Sunday 29 November 2020

छत्तीसगढ़ी को आठवीं अनुसूची म दर्जा कइसे मिलय*


*छत्तीसगढ़ी को आठवीं अनुसूची म दर्जा कइसे मिलय*


छत्तीसगढ़ी पूर्वी हिन्दी के एक हिस्सा आय जेला लगभग दू करोड़ मनखें मन बोलथें अउ समझथें। माने के छत्तीसगढ़ के महतारी भाषा हरय छत्तीसगढ़ी। छत्तीसगढ़ आदिवासी बाहुल्य राज्य आय अधिकांश मनखे मन स्थानीय भाषा छत्तीसगढ़ी के अलावा अउ दूसर भाषा ले परिचित नहीं हें, अउ अइसने मन ला जब सरकारी आफिस म जाना होथे तौ भाषायी अनभिज्ञता के सेती अपन बात ला सही ढंग ले नइ रख पाय अउ हताश होके सरकारी व्यवस्था के प्रति नकारात्मक विचार बना लेथें; जबकि सबो जगह इखरो बात ला समझइया होना जरुरी हे। छत्तीसगढ़ मा शिक्षा के प्रतिशत 70% के आसपास हे तौ भाषायी समस्या के शिकार मनखे मन के संख्या लगभग 60 लाख हो जाथे जे हा बहुत बड़े संख्या आय। 

छत्तीसगढ़ी भाषा सबो दृष्टि ले समपन्न हे। व्यवहार करे म कोनों बाधा नइहे। जब कोनों मनखे हिन्दी के सँघरा म अंग्रेजी बोलथे त ओला हुशियार समझथें, लेकिन कोनों हिन्दी बोलत बोलत स्थानीय भाषा के प्रयोग करथे तौ ओला गँवार समझथें; अइसन मनोदशा ल घलो बदलना पड़ही।

जेन ल अपन हा सम्मान देथे ओला दुनिया सम्मान देथे। छत्तीसगढ़ी ल स्थापित करे बर अउ आठवीं अनुसूची म दर्जा देवाय बर हम छत्तीसगढ़िया मन ल ही आघू आना पड़ही। "हमला काहे, होबे करही" जइसन तुच्छ भाव के सेती हमर छत्तीसगढ़ी भाषा महतारी अपन उचित दर्जा ल पाय ले चूक गेहे। पढ़े लिखे अउ उच्च पद म बइठें स्वार्थी छत्तीसगढ़िया मन के सेती हमर गाँव के रहइया अल्पशिक्षित या अनपढ़ भाई बहिनी मन भाषायी समस्या के सेती आज दुखी हवँय। *आठवीं अनुसूची म छत्तीसगढ़ी ल शामिल करवाय बर हर छत्तीसगढ़िया ल अपन-अपन हिस्सा के लड़ाई लड़ना परही तभे बात बनही।*


विरेन्द्र कुमार साहू "प्रवीर"

बोड़राबाँधा (राजिम)

छंदसाधक सत्र - 9, "छंद के छ"

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