पधारो गजानंद महराज
गाँव मोहल्ला शहर म हल्ला हे,गणेश जी आवत हे, गणेश जी ला बइठारही चौक चौक म l नान्हे नान्हे बठवा लइका ले लेके ऊंच पुर लमगोड़वा टुरा मन सकलाके तैयारी करत हे l
झुंड के झुंड घर घर दुवारी म जाके मांगत हे "दे चंदा गणेश बैठारबो l" हाथ म रशीद धरे एक झन कहिस - "बता कतका काटंव? " देवय्या के ऊपर हे जाउंन दे दय l "ले पचास रुपिया काट ले l " "वाह एमा का होही?"
"चंदा चंदा ए l"
"त कतका? "देवइय्या पूछिस l
मोबाईल मा गाना सुनत तनियावत एक झन आघू म आके कहिस -" पांच सौ दे दाऊ l "
पचचीस झन ला देख के दे l
"मेंह दाऊ नोहंव l" अउ जबरजस्ती.... I
"जबरन मांगत हव हमर इच्छा जेन हे,देवत हँव धर l"
का धर? धरे के पुरता हे l"
त जा छोड़ घर के दुवारी ल l
"अब जा नई देंवव l"
गणेश के मुसवामन झुंड के झुंड बोम्बियाये धर लीस l
ओ देवाइया के गोसाइन आगे l
"लुगरा आ जथे तीन सौ रुपिया म l"
घर के गजानन्द भकुवाये हे कभू पोंछे हव? पूछे हव तोला चौक म बइठार बो "
" न दिया न बाती आगेव बन के बराती l"
डीजे म कुदाहू कुदहु l अउ बिर्सजन म पी के चिल्लाहू l
मुड़का टुरा कइथे -" दाई उपराहा झन गोठिया l"
" हर साल बइठावत आवत हन
छोड़ दन का बैठारे बर l
देना हे त दे l चलो रे.... I "
"देख लेबो " कहत अउ दूसर के दुवार चलदीस l
गणेश जी के आये पहिली श्री गणेश होगे l चौक म बइठे बइठे देखे के बूता करही l बइठार के देखाही गाही आरती गाही -
" जै गणेश जै गणेश देवा
कुछ तुम 'देवा 'कुछ हम 'लेवा' l "दर असल गणेश जी ले ज्यादा चौंक ले डर लागथे
बैठारने वाला के का चंदा?
अतेक मेहनत करके चौक ला सजाही देखाही अउ देखही घलो l अतेक गरु गणेश जी ल लाही देखत रही जही l
सबो झन कहत हे -
"पधारो गजानंद महराज l"
मुरारी लाल साव
कुम्हारी
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