Monday, 23 September 2024

कवि

 "कवि"

          कहिथे जिंहां नी पहुंचे रवि तिहा पहुंचे कवि।यहु एकठन अलकरहा किसम के जीव आय। इंकर बुद्धि के पार ल तो ब्राह्म घलो पार नी पा सके। घर म बईठे- बईठे पूरा दुनिया ल छांद -बांध डरथे।जेन ढंग ले कुदारी धरे ल नी जाने तेन हर मुंही पार बांध डारथे।

      हमर परोसी लेड़गा कथे भईया महूं कवि बनहूं।त मे कहेव  ताहन तहूं ह लमीया -लमीया के लिखबे।जईसे एक झन कवि लिखे हे,'दे दी आजादी हमें बिना खड्ग बिना ढाल '?ते जानथस रे लेड़गा हमर देस ल आजादी देवाय म कतिक मनखे, क्रांतिकारी मन बलिदान होगे। शहीद वीर नारायण सिंह ल तो तोप म बांध के उड़ा दिस। भगत सिंह ल फांसी म लटका दिस। सुभाष चन्द्र बोस के आज ले पता नी चलिस। चापलूस मन वो समे घलो जिंदाबाद रिहिस अऊ ए समे घलो।हमर देस बड़ बिचित्र हे रे लेड़गा आज छेरी के रस्सी सही सलामत हे फेर वो फांसी के रस्सी खोजे म नई मिलय।आज घलो हमन दिमागी रूप ले गुलाम हन।

       हां भई तोला कवि बनना हे ते संच ल लिखबे।जईसे एक झन कवियत्री ह लिखीस

      चमक उठी सन सत्तावन में वह तलवार पुरानी थी 

खुब लड़ी मर्दानी वह तो 

झांसी वाली रानी थी।

      कविता लिखे के मतलब दशा दिशा ह मिलय जुलय।एकदम फेंकू राम कस नी होना चाहि।इहां तो एक ठन पेंड़ घलो नी लगाय तेन पर्यावरण संरक्षण के गोठ लिखथे।जईसे जादूगर मन ल मैजिसियन कथन वईने कुछ हद ले अईसन प्राणी मन ल फेंकोलाजिसियन भी कही सकथन।

यहू मन किसम -किसम के होथे जईसे तीन बेंदरा, बुरा देखो झन, बुरा सुनो झन, बुरा बोलो झन।ये जम्मो मानसिक गुलामी ले पीड़ित होथे। अभी कुन इही किसम के चलन जादा हे।

      लेड़गा कथे 'जिहां नी पहुंचे रवि तिहा पहुंचे कवि 'ये काय होथे भईया ।मे कहेंव एक तो ऊंकर सोच बिचार,दूसर इंखर मन के कवि सम्मेलन जन जागरुकता। आजकल तो छट्ठी बरही,परब, उत्सव, श्राद्ध असन म कविता पढ़ देथे।लेड़गा कथे ये कवि मन श्राद्ध म कइसे कविता पढ़हत होही भईया।एकर अनुभव तो  नई हे रे लेड़गा फेर एक ठन कव्वाली के लाइन सुरता आवत हे, 

तेरी याद आई जुदाई के बाद।

लेड़गा कथे एकात लाइन अऊ सुना देना भईया त सुन,

तुम तो ठहरे परदेसी साथ क्या निभाओगे।टनानना

त लेड़गा तहूं एकात दू लाइन सुना  तभे तो कवि बनबे।लेड़गा कथे गाड़ी के पाछू लिखाय रिहिस तेला सुनात हों भईया,

   कतनो झन झूलिस फांसी मे,

  कतनो झन गोली खाईस 

   काबर लबारी मारथो सहाब

  चरखा ले आजादी आईस।


         फकीर प्रसाद साहू 

             "फक्कड़ "

        २७-८- २०२४

No comments:

Post a Comment