पत्रकारिता के खेल-शोभामोहन श्रीवास्तव
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पत्रकारिता उपर अनुभव के बात आय सन् २००२मा माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल ले इलेक्ट्रॉनिक मिडिया पर्सन के कोर्स करे के बाद मैं अपन आपबीती अनुभव ला आप सबके आगू रखत हँव ताकि आप सब झन असली पत्रकारिता कइसे होथे तेला जान सकव ।
पत्रकारिता हर समाज मा एक प्रतिष्ठित पेशा के रूप मा स्थापित हे, जेन समाचार पत्र मा छपथे अउ जेन समाचार चेनल मन देखाथे वो हर सत्य घटना होथे अइसे लोगन के मानना हे फेर बहुत दुख के साथ कहे बर परत हे कि ओमा के ७०% समाचार ला न्यूजरूम मा
बइठे संपादक मन डिजाइन करथे कि अमुक समाचार ला कइसे देखा के चैनल ला या अपन गिरोह ला का फायदा देवाना हे ।
समाचार पत्र अउ समाचार चैनल ऊपर आँखी मूँद के भरोसा कभू झन करौ । ये सब समाचार एजेन्सी अउ चैनल मन नेता मंत्री के विज्ञापन अउ उँकरे चेला चँगुरिया मन के मिलीभगत ले चलाय जाथे । पत्रकारिता मा सीधा सरल सच्चा ईमानदार के कोई कीमत
नइ हे, पत्रकारिता मा ग्लेमर अउ तामझाम बहुत हे फेर ओ ग्लेमर अउ उपलब्धि के फिलिंग तक पहुँचे के बाद मनखे अपन संग नजर नइ मिला सकै ।
मैं दू महीना बड़ मुश्किल से एक न्यूज चैनल मा काम करेंव । पत्रकार हर कोनो ठउर ले कइसनो रिपोर्ट बना के लाने , साँझ के ओ समाचार के चीफ एडिटर हर ए. सी. आफिस मा बइठे बइठे नरेशन बदल देथे । समाचार बनाय के पइसा लेहीं अउ समाचार नइ बनाय के घलो पइसा लेहीं ।
सिद्धांतवादी अउ सज्जन मनखे पत्रकारिता मा कभू नइ टिक सकै, आज पत्रकारिता लोकतंत्र के चौथा स्तंभ नइ रहिगे हे, एक लुटेरा लुटियन गिरोह बनगे हे जेकर सफाई होना समाज अउ देश के हित बर बहुत जरूरी हे ।
शोभामोहन श्रीवास्तव
१०/११/२०२०
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