत समय ठाकुर साहब ल अंग्रेज सरकार गिरफ्तार कर लिस . 2 साल के कठोर सजा अउ जुर्माना लगाय गिस. ठाकुर साहब जब जुर्माना नहीं देइस त अंग्रेज सरकार ह उंकर संपत्ति ल कुर्की कर दिस . ठाकुर साहब के वकालत के लाइसेंस ला जप्त कर लिस. जेल के सी क्लास म रखे गिस.
जेल से छूटे के बाद ठाकुर साहब फिर से आजादी के लड़ाई अउ जनसेवा बर समर्पित होगे.
हिंदू -मुस्लिम एकता बर काम करिन
1933 में वह महाकौशल अंग्रेज कमेटी के मंत्री चुने गिस. 1938 तक ये पद म रहिके पूरा प्रदेश के दौरा करिन . कांग्रेस संगठन ल फिर से मजबूत करे के काम करिन. सन 1937 में ठाकुर साहब विधानसभा के सदस्य चुने गिस. रायपुर नगर पालिका के अध्यक्ष घलो निर्वाचित होइस. ये पद म रहिते ठाकुर साहब राष्ट्र जागरण और हिंदू -मुस्लिम एकता बर काम करिन. डॉ बी.एन. खरे के मंत्रिमंडल में कुछ समय तक शामिल रिहिन.
तीसरा मजदूर आंदोलन के नेतृत्व करिन
रायपुर म निष्कासन के समय घलो ठाकुर साहब के धियान राजनांदगांव के मजदूर मन डहर राहय.ये बीच म बी.एन.सी.मिल्स के मालिक मन मजदूर मन के पगार म 10 प्रतिशत कटौती कर दिस. येकर ले मजदूर मन फेर नाराज होगे अउ हड़ताल के तैयारी करे लागिस. ठाकुर साहब ह मजदूर मन के जायज मांग के समर्थन करिन. इही बीच रूईकर समझौता के कारण 600 मजदूर बेकार होगे. मजदूर मन फिर से त्यागमूर्ति ठाकुर साहब के पास समस्या के निदान बर गोहार लगाइन. ठाकुर साहब ह नया समझौता प्रस्ताव प्रस्तुत करिन जेला मिल प्रबंधन ह स्वीकार कर लिस अउ काम ले निकाले गे मजदूर मन ल फिर से नौकरी मिलगे. ठाकुर साहब के राजनांदगांव ले जिलाबदर के आदेश घलो निरस्त होगे. ये प्रकार ले सन् 1937 म ठाकुर साहब के नेतृत्व म मजदूर मन के तीसरा आंदोलन सफल होइस. ये प्रकार ले 1918 ले 1940 तक मजदूर आंदोलन के इतिहास म ठाकुर साहब ह सक्रिय भूमिका निभाइन.
छत्तीसगढ़ महाविद्यालय के स्थापना म योगदान
छत्तीसगढ़ में उच्च शिक्षा के कमी ल दूर करे खातिर 1937 महाकौशल समिति की स्थापना करिन अउ रायपुर म 1938 म छत्तीसगढ़ महाविद्यालय के स्थापना म योगदान दिस.
1942 म भारत छोड़ो आंदोलन म ठाकुर साहब बढ़-चढ़ के भाग लिस. ठाकुर साहब के नेतृत्व म 1942 के आंदोलन एकदम सफल होइस. कोनो प्रकार ले हिंसात्मक घटना नहीं घटिस.
राजनांदगांव म ठाकुर साहब के नाम म हायर सेकेंडरी स्कूल हे
ठाकुर साहब छत्तीसगढ़ सहकारिता आंदोलन के जनक हरे। क्षेत्र के बुनकर मन के आर्थिक दशा ला सुधारे बर सन् 1945 ईस्वी म छत्तीसगढ़ बुनकर सहकारिता समिति की स्थापना करिन। 1946 मा ठाकुर साहब छत्तीसगढ़ के सबो रियासत म जाके भारतीय संघ में विलय के जनमत तैयार करिन। ठाकुर साहब की निस्वार्थ सेवा पर सदा तइयार राहय।
जब त्यागमूर्ति ल जानकारी मिलिस असम के चाय बागान म कतकों साल ले कार्यरत सैकड़ों छत्तीसगढ़िया मजदूरों के शोषण होथे त 1950 ईस्वी में असम पहुंचेंगे। वह 2 महीना रुक के मजदूर मांगे समस्या पर एक प्रतिवेदन तइयार करिन ।असम के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री बारदोलाई ल सौंपिन।
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनिन
1947 म आजादी प्राप्त हुए के बाद घलो त्यागमूर्ति ठाकुर प्यारेलाल 1951 तक कांग्रेस के सेवा करिन। 1951 म ही म. प्र. विधानसभा बर रायपुर से विधायक निर्वाचित होईस । वह समय नागपुर राजधानी रिहिस। नागपुर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष निर्वाचित होइस ।
भूदान और सर्वोदय आंदोलन में पैदल यात्रा करिन।
भूदानआंदोलन म भागीदारी
राजनीति ले विरमत होके ठाकुर साहब है 1952 में भूदान और सर्वोदय आंदोलन ले जुड़गे । पैदल हजारों किलोमीटर घूम के भू दान के खातिर जनमानस ला तैयार करिन । उही समय त्यागमूर्ति ठाकुर साहब की तबीयत बिगड़ गे। 20 अक्टूबर 1954 जबलपुर के पास ठाकुर साहब हा अपन नश्वर शरीर का त्याग स्वर्गवासी बन गे । ठाकुर साहब ल भूदान आंदोलन के पहले शहीद कहे जाथे।
ठाकुर साहब सच्चा देशभक्त निर्भीक जाओ ठेठ बोलइया महामानव रिहिन । त्यागमूर्ति ठाकुर प्यारेलाल सिंह ह्रदय अऊ व्यवहार सरल रिहिन। भारत की आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाईन। ठाकुर साहब छत्तीसगढ़ के जन-जन के मन म बसे सर्वमान्य नेता अऊ छात्र मजदूर किसान जन आंदोलन के प्रणेता रिहिन । राजनांदगांव म ये महान नेता के स्मृति में एक हायर सेकेंडरी स्कूल के नाम रखे गे हवय. त्यागमूर्ति ठाकुर *प्यारेलाल सिंह* ल शत-शत नमन हे.
ओम प्रकाश साहू अंकुर
सुरगी, राजनांदगाँव
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