Monday, 23 September 2024

पितर पाख : वैज्ञानिक दृष्टिकोण

 पितर पाख : वैज्ञानिक दृष्टिकोण


    हमर सांस्कृतिक अउ सामाजिक परम्परा  अध्यात्मिकता और वैज्ञानिकता   से जुड़े हे l

पितर पाख परिपाटी म घलो इही तथ्य जुड़े हे l 

समय के साथ मान्यता अउ रीति नीति म बदलाव आथे फेर समूल नकारा नई जा सके l

जुन्ना परम्परा रीति रिवाज ल रूढ़िवादिता कहिके विवादित विचार बनाना  गलत हे,नवीन मान्यता ल जोड़े जा सकत हे l 

       पितर कोन ए? अपन पुरखा  अपन परिवार के बंसावली जेकर गौत्र ले पूरा पूरा संबंध हे l 

   अपन पुरखा पितर बर श्रद्धा प्रेम अउ विश्वास प्रगट करे के पखवाड़ा ह पितर पाख हरे l 

   पिढ़वा म चौंक पूरके कलश म मुखारी दिया जलाके तोरई फूल, या तोरई रख के घर के दुवार म उंकर आगमन अभिनंदन हे l उरीददार के बरा 

गुड़ घी के हूम एक प्रकार ले हवन हे l 

पितर खेदा याने पंद्रह दिन बिदाई के मान्यता  परवा छान्ही म कउवा मन के नाम से भोग देना l 

  दुनिया म नइये  ओ मैनखे का वो आही? वो तो कोनो दूसर योनि म आ गे होही l

 अउ बात आथे  कतेक बरस ले अपन पीढ़ी के अंस बंस ला  जानही?

तीसर गोठ अउ होथे मान त पितर देव हे नई ते भूत प्रेत 

भूत प्रेत ला बुलाबो?

चौथा तर्क देथे उंकर अवई देखई  खान पान पितर पाख भर होथे शराप देथे असीस घलो देथे अइसे कइसे होही?

    सबके एके ठोस मत  शास्त्र ल अध्यात्म  पूजा पाठ परम्परा ऊपर विस्वास हे त पितर अउ पितर पाख ल मान l 

अपन स्वर्गीय दाई ददा बबा डोकरी दाई पितामह परदादा  के नता गौत्र ले हे l एके गौत्र के साथ विवाह संबंध नई जुड़ सकय l  बाप के अंस  ओकर बेटा बंस म कुछ खास जिन्स लक्षण पाये जाथे l

  पितर मन के प्रति आस्था विश्वास करे ले आत्मिक सुकून शान्ति  सुखी संतोष के भाव पनपाथे l घर परिवार म एक दूसर के प्रति आदर अउ आदर्श  संस्कार ला नींव मिलथे l

तै अपन स्व. दाई ददा ला मान गौन इज्जत नई देबे? त तोर बेटा नाती  तोर का कद्र करही? अभी तो वो इही देखत हे इही परिपाटी के बहाना म l अइसे देखे सुने म आथे जेन ए परिपाटी ल नई मानय तेखर घर  बिगड़ जाथे l 

बिगड़ही काबर नहीं, बाप अपन बाप ला नई मानिस त आने वाला बेटा उही अपन बाप ला नई मानय न मान न सम्मान l घर म बिगड़े संस्कार दिखही l लड़ाई झगरा कलह असंतोष अशांति बढ़ही l इही पितर के सराप जान अउ मान l 

पितर पाख घर म सुमत शान्ति सही सोच विचार पुरखा मन के त्याग तपस्या मेहनत सदाचरण मान गौन संस्कार ला सुरता भर नहीं प्रेरणा अउ आदर्श बनाथे l


मुरारी लाल साव 

कुम्हारी

No comments:

Post a Comment