Friday 20 November 2020

छत्तीसगढ़िया के ठिकाना -हरिशंकर गजानन्द प्रसाद देवांगन

 छत्तीसगढ़िया के ठिकाना  -हरिशंकर गजानन्द प्रसाद देवांगन

                         गुजरात म गुजराती रहिथे , पंजाब म पंजाबी , महाराष्ट्र म मराठी अऊ तमिलनाडू म तमिल , फेर छत्तीसगढ़िया मन कतिहां रहिथे पापा .........? एक लइका के सवाल , पहिली बहुतेच सरल लागिस अऊ तुरते उत्तर देवत ओकर ददा किथे - छत्तीसगढ़ म रहिथे छत्तीसगढ़िया मन , अऊ कहां रहि बेटा ? ओहा सोंचिस के ओकर लइका ओकर बात ला समझ जही अऊ खेले खेल म भुला जही ...... । फेर ओहा प्रतिप्रस्न करिस – नही पापा , तैं मोर बात ला समझेस निही ........ में तोला पूछेंव के , जइसे बाकी प्रदेस म , नाव मुताबिक लोगन रहिथे , तइसने सिरीफ हमरेच प्रदेस म , नाव मुताबिक लोगन काबर नी दिखय ? ददा किथे – इहां घला प्रदेस के नाव मुताबिक लोगन रहिथे बेटा ........ , छत्तीसगढ़िया मन रहिथे इहां तभे तो ये प्रदेस ला छत्तीसगढ़ कहिथे बेटा । लइका किथे – उहीच ला तो पूछत हंव के , इहां छत्तीसगढ़िया दिखय निही तभो ले छत्तीसगढ़ काबर किथे ये जगा ला ....... अऊ दू चार झिन छत्तीसगढ़िया , सहींच म धरती म जियत होही , त ओमन कतिहां रहिथे .......? ददा हाँसिस अऊ ओला बताइस – दू चार झिन निही बेटा , इहां अढ़ई करोड़ छत्तीसगढ़िया रहिथे । बेटा किथे – उहीच ला तो पूछत हंव पापा , अढ़ई करोड़ छत्तीसगढ़िया रहिथे कहिथस , त ओमन कतिहां रहिथे ..........? ददा थोकिन खिसिया गिस – इंहे रहिथे अऊ कहां रहि , काबर फोकट उलटा सिधा सवाल करके समे खराब करथस जी । लइका किथे – कती मनखे हा , छत्तीसगढ़िया आय पापा .........? हमर घर के बगल म रहवइया छत्तीसगढ़िया आय का ? का ओकर बाजू म रहवइया हा छत्तीसगढ़िया आय ? हमर कालोनी म कती मनखे छत्तीसगढ़िया आय ....... ? ददा किथे – येमन छत्तीसगढ़िया नोहे बेटा । लइका पूछिस – त कती आय छत्तीसगढ़िया , कालोनी के बाहिर निकलथन त , कती तिर छत्तीसगढ़िया ले भेंट होथे .......? ओकर बात अऊ सवाल सुन के , ददा सुकुरदुम होंगिस । लइका फेर पूछिस – येमन छत्तीसगढ़िया नोहे , त येमन अढ़ई करोड़ जनसंखिया म सामिल नी होही , त अढ़ई करोड़ छत्तीसगढ़िया आखिर रहिथे कती ..........? ओकर सवाल झकझोरे लगिस । अतेक बेर तक ओला .... ददा हा सिरीफ लइका समझत रिहीस ..... ओहा सियान निकलगे । ओकर बात सुनके ..... ददा हा सन खाके पटवा म दत गिस अऊ संझाती बताहूं कहत डिवटी निकल गिस । 

                         संझाती बेरा सवाल धर के फेर खड़ा होगे लइका हा । कतेक ला टारय । ददा केहे लगिस - हमर गांव म रहिथे बेटा छत्तीसगढ़िया मन । बेटा किथे – का ..... गांव म रहिथे कहिथस का पापा ? ददा हा हव कहत मुड़ी डोलाइस । लइका किथे – बीते देवारी म घर गे रेहेन , त घर के आगू के गौरा चौंरा सुन्ना रिहीस पापा , तब तहीं बताये रेहे के , अभू ये तिर छत्तीसगढ़िया नी रहिगे हे बेटा तेकर सेती , गौरा चौंरा के कन्हो साफ सफई अऊ माटी महतारी के कन्हो इज्जत नी करय , तेकर सेती गौरा गौरी के स्थापना नी होइस , तभे ये तिर सुन्ना हे । ददा तिर कहींच जवाब नी रिहीस । तभो ले , किहीस – हमर पारा म नी रहय बेटा , राजा पारा म रहिथे छत्तीसगढ़िया मन , तभे ओ पारा म गौरा गौरी मढ़हाये रिहीन , ओकर पूजा पाठ करत रिहीन । बेटा फेर पूछिस – त असन म हमूमन छत्तीसगढ़िया नी होबोन पापा ....? ददा हाँसत किहीस – हमन छत्तीसगढ़िया आवन बेटा । बेटा किथे – त हमन गौरा गौरी के स्थापना काबर नी करेन ........ ? ददा किथे - हमन गोंड़ नोहन बेटा , गौरा गौरी अऊ माटी महतारी हा सिरीफ ओकर मन के देवता आय तेकर सेती उही मन मानथे अऊ परब ला मनाथे । बेटा किथे – अरे , माटी हा सिरीफ गोंड़ मनखे के आय तेला नी जानत रेहेंव पापा । त असन म , बाकी जात के मन , इहां के माटी म काबर फसल उपजाथें जबकि ओहा तो ओकर नोहे का .........? ओकर सवाल झकझोरे बर धर लिस । मुड़ी पिरावत हे काली बताहूं कहिके  , बिगन खाये सुतगे ददा .. । 

                         दूसर दिन सांझकुन ..... । पापा , काली बताहूं केहे रेहे तेकर सेती तिर म आये हंव – लइका के अवाज सुनई दिस । आपिस ले आके सोफा म ढनगे रिहीस , लइका फेर आगे । ददा किथे – हमर तिर खेत खार निये बेटा , तेकर सेती हमन माटी महतारी के अलग से पूजा पाठ नी करन अऊ गौरा गौरी नी मढ़हावन । बेटा – त हमर घर हा दूसर देस के माटी ले बने होही न पापा ? ओकर प्रस्न ला अनुत्तरित करे के अलावा ददा तिर कहीं चारा नी बचिंस । 

                         लइका के महतारी किथे – पापा डिवटी ले आये हे थोकिन अराम करन दे बेटा , सुते के बेर पूछबे । सुते के बेर लइका फेर धमकगे अऊ पूछे लगिस – पापा , हमन सहींच म छत्तीसगढ़िया नोहन का ? ददा पूछथे – कोन कथे बेटा , हमन सहींच के छत्तीसगढ़िया आन जी । बेटा किथे – आज स्कूल म हमर मेडम हा , छत्तीसगढ़ही के एक ठिन सब्द के अरथ पूछिस । कन्हो बता नी सकिस , महूं नी सकेंव । मेडम मोला किहीस .... तैं छत्तीसगढ़िया नोहस का रे , अपन मातृभाखा ला घला नी जानस । में उठके अपन आप ला छत्तीसगढ़िया बताये के कोसिस करेंव , तइसना म मोर संगवारी मन केहे लगिन के , येहा सहींच म छत्तीसगढ़िया नोहे मेडम , येहा काला जानही । में बिरोध करेंव त ओमन केहे लगिन , पंजाबी लइका हा अपन टिफिन म सरसों के साग लानथे , गुजराती हा खम्मन ढोकला , मराठी हा कढ़ही भात धरके आ जथे अऊ बंगाली हा बिगन रसगुल्ला के एको दिन नी आवय । तैं हा एको दिन न बासी लाने , न फरा मुठिया .........। ओकर सुवारी हाँसत किहिस – अई तोरो संगवारी मन घला बड़ बिचित्तर हवय रे , तोर टिफिन ला झांकत रहिथे , ओकरे सेती तो मेंहा , तोला दूसर के आगू लजाये बर झिन परय कहिके , रंग रंग के बना के डारथंव । रिहीस बात बासी , फरा मुठिया के , त येहा केवल गरीब मनके खाना आय बेटा , हमन गरीब थोरे अन गा ........। बेटा पूछथे – येकर मतलब , छत्तीसगढ़िया का सिरीफ गरीब होथे पापा .........? ददा सीरियस होके केहे लगिस - इहां के मनखे मन एक कनिक पइसा पा जाये म , अपन आप ला छत्तीसगढ़िया बताये म लजाथे बेटा .... तेकर सेती अइसन खाये के समान ला , कभू देखे नियन या कभू खाये नियन कहि देथे । लइका किथे – अऊ मेडम किहीस के , इहां के महतारी भाखा के एको अक्षर के अरथ नी जानस , त कइसे छत्तीसगढ़िया हो सकत हस .... एमा कतेक सचाई हे ...? ददा लाजे काने केहे लगिस – मेडम किहीस ते सच आय बेटा । बेटा किथे – तैं हा छत्तीसगढ़ही भाखा म लिखथस , पढ़थस अऊ गोठियाथस , त हमन ला काबर नी सिखावस .......? ददा किथे – येला दूसर के लोग लइका मन बर लिखथन बेटा , जेला आगे जाना हे तेकर मन बर नोहे हमर लिखई हा । येला लिखथन ओकर बर ...... जे पढ़ नी सकय । जे पढ़ लिस ते ..... समझ नी सकय । जे समझगे तेहा ……. पढ़के घुरुवा म फेंक देथे । लइका किथे – त असन म काबर लिखथव अइसन भाखा म अऊ काबर राजभासा के मंच ले बोमबियावत रहिथव के , पहिली ले बारहवीं तक के सिक्षा ला छत्तीसगढ़ही म देना चाही ? ददा बतइस – सिरीफ नाव कमाये बर , अपन नाव ला , अपन साहित्य ला थाती राखे बर लिखथन । रिहीस राजभासा के मंच ले बोमबियाये के ...... तोला सच बतावंव बेटा , राजभासा हा छत्तीसगढ़ी भाखा बेंचे के सिरीफ दुकान आय , कतको के रोजी रोटी इही म चलथे बेटा । येमा बोमबियइया कतको मनखे के घर के मनला , छत्तीसगढ़ही नी आवय । ओमन अपन घर के लोग लइका मन छत्तीसगढ़ही सीख के पिछवाये झिन सोंचत रहिथे रात दिन । जेकर लोग लइका मन थोक बहुत जानथे ते लइका मन , भाखा के बैपार म लगे रहिथें । छत्तीसगढ़ही भाखा के परचार परसार म लगइया मनखे मन , बहुत अच्छा से जानथे के , येला सीख के वोकर लइका दुनिया के कम्पीटीसन म पिछवा जही तेकर सेती , दिन भर छत्तीसगढ़ही के परचार करथे , सनझा कुन रोजी पाके अपन लइका अऊ नाती ला , अंगरेजी इसकूल ले लाने बर जाथे । ददा के बात सुनत सुनत , लइका के नींद परगे । 

                         दूसर दिन लइका फेर अपन ददा तिर म बइठगे अऊ पूछथे – काली जे बात बतावत रेहे तेहा , मोर समझ म नी अइस । फेर का अइसे नी हो सकय के , हमन छत्तीसगढ़िया कुनबा ला बंचाये बर , अपन अपन घर ले उपाय सुरू करन । ददा किथे – बढ़िया बात आय । एक दूसर ला देख के सीखहीं त , छत्तीसगढ़ ला वापिस ओकर गंवाये गौरव अऊ संस्कृति मिलही । बेटा किथे – काली ले आपिस , धोती कुरता पहिर के जाये बर परही पापा । दूसर दिन – सहींच म ददा हा ... धोती कुरता मार आफिस चल दिस । आफिस के सुरक्षा गार्ड नी चिनहीस अऊ पहिचान पत्र देखाये के बाद भी ओला डेनियाके निकाल दिस । ओ सोंचिस , अइसे तो छुट्टी मिलय निही , आज अइसने छुट्टी जान , राजभाखा के कार्यक्रम म सामिल होय बर चल दिस । उहां कन्हो डेनियाके निकालिन तो निही फेर , मंच तिर पहुंचिस त गलत जगा पहुंच गेंव कस लागिस । मंच म बिराजित सिरीफ कोट अऊ पेंठ वाला मनला देख के भरम होगे के , अंगरेजी राजभाखा के कार्यक्रम तो नोहे ........। मंच के खालहे म , दरी बिछावत धोती सलूखा पहिरे मनखे मनला देखिस तब तसल्ली होइस के , छत्तीसगढ़िया मन बर कार्यक्रम आय । कार्यक्रम के आनंद लेहे बर दरी म बइठ गिस । सिरीफ उहीच बात आवत जावत रिहीस के छत्तीसगढ़ही के बिकास बर हमर सरकार बहुतेच करत हे । अब तब आठवीं अनुसूची म संघरइयाच हे । जेहा बोले बर आवय तिही हा , भाखा के पहिली सरकार के गुन गावय अऊ समापन घला सरकारी भजन स्तुति सुना के करय । आखिरी म सरकार के नंबर अइस । सरकार किहीस - ये दारी हमर भाखा ला आठवीं अनुसूची म आये ले कन्हो रोक नी सकय । हमर परयास निर्रथक नी होवय । अइसन बोल के , पांच बछर बर बिसा डरिस सुनइया मनला । वहू खुस होके घर निकल गिस । सुवारी पूछथे – आज जलदी कइसे आगेव ? धोती कुरता पहिर के रोज जाहू त रोज जलदी आये बर मिलही । बपरा हा अभू ओला कइसे बतावय के , कोट पेंट नी पहिरे के सेती , आफिस म निंगन नी दिस अऊ जिंहा छत्तीसगढ़िया ड्रेस के इज्जत होवत होही सोंचे रिहीस , तिंहा दरी म बइठे के जगा मिलीस । 

                         सांझ कुन लइकामन फेर पाछू परगे । ओ कुछु बतातिस तेकर पहिली उही मन केहे लगिस – आज हमन हमर इहां ... सहींच के एक झिन छत्तीसगढ़िया देखेन पापा ? ओहा अपन परिवार सम्मेत ओवर ब्रिज के तिर म झोफड़ी म रहिथे । ददा पूछिस – तूमन कइसे जानेव के ओहा छत्तीसगढ़िया आय ? लइका किथे – अतेक अभाव दिखत म घला ..... ओमन आपस म .... अतेक परेम से , छत्तीसगढ़ही म गोठियात रिहीन के , हमन ला लगिस के हमर तलास पूरा होगे । हमन देखेन पापा के , ओकर बेटा हा बाहिर डहर के अंगना म .... बटकी म गोंदली डार के बासी खावत रिहीस हे । उही तिर डोकरी दई हा , गोरसी म अंगाकर रोटी डारे रिहीस अऊ सिल लोढ़हा म पताल के चटनी घसरत रिहीस हे अऊ बतांवव पापा , ऊंकर बातचीत से लगिस के , ओकर मन तिर दूसर टेम खाये के बेवस्था नी रिहीस , ओकरे जुगाड़ म भरे तिहार म घला ..... घर के कमइया सियान हा , पटका अऊ सलूखा पहिर के , अपन बई संग ... कमाये बर जावत रिहीस हे । फेर एक बात समझ नी अइस पापा के , उहू कइसे छत्तीसगढ़िया आय जेकर तिर , अतेक बड़ अपन प्रदेस म बोंये खाये बर , नानुक जगा भुंइया के टुकड़ा निये ...... कहूं अइसे तो निही के , उहू छत्तीसगढ़िया नोहे । बड़का लइका किथे – उहीच हा छत्तीसगढ़िया आवय भाई , ओहा छत्तीसगढ़िया नी होतिस त , ओकरो तिर इहां कतको एकड़ जगा भुंइया होतिस ...........। मेंहा उनला पूछेंव तब डोकरी दई बतइस के ...... न ओकर तिर दू रूपिया किलो म चऊंर मिलइया रासन कारड हे , न सरकारी अवास । ओहा जरूर छत्तीसगढ़ियाच आय भाई । 

                        छत्तीसगढ़िया खोजत खोजत , दुनों लइका ला बचपना म जवानी मिलगे । ऊंकर बात सुन , ददा ला लगिस , छत्तीसगढ़िया कतिहां रहिथे तेला बताये के सही समे अब आगे । ओहा बताये लगिस - जेला तूमन देख के आये हव , सचमुच म उहीच मन , छत्तीसगढ़िया आय । जेकर तिर खाये बर बासी पेज , रेहे बर छितका कस कुरिया , तन ढांके बर चिरहा फटहा कपड़ा , बिछाये बर गोदरी ओढ़हे बर कथरी अऊ जिनगी के बेफिकरी हे , उही मन छत्तीसगढ़िया आय बेटा । छत्तीसगढ़िया अइसे संस्कृति आय ..... जेला ..... पइसा अऊ पद आय के बाद एकाएक बिलुप्त करे के उदिम करे जा सकथे । 

                         ओकर सुवारी बड़ भावुक होके केहे लगिस – जिंहा भूख रहिथे , गरीबी रहिथे , बेकारी रहिथे तिही जगा म छत्तीसगढ़िया रहिथे बेटा । जिंहा अपन सोसक ला संरकछन अऊ अपन बैरी तको ला , ऊंच पिढ़हा देके संस्कार हे , तिंहे छत्तीसगढ़िया रहिथे बेटा । जिंहा लचारी हा धरम आय , जिंहा इमानदारी हा करम आय , जिंहा मेहनत हा पूजा आय , जिंहा सेवा हा ब्रत आय , जिंहा परेम हा स्वभाव आय , जिंहा इज्जत हा परभाव आय , तिंहे छत्तीसगढ़िया मन रहिथे बेटा । चरचा म सियनहिन पहुंचगे । ओहा पूछे लगिस , त अइसन म हमर प्रदेस म बहुतेच कम छत्तीसगढ़िया रहिथे बेटा , त अढ़ई करोड़ जनसंखिया कहिके काबर भरमाथे बैरी मन ? बपरा हा केहे लगिस – जेमन अढ़ई करोड़ , अढ़ई करोड़ छत्तीसगढ़िया हाबन कहिके चिचियावत हे , तेमन जानत हे दई , अढ़ई करोड़ सिरीफ बोट आय , छत्तीसगढ़िया नोहे । वाजिम म , पूरा भारत म , अढ़ई करोर ले जादा जनसंखिया हे छत्तीसगढ़िया मनके । जिंहा जिंहा , लूट खसोट बईमानी अऊ भरस्टाचार के सिकार , सोसन झेलत मनखे रहिथे , तिंहे तिंहे छत्तीसगढ़ अऊ छत्तीसगढ़िया रहिथे । 

                     सियनहिन पूछथे – अइसन म छत्तीसगढ़िया के कन्हो बने ढंग के ठिकानाच निये कस लागथे बेटा ? ओ किथे – हव ..... तैं सहीच कहत हस मोर महतारी ! छत्तीसगढ़िया के ठिकाना ला कन्हो ठिकाना ले नी रहन देना चाहे ..... ओकर ठिकाना ल कतको झिन ....... ठिकाना लगाये बर उमड़े हे ! अइसन म बपरा छत्तीसगढ़िया के का ठिकाना ...... ! वाजिम म देखा जाय तो ...... जिंहा भूख हा मनखे के पोसन करथे .... गरीबी हा इमानदारी सिखाथे .... जिंहा बेकारी हा मेहनत ला पूजा बनाथे .... जिंहा सोसन हा सेवा के सकती देवाथे .... जिंहा अत्याचार के बदला उपकार के बेवहार होथे .... तिंहा तिंहा छत्तीसगढ़िया रहिथे  ........ ! 

     हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन , छुरा . ‌

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