Monday 15 March 2021

लिफाफा-चोवराम वर्मा बादल

 *लिफाफा-चोवराम वर्मा बादल

अहोभाग्य! आवव---आवव समधी जी--बिराजव। कती ले आवत हव? सब बने-बने हे ना---?

रमेश हा महिना दिन पहिली रिश्ता जुड़े अपन बेटी के ससुर जेन अचानक वोकर घर आये हे के जै जोहार करत कहिस।

हाँ --समधी महराज सब बने-बने हे।इही कोती ले रामपुर गाँव गँड़वा बाजा लगाये बर जावत रहेंव त सोचेंव थोकुन हमा लँव।

ठीक करेव भई-- नता रिश्ता ल तो अइसने निभाये ल परथे।ले सुनावव अउ का चलत हे---

अउ का चलही महोदय--आप तो जानत हव--मोर दुलरवा बेटा के बिहाव होना हे। आठे दिन तो बाँचे हे-- समे मा गाड़ी-घोड़ा मिलय नहीं तेकर सेती अभी ले जोर-शोर ले तइयारी म लगे हँव। मोला तो पंदरा-बीस ठन गाड़ी करे बर लागही। आप तो जानते हव--पचीस-तीस साल ले समाज सेवा करत हँव।दू पइत सरपंची तको करे हँव।जम्मो साहेब-सोदा अउ बड़े-बड़े नेता मन ले उठना- बइठना हे। बरतिया दू सौ हो जही तइसे लागथे समधी--

हाँ-- सीला असन सिल्होहू तभो ओतका बराती होई  जही-रमेश हा गुनत कहिस।

हमर बहू गीता बेटी दिखत नइये --कहूँ गे हे का समधी?

 नहीं--घरे म हे। वो दे आप बर चाय-पानी धरके आवत हे।

गीता ह अपन ससुर के पाँव परके चाय-पानी दिस तहाँ ले लहुटके परछी ले उँकर बातचीत ल सुने ल धरलिस।

हाँ---एक बात अउ हे समधी जी--सुरता आगे त गोठियई लेथँव। आप ल तो बतई  डरे हँव - हमन दहेज के सख्त खिलाफ हन। हम तो दू लुगरा म बहू ल बिदा करा लेग जबो फेर आप तो आजकल के चलन सहीं बर्तन भाँड़ा,रंगीन टी वी, कूलर, सोफा--गाड़ी- उड़ी दे बर सोंचेच होहू---

हाँ-- समधी---बेटी ल बाप दुच्छा थोरे बिदा करथे ---  रमेश कहिस।


हाँ--हाँ-- उही तो महूँ काहत हँव---अइसे करहू कुछु समान झन देहू वोकर सेती कम से कम सात-आठ लाख के चेक लिफाफा म डार  के दे देहू-- तुँहरे बेटी -दमाद के काम आही--साँप घलो मर जही अउ लाठी तको नइ टूटही---ले अब चलत हँव--बिदा दव--।

वोकर बात ल सुनके रमेश के चेहरा फक परगे।वोला बिदा करे बर खोर तक  आइस ।पिछू -पिछू गीता ह तको अइस अउ अपन दू मिनट पहिली तक के ससुर जी के हाथ म एक ठन लिफाफा धरावत कहिस--बाबू जी एकर भितरी म मोर अभिच्चे एक लाइन के लिखे चिट्ठी हे तेला घर जाके पढ़हू।


चोवा राम 'बादल'

हथबंद, छत्तीसगढ़

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