Friday 5 March 2021

छत्तीसगढ़ के पाठ्यक्रम म छत्तीसगढ़ी-मथुरा प्रसाद वर्मा


छत्तीसगढ़ के पाठ्यक्रम म छत्तीसगढ़ी-मथुरा प्रसाद वर्मा

 आज के विषय ल महत्व ल समझ के अपन अल्पमति से अपन बात रखे के प्रयास करता हँव। मोर विचार से असहमति हो सकत हे। ज्यादातर विद्वान मन कहिथे कि जेन लइका स्कूल आथे वो माटी के कच्चा लोंदा होथे स्कूल अउ शिक्षक जइसे चाहथे वइसे बना सकथे। फेर मोर मानना एकर ले अलग हे।

       लइका जब स्कूल आथे तब खाली हाथ नइ आवय । वो अपन सँग आपन मातृ भाषा के शब्द भण्डार लेके आथे।वो शब्द सयोजन अउ वाक्य विन्यास के अहम जानकारी ले के आथे। लइका खाली हाथ नइ आवय बहुत अकन गीत, कविता, कथा कहानी आदि रूप म साहित्य घलो जानथे। भले लइका मन हमर कस साहित्यिक शब्द अउ वाक्य म अभिव्यक्ति नइ कर सकय फेर ओखर  बोल चाल के भाषा हमर ले बहुत कमजोर नइ रहय। 

              अउ दूसर बात लइका केवल शिक्षक अउ स्कूल ले नइ सिखय । वो अपन मा-बाप, घर-परिवार, अउ परिवेश ले घलो सीखथे। अउ जे अपन परिवेश ले सिखथे वोहू महत्वपूर्ण होथे । ये बात ला मानना चाही। अउ ओखर उपयोग स्कूली शिक्षा म होय ले शिक्षा सरल अउ सुगम हो जथे। दूसर भाषा ले पढ़ना लिखना सीखे के कारण सबले ज्यादा प्रभावित हमर अभिव्यक्ति क्षमता होथे । ते पाय के 12 वी पास करे के बाद भी हमर 80 प्रतिशत लइका अपन बात ल बोल अउ लिख के नइ रख पावय। जबकि नवा स्कूल अवइया लइका ल आपन भाखा म बोले के अवसर दे जाय त अपन बात रखे सिख जथे।

    कुछ विद्वान कहिथे के लइका अपन शुरुवात के पाँच सात साल म जतका शब्द सीखथे, अउ ओतके शब्द सीखे म बहुत साल लग जथे। वो लइका मन ला पढ़ना लिखना सिखाये के नाम ले दूसर भाषा सीखना काफी कठिन कार्य होथे। लइका अपन अपरिचित शब्द जेकर उपयोग ओखर दैनिक जीवन म नइ हे ओखर माध्यम ले पढ़ना लिखना सीखना बहुत मुश्किल होथे। जइसे हमन वर्णमाला सीखे के समय ईख, शलजम, कबूतर, से वर्ण परिचय छत्तीसगढ़िया लइका बर कठिन हो जथे। काबर कि वो इखर ले परिचित नहीं रहय । तेकर सेती लइका ला पढ़ना लिखना ओकर अपन भाषा मा सीखना अति आवश्यक हे। जइसे हर बंगाली, गुजराती, मराठी लइका मन ल हे, आप मन ल पता हे कि नही ये नइ जानव फेर हमारे राज्य म मुस्लिम लइका मन उर्दू म पढ़े लिखे सीखथे । पूरा परलकोट पखांजुर क्षेत्र म आज भी बंगला भाषा से प्राथमिक शिक्षा के माध्यम हरे। अउ तो अउ हजारो प्राथमिक शाला के भर्ती घलो बंगला पढ़ाए बर होय हे। फेर छत्तीसग़ढ म छत्तीसगढ़ी के साथ ऐसे नइ होवत हे त ये हमर सरकार मन के षड्यंत्र हरे। छत्तीसगढ़िया लइका मन ऊपर अत्याचार हरय।  अउ अपन आप ल छत्तीसगढ़ी के रक्षक अउ सेवक कही कही के अपन कद ऊँचा करैया मन के नाकामी हरय। हम सब सच्चा मन से प्रयास करतेन अपन स्वहित ले ज्यादा महतारी भाषा के मान बारे मे सोचतेन त स्थिति दूसर होतिस। 



🙏🏻मथुरा प्रसाद वर्मा

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