Monday, 23 September 2024

पधारो गजानंद महराज

 पधारो गजानंद महराज 

 

  गाँव मोहल्ला शहर म हल्ला हे,गणेश जी आवत हे, गणेश जी ला बइठारही चौक चौक म l नान्हे नान्हे बठवा लइका ले लेके ऊंच पुर लमगोड़वा टुरा मन सकलाके तैयारी करत हे l

झुंड के झुंड घर घर दुवारी म जाके मांगत हे "दे चंदा गणेश बैठारबो l" हाथ म रशीद धरे एक झन कहिस - "बता कतका काटंव? " देवय्या के ऊपर हे जाउंन दे दय l "ले पचास रुपिया  काट ले l " "वाह एमा का होही?"

"चंदा चंदा ए l" 

"त कतका? "देवइय्या पूछिस l 

मोबाईल मा गाना सुनत  तनियावत एक झन आघू म आके कहिस -" पांच सौ दे दाऊ l "  

पचचीस झन ला देख के दे l 

"मेंह दाऊ नोहंव l"  अउ जबरजस्ती.... I 

"जबरन मांगत हव हमर इच्छा जेन  हे,देवत हँव धर l"

का धर? धरे के पुरता हे l" 

त जा छोड़ घर के दुवारी ल l 

"अब जा नई देंवव l"

गणेश के मुसवामन झुंड के झुंड बोम्बियाये धर लीस l 

ओ देवाइया के गोसाइन आगे  l 

 "लुगरा आ जथे तीन सौ रुपिया म l"

 घर के गजानन्द भकुवाये हे कभू पोंछे हव?  पूछे हव तोला चौक म  बइठार बो "

 " न दिया न बाती आगेव बन के बराती l"

डीजे म कुदाहू कुदहु l अउ बिर्सजन म पी के चिल्लाहू l 

मुड़का टुरा कइथे -" दाई उपराहा झन गोठिया l"

" हर साल बइठावत आवत हन 

छोड़ दन का बैठारे बर l

देना हे त दे l चलो रे.... I " 

"देख लेबो "   कहत अउ दूसर के दुवार चलदीस l

गणेश जी के आये पहिली श्री गणेश होगे l चौक म बइठे बइठे देखे के बूता करही l बइठार के देखाही गाही आरती गाही -

" जै गणेश जै गणेश देवा 

कुछ तुम 'देवा 'कुछ हम 'लेवा' l "दर असल गणेश जी ले ज्यादा चौंक ले डर लागथे

बैठारने वाला के का चंदा?

अतेक मेहनत करके चौक ला सजाही देखाही अउ देखही घलो l अतेक गरु गणेश जी ल लाही  देखत रही जही l 

सबो झन कहत हे -

"पधारो गजानंद महराज  l"


मुरारी लाल साव 

कुम्हारी

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