Friday 5 March 2021

सुरता(मस्तूरिहा जी)-सूर्यकांत गुप्ता


स्व. लक्ष्मण मस्तूरिया जी ल शब्दांजलि अउ स्वरांजलि


          

सुरता(मस्तूरिहा जी)-सूर्यकांत गुप्ता

 हिरदे ले जतका खुशी बर भाव नई ओगरय ओखर ले जादा खुद के,  देस दुनिया, अपन राज के दसा दुर्दसा ल देख के ओगरथे। अउ वो भाव कथा, कहानी कविता, उपन्यास गीत संगीत के रूप म सबके आगू आथे। कोनो दिन रात मिहनत करके एक कलाकार बनथें त कोनो ल भगवान उपहार के रूप म वो कला दे रथे।भगवान ले उपहार के रूप म पाये अइसन कला के धनी के प्रत्यक्ष उदाहरण हमर छत्तीसगढ़ के माटी के पीरा ल अपन राज के गुरतुर बोली मा कविता, गीत, कहानी, उपन्यास के लिखइया, जिंखर गीत हा ए छत्तीसगढ़ के जन जन म लोकप्रिय हे, छत्तीसगढ़ महतारी के रतन बेटा लक्ष्मण मस्तुरिया जी 7 जून 1949 म ग्राम मस्तूरी (पुराना जि. बिलासपुर) म अँवतरिन। आज उंखर सबले लोकप्रिय गीत  "मोर संग चलव रे",  "पता दे जा रे गाड़ी वाला", मन डोलै रे माँघ फगुनवा" अऊ कई ठन हे...फिल्म मोर छंइया भुइंया बर लिखे उंखर गीत ला कोन नई जानत होही....छत्तीसगढ़ राज बने के कई साल पहिली रायपुर ल राजधानी के रूप देखइया लक्ष्मण मस्तूरिया जी के तीन नवंबर के अकस्मात निधन ह  ए राज के जन जन ल सदमा म बुड़ो दईस। आज महीना भर होत हे उंखर निधन ल। फेर ए राज के मनखे ओ सदमा ले उबरे नइयें। इही उंखर सुरता ल जिंदा रखना उनला अमर बना दे हे।


आज  02 दिसंबर 2018 दिन अइतवार के आदरणीय श्री अरुण निगम जी, अध्यक्ष, दुर्ग जिला हिंदी साहित्य समिति दुर्ग के सौजन्य से श्रद्धेय स्व. मस्तूरिया जी के व्यक्तित्व अउ  कृतित्व उपर भावांजलि अउ उंखर रचना के स्वरांजलि के आयोजन दुर्ग के आई एम. ए. भवन म रखे गे रहिस। माई पहुना रहिन वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप वर्माजी, अउ विशेष रूप से आमंत्रित छत्तीसगढ़ के सुप्रसिद्ध गायिका श्रीमती कविता वासनिक रहिन। कार्यक्रम के अध्यक्षता करिन; वरिष्ठ साहित्यकार अउ स्व. मस्तूरिया जी के साहित्य साधना के शुरुआती दिन म काफी लंबा समय तक उंखर नजदीक रहइया श्रद्धेय रवि श्रीवास्तव जी। श्रद्धेय स्व. लक्ष्मण मस्तूरिया जी के व्यक्तित्व ऊपर अपन उद्गार उंखर गीत "घुनही बँसुरिया" अउ "मोर संग चलव" के एक एक शब्द म छिपे जीवन-दर्शन ल समझावत हिंदी के वरिष्ठ साहित्यकारा हम सबके मयारुक आदरणीया दीदी श्रीमती सरला शर्मा मन प्रकट करिन।  


                  ए कड़ी ल आगू बढ़ावत श्रद्धेय स्व. रामचंद देशमुख जी के मंच  "चँदैनी गोंदा" जउन हर श्रद्धेय स्व. मस्तूरिया जी ल प्लेट-फॉर्म दिस, उही "चँदैनी गोंदा ले जुड़े आदरणीया दीदी संतोष झाँझी मन उंखर गीत गा के स्वरांजलि दईन। इही कड़ी म माई पहुना श्री प्रदीप वर्माजी द्वारा उंखर संग रहे दिन के सुरता करे 

गईस।   शायद उनला बीते  अनुभव होइस होही के वास्तव म कतको बड़े बड़े साहित्यकार भले संग म रहँय, मंच साझा करँय, फेर दूसर के रचना के तारीफ कभू नई कर सकँय, खासकर मस्तूरिया जी संग अइसन वाकिया होय होहै;  एकरो जिक्र करिन।

अपन अध्यक्षीय उद्बोधन म श्रद्धेय रवि श्रीवास्तव जी स्व. मस्तूरिया जी के संग बिताये दिन के सुरता करत मस्तूरिया जी के जीवन के कुछ  अनकहे/छिपे पहलू ल भी मड़ाइन। इही बीच म हमर छत्तीसगढ़ के स्वर कोकिला श्रीमती कविता वासनिक द्वारा भी श्रद्धेय स्व. मस्तूरिया जी के गीत ला अपन स्वर दे के साथे साथ उंखर संग मंच साझा करे के समय के संस्मरण सुनाये गईस। अध्यक्षीय उद्बोधन के बाद प्रथम सत्र के समापन होइस। आभार प्रदर्शन समिति के पूर्व अध्यक्ष  आदरणीय डॉ. संजय दानी द्वारा करे गईस।


कार्यक्रम के संचालन अध्यक्ष, दुर्ग जिला हिंदी साहित्य समिति के अध्यक्ष, वरिष्ठ साहित्यकार  अउ जनकवि स्व. कोदूराम जी दलित के बड़े बेटा श्री अरुण निगम, सेवा निवृत्त मुख्य प्रबंधक भारतीय स्टेट बैंक अउ ,श्रद्धेय स्व. लक्ष्मण मस्तूरिया जी के डेढ़साले साहब अउ सबले बड़े बात हमर राजभाखा छत्तीसगढ़ी ल पोठ करे बर अथक प्रयास म लगे "छंद के छ" नाव के व्हाट्सएप म कक्षा चलवैया हमर छंद गुरु,  द्वारा करे गईस। उन कार्यक्रम संचालन के दौरान श्रद्धेय स्व. मस्तूरिया जी के  नियमित संयमित जीवन के बारे म बतावत गईन। उंखर सहजता सरलता के बारे म बतावत उंखर स्वाभिमान के चर्चा करिन। उंखर विशेष बात, चाटुकारिता ल अपन तीर फटकन नई दिन,  के विशेष जिक्र करे गईस।


दूसर सत्र प्रारंभ होइस, श्रद्धेय स्व. मस्तूरिया जी के गीत के संगीतमय प्रस्तुति ले। हमर राज के स्वर कोकिला श्रमती कविता वासनिक, उंखर बेटी, अउ ऊंखर समूह द्वारा मस्तूरिया जी के एक सेबढ़के एक गीत के लय सुर ताल के संग गायन चलिस। आदरणीया कविता दीदी के पति आदरणीय विवेक वासनिक जी हारमोनियम म संगत दईन । "मोर संग चलव रे" "पता दे जा रे...." के संग अउ अब्बड़ अकन गीत के प्रस्तुति दे गईस। पूरा हाल सुनते रहि गँय। उठ के जाय के मन नई करत रहिस। भाई महादेव हिरवानी जी, मनहरण साहू जी मन घलो एक से बढ़के एक गीत गाईन। ए सत्र के संचालन श्रद्धेय विजय मिश्राजी, डिप्टी जनरल मैनेजर, सी.एस.ई.बी करिन अउ आभार प्रदर्शन श्री विजय गुप्ता जी द्वारा करे गईस।


ए कार्यक्रम ल सफल बनाये बर  आदरणीय सर्वश्री नवीन तिवारी, सचिव दुर्ग जिला हिंदी साहित्य समिति दुर्ग, डॉ. संजय दानी,  श्री विजय गुप्ता, बलदाऊ रामजी साहू, सूफी शाद, डॉ. नौशाद, श्री यशवंत सूर्यवंशी, अउ बहुत झन बड़े बड़े साहित्यकार आये रहिन जिंखर नाव के सुरता मोला नई आवत हे; उंखर बहुत बड़े योगदान रहिस। उत्साह बढ़ाये बर सर्वश्री सुनील गुप्ता, सुनील जैन अउ सुभाष के उपस्थिति भी सराहनीय रहिस। दीदी  मन म श्रीमती विद्या गुप्ता, श्रीमती शुचि भवि संगे सँग अउ बहिनी मन के उपस्थिति भी महत्वपूर्ण रहिस। आदरणीय निगम जी के परिवार के जम्मो सदस्य; श्रीमती सपना निगम, उंखर छोटे भाई श्री हेमंत निगम, बेटा  चैतन्य निगम, अभिषेक निगम, स्व. मस्तूरिया जी के सुपुत्री श्रीमती शुभा यादव अउ दामाद के सहयोग अउ योगदान ल नई भुलाए जा सकै। 


               सूर्यकांत गुप्ता

                 रायपुर

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