Monday, 23 September 2024

खुमरी

 खुमरी 

हमर छत्तीसगढ राज म जुन्ना सियान मन खुमरी पहिने के उपयोग जादा करत रहीन आज जमाना बदल गए हे नवा लइका शहर के चका मा आंखी ह  चौधियागे नवा नवा मिसिन नवा नवा तकनीकी हमर देश मा बगरगे l पुराना जमाना मा मूसलाधार वर्षा अऊ धुक धुक हवा पानी तन ला जाड़ मा कपा डारय पहिली जूना ओढना घर मा कम राह या पानी हवा के मिंझरा मा दांत किंकिनाय लगय एकर बचे के किसान खेतिहर मजदूर मन नवा उदिम सोचिन अऊ सोचत  सोचते खेत के पार मा लगे परसा के बड़े बड़े पत्ता तोड़ के चोंगा बना के अपन मुड़ मा लगा के देखीं न ऐकर से मुड़ मा पानी के बचाव होगे जेकर से ठंडा कम लगिस फेर ओकर बड़े रूप बना के देखी न येकर लगाय से पानी हवा दोनो के बचत होगे येला खुमरी के न नाम से जाने जत्थे

 पत्ता के खुमरी केवल बरसात भर बौउरे जाथे फेर मनखे ल नवा तरकीब सोचिस बांस के बेत बनाके घाम से अपन बचाव करथे खुमरी कौड़ी लगा के आकर्षक कर देथे अब हमर चरवाहा भाई मन जादा पहिन थे 

ये तोही ला खुले ना तो ही ल खुले ना, तो र कौड़ी के झुलना तोर खुमारी के कौड़ी तोहि ला खुले न l

जनाब मीर अली साहेब के ओ गीत हमर अन्तस ल छु लेथे l

नदा जाहि का  र नदा जा ही का

कमरा अ ऊ खुमरी नागर तुतारी 

नदा जहि का .....

सिरतो धीरे धीरे आज ये संस्कार कम देखे ल मिलथे l


मोहन लाल, निर्दोष,

रायपुर

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