Friday 20 November 2020

रेखाचित्र-शशि साहू

 रेखाचित्र-शशि साहू


एकंगू गौटिया


जिनगी के गनित ला समझना बड़ मुश्किल हे। कभू कभू बड़े बात हर कोई शिक्षा नइ देवय अउ, कभू तो नानकुन बात हर आदमी के हिरदे ला लेवना कर देथे।

एकंगू गौटिया के बाप ददा हर बने पचास एकड़ जमीन के जोतनदार रिहिस। तीर तखार के गाँव  मा कोनो अइसन पोठ किसान नइ रिहिस।... नून तेल साबुन अउ कपड़ा ओनहा भर ला बिसाय ल परे, लक्ष्मी सउहत बिराजे रहय।... गउ लक्ष्मी होय चाहे धन लक्ष्मी, सकेले नइ सकलाय। हा... फेर सरसती हर वोकर घर मुहाटी ले दुरिहा राहय। घर भर मा न एक ठन न किताब रहय न रमायन गीता।

       बबा पढ़े ना बाप

        बेटा घलो अगूँठा छाप।


 ओकर मन हर कचोटे घलो। बिसनी अउ प्रभात  के नांव ला स्कूल मा लिखवा देतेव का।..सोचे लागे। फेर धन हर जोर मारय त बुद्धि घलो  कमजोर हो जाय।.. गउँटनिन हर केलौली करय, लइका मन ला  स्कूल भेज देतेन हो.. उँकरो बड़ मन हे स्कूल जाय के। फेर गौटिया सोंचे कोन से साहेब मुन्शी बन जाही पढ़ लिख के।हमर करा अतका सम्पत्ति हे सात पुरखा के खाय ले नइ सिराय। 

सभा पंचायत म कभू पढ़हई लिखई के बात चले त एकंगू गौटिया हर थोरिक कमजोर परे  ला धरे। विरोधी मन वोकर कमजोर नस ला जानय अउ बेरा कुबेरा चपक घलो दे।

... गौटिया हर तरमरा जाय। अउ ये मुखिययी हर अबिरथा लागे।

जइसे जइसे साक्षरता के जोर बाढे़ लागिस। गुरूजी मन गौंटिया के छाती मा मूँग दरय।.. गौंटिया कोनो ल निरक्षर नइ रहना हे.. परभात अउ बिसनी के भर्ती होय के उमर निकल गे हे, तभो ले हमन बड़े कक्षा मा बैठार के पढ़ाबो। 

.. का धरे हे जी पढ़ई लिखई मा, हमर तीर धन दोगानी के कमी हे का। का करही पढ़ लिख के..। 

हेडमास्टर अपन चढ़त पारा ल उतारत कहँय.. कस गा गौटिया पढ़ लिख के का करही कथस। अरे भई चिट्ठी पत्री ला बाँचही, अखबार गजट ला पढ़ही, बेरा कुबेरा पंच सरपंच बनगे, त चार झन के बीच मा बोले के कला कौशल आही..। 

मास्टर मन के तरवा के पछीना हर गोड़ मा चुँचवागे। फेर वो दिन शिक्षा के लड़ई जीते कस लागिस बपुरा मन ला।... बड़ केलौली करे मा गौटिया हर कलथी मारे रिहिस... ।  

परभात अउ बिसनी ला तो जइसे पंख लगगे। बड़ सुग्घर सुभाव के गौंउँटनिन ह, अपन नोनी बाबू के स्कूल जाय के बात ल सुन के  तुरते देवता खोली मा जाके  दीया बारिस। अउ हाथ जोर के कथे,... सदा मोर घर मा बिंदिया के अँजोर  बगराये रबे भगवान। बिंदिया धन सबले बड़े धन होथे ओकरे कमी हे ये घर मा।... मालिक। 

 गौटिया घलो अपन हिरदे के थाह लेवत सुरता करत हे वो दिन के। जब सभा पंचायत मा गाँव के  बी.ए. - एम.ए. करे, जवान छोकरा मन हबर जातिस त, गौटिया भड़क जाय।.. इहाँ तुँहर का काम हे रे सारे हो.. कहूँ नाच पैखन होथे का। तुँहर बाप मन आय हे ना इहाँ। 

टूरा मन मने मन गारी दे..... अँगूठा छाप गौंटिया.। थोथा चना बाजे घना.. कइसे बाजत हे घना घन। 


बात के पूँछी ला गउँटनिन हर बने धरथे।गौंटिया ला एकंगू काबर किथे तेखरो एक ठन किस्सा हे। हाँसत बताथे गउँटनिन ह,रोज चरबंजी लोटा धर के निकल जाय गौंटिया ह। एक दिन मुधेरहाँ एक ठन पेड़ तरी, पेड़ के छइहाँ जान के बैइठ गे। कहाँ के छइहाँ वो हर तो गाँव के महादेव जब्बर गोल्लर आय। गौंटिया ला उठा के पटक दिस घुरवा मा। वो तो बने होइस गोल्लर हर घुरवा मा नइ उतरिस

,पारेच मा भुँकर भुँकर के रहिगे। गौंटिया  के चिल्लई नोहे... बचाव रे.. अरे कोनो हव का रे... ।

आरो सुनके दूसर लोटा डब्बा वाले मन पहुँचिन अउ वोला घुरवा ले निकालिन। खाँध मा जोर के घर पहुँचाइन। पाछू पता चलिस गौटिया के एडी़ फेक्चर हो गे हे। दू महीना मा ठाड़ होइस गौटिया हर,फेर आज ले बने तनिया के नइ रेंग पाय। थोरिक चाल मा फरक आ गे हवे। तब ले गाँव भर के मन एकंगूच कथे। ओकर पलटू नांव के सुरता कोनो ला नइये।


उही साल परभात अउ बिसनी बढिया नंबर ले पास हो गे। गउँटनिन के गोड़ नइ माडे़। जे आय तेला तिखार के बताय। अउ गौटिया हर..... सबले नजर बचाँवत, अपन पुरखा मन ला सुमरत,आँखी के कोर ला पोछत रहय । 

गौटिया अउ गौंटनिन ल लगे लागिस।.. झक पड़रा उज्जर लुगरा पहिरे हाथ मा बीना धरे। माथ मा सोनहा मुकुट लगाये, सरसती हर देवता कुरिया कोती खुसरत हे। 


श्रीमतीशशि साहू ।

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