Monday, 23 September 2024

आजादी के लड़ाई म नारी शक्ति के योगदान

 आजादी के लड़ाई म  नारी शक्ति के योगदान


पहली हमर देश ह "सोन के चिरइया" कहलाय। भारत वर्ष ह धन धान्य, खनिज संपदा के संगे -संग संस्कृति अउ सभ्यता ले अब्बड़ समृद्ध रिहिन हे। सिंधु घाटी के सभ्यता, नालंदा विश्वविद्यालय के संगे संग इहां के ऐतिहासिक अउ धार्मिक ठउर येकर उदाहरण हावय।  हमर देश म विदेशी लोगन मन बेपारी मन के आइस। इहां के राजा- महाराजा मन ले बेपार के अनुमति लेके इहां बेपार करे लागिस। इहां पुर्तगाली, फ्रांसीसी, डच, अंग्रेज आइस अउ अपन-अपन बेपार म लग गे। इंकर बीच बेपार खातिर आपस म नंगत लड़ाई चलिस जेमा आगू चलके अंग्रेज मन अपन धाक जमाय म सफल होइस। अंग्रेज मन हमर देश म एक छत्र राज करिस। फूट डालो अउ राज करो,हड़प नीति ल अपना के इंहा के राजा - महाराजा ल आपस म लड़ाइस। अंग्रेज मन भारतवासी मन उपर नंगत अत्याचार करिस।1857 म पहली बार हमर देश के राजा- महाराजा मन सुनता के गांठी म बंधके  लड़ाई लड़िन। कित्तूर के रानी चेन्नमा,भीमा बाई होल्कर, रामगढ़ की रानी,रानी जिंदन कौर,रानी टेसबाई,बैजा बाई, चौहान रानी, तपस्विनी महारानी जइसे कतको नारी शक्ति मन घर के चार दीवारी ले निकल के अपन धरती माता के संगे संग नारी जात के स्वाभिमान बर लड़िन।


    हमर देश के आजादी के लड़ाई म नारी शक्ति मन के अब्बड़ योगदान हावय। 1857 के पहली भारतीय स्वतंत्रता संग्राम म झांसी के रानी लक्ष्मीबाई, झलकारी बाई अउ झांसी के कतको वीर नारी मन के योगदान ल भला कभू भुलाय जा सकथे का। सुभद्रा कुमारी चौहान ह अमर कविता के रचना करिन - खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी.......।अइसने रानी दुर्गावती, अहिल्या बाई, बेगम हजरत महल, अउ ऊंकर सहयोगी वीर नारी मन के वीरता ले पूरा भारतवासी परिचित हावय। इंकर वीरता ले अंग्रेज शासन म हड़कंप मच गे रिहिस।


 ‌ आधुनिक काल म आजादी के लड़ाई के संगे संग पुनर्जागरण म नारी शक्ति के अब्बड़ योगदान हे। सावित्री बाई फूले ह पहिली महिला शिक्षिका के रुप म अपन अलग पहिचान बनाइस त आजादी के लड़ाई म घलो योगदान दिस।।नाना प्रकार के पीरा सहिस पर अपन उदिम ल नइ छोड़िन अउ नारी मन के जिनगी म शिक्षा के सुघ्घर अंजोर बगराइस। आयरिश महिला एनी बेसेंट भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पहिली महिला अध्यक्ष बनिन। वोहा तिलक जी के साथ जुड़ के विदेशी जिनिस मन के बहिष्कार स्वदेशी जिनिस मन के प्रचार प्रसार म योगदान दिस। अंग्रेज सरकार के विरुद्ध अपन आवाज बुलंद करिन। अइसने मेडम भीकाजी कामा, सिस्टर निवेदिता ,कैप्टन लक्ष्मी सहगल,,सरोजिनी नायडू , सूचेता कृपलानी  कस्तूरबा गांधी, कमला नेहरू,राज कुमारी अमृत कौर,अरुणा आसफ अली,विजया लक्ष्मी पंडित, मीरा बेन, कमलादेवी चट्टोपाध्याय,इंदिरा गांधी जइसन महान नारी मन आजादी के  असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा अउ भारत छोड़ो आंदोलन म पुरुष मन संग कदम ले कदम मिला के भाग लिस अउ देश खातिर जेल गिस।


  हमर छत्तीसगढ के नारी शक्ति मन आजादी के लड़ाई म कइसे पाछू रहितिस। निकल पड़िस भारत महतारी के रक्षा खातिर। अंग्रेज मन ले जोम देके लड़िन। 1910 म बस्तर म भूमकाल विद्रोह म रानी सुवर्ण कुंवर के अब्बड़ योगदान रिहिन।रानी सुवर्ण कुंवर अउ लाल कलेन्द्र सिंह ह वीर गुंडाधूर ल भूमकाल विद्रोह के सेनापति बनाके अंग्रेज़ी शासन के अब्बड़ अत्याचार के विरोध म बस्तर के लोगन मन ल लड़े बर प्रेरित करिन।


  जब हमर देश म गांधी युग चलिस त वो बेरा म इंहा के नारी शक्ति मन असहयोग आंदोलन, कंडेल नहर सत्याग्रह, नमक कानून तोड़ो आंदोलन ( सविनय अवज्ञा आंदोलन), जंगल सत्याग्रह अउ भारत छोड़ो आंदोलन म अब्बड़ उछाह ले भाग लिस। गांधी जी के अहिंसक आंदोलन अउ उंकर बताय रद्दा शराब बंदी, स्वदेशी जिनीस के प्रचार प्रसार, विदेशी जिनिस मन के बहिष्कार अउ होली जलाना, कुटीर उद्योग ल अपनाय जइसे रचनात्मक कारज मन ल करिन। छत्तीसगढ़ म  आजादी के आंदोलन म भाग लेवइया 

नारी शक्ति मन म डा. राधा बाई,  बालिका दयावती,मिनीमाता,मूलमती, रोहिणी बाई परगनिहा,केकती बाई बघेल, रूक्मिणी बाई जइसन हजारों नारी मन  के  नांव सामिल हावय।


    ओमप्रकाश साहू" अंकुर"

    सुरगी, राजनांदगांव

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