Friday 5 March 2021

छत्तीसगढ़ी अउ पाठ्यक्रम -सरला शर्मा

 छत्तीसगढ़ी अउ पाठ्यक्रम -सरला शर्मा

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    पटल मं बुधियार लिखइया मन के विचार पढ़े बर मिलत हे जेकर से बहुत अकन नवा अउ अच्छा सुझाव घलाय के जानकारी होवत हे । पटल मं विमर्श होथे त पाठक ल ही नहीं लेखक ल भी फायदा होथे काबर के गद्य लेखन के अभ्यास होथे जेहर छत्तीसगढ़ी भाषा के विकास बर जरूरी हे दूसर बात के लोकाक्षर के स्थापना के उद्देश्य भी इही हर आय । 

      मातृभाषा मं लइकन के पढ़ाई के सुरुआत बने बात आय एकर से लइकन के रुचि बढ़थे , पाठ्यवस्तु ल जल्दी अउ अच्छा से समझे सकथे । हमर छत्तीसगढ़ मं हल्बी , गोंड़ी , कुडुक , सादरी अउ कई ठन रुप छत्तीसगढ़ी के चलागत मं  हावय त प्राथमिक कक्षा के पाठ्यक्रम मं क्षेत्र के अनुसार मातृभाषा ल स्थान मिलना उचित होही फेर माध्यम के रूप मं नहीं एक विषय , एक भाषा के रुप मं स्थान मिलय । बाकी विषय के पढ़ाई हिंदी मं ही होना चाही । 

    पूर्व माध्यमिक के पाठ्यक्रम मं त्रिभाषा सूत्र लागू रहे ले लइका मन हिंदी , अंग्रेजी , संस्कृत पढ़हीं फेर हिंदी मं छत्तीसगढ़ी के पाठ बरोबर रहय जइसे दस पाठ हिंदी के त दस पाठ छत्तीसगढ़ी के ...ए उमर के लइका छत्तीसगढ़ी अउ हिंदी के अंतर , समानता अउ उपयोगिता समझे लाइक हो जाथे । 

    माध्यमिक स्तर के पाठ्यक्रम मं हिंदी के संग मातृ भाषा छत्तीसगढ़ी जरुर रहय फेर मानक छत्तीसगढ़ी के पाठ रहय । अंग्रेजी अउ संस्कृत भी रहय काबर के संस्कृत हर भारतीय भाषा के मूल आय जेहर मातृभाषा छत्तीसगढ़ी अउ हिंदी दुनों ल समझे मं सहायक हे । अंग्रेजी जरुरी एकर बर हे के लइका रोजी रोजगार बर देश , विदेश कहूं  भी सुछंद जाये सकय ।

     उच्चतर माध्यमिक मं लइकन अपन रुचि अनुसार विषय ले के पढ़थें जेन हर उंकर भविष्य के पढ़ाई , रोजी रोजगार के आधार बनथे ते पाय के विषय चाहे आर्ट्स , साइंस , वाणिज्य जौन भी चुने जाथे तेकर पाठ्यक्रम बढ़ जाथे लइकन जादा ध्यान भी इही डहर देथें अइसन समय मं पाठ्यक्रम मं दू भाषा रहय पहिली राष्ट्रभाषा हिन्दी दूसर अंग्रेजी काबर के आजकल इही दुनों भाषा हर उदर भरण के भाषा बन  गए हे त दूसर बात के ये उमर के लइकन अपन मातृ भाषा छत्तीसगढ़ी ल बोले , समझे लाइक हो जाथें । 

    फेर सुरता कर लिन के छत्तीसगढ़ी ल माध्यम न बना के एक विषय के रुप मं पाठ्यक्रम मं स्थान मिलय । रहिस बात छत्तीसगढ़ी साहित्य के त साहित्यकार मन तो पहिली भी लिखत रहिन , अवइया दिन मं भी लिखहीं ...। छत्तीसगढ़ी पढ़े लिखे लइका मन तो अउ अच्छा लिखहीं कहि सकत हन छत्तीसगढ़ी साहित्य दिनों दिन जगर मगर करही ।

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