Friday 20 November 2020

छत्तीसगढ़ी अउ पत्रकारिता-पोखनलाल जायसवाल

 *छत्तीसगढ़ी अउ पत्रकारिता-पोखनलाल जायसवाल

     

      जउन संबंध किसान अउ किसानी म हे तउने संबंध पत्रकार अउ पत्रकारिता म हाबय। किसान परहित बर सोचथे। किसानी बूता ल सेवा के बूता कहे जाथे।वइसने पत्रकारिता एक व्यवसाय तो हरे फेर जन सेवा ले जुरे हावय। ए व्यवसाय बर रेडियो, टीवी के सरकारी अउ निजी चैनल, समाचार पत्र अउ आज के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया ह उपयुक्त जगह हाबय। जेन ए व्यवसाय करथे, उही ला पत्रकार कहे जाथे। आज पत्रकारिता के कतको क्षेत्र हाबय जेकर चर्चा ऊपर करे जा चुके हाबय। सबो पत्रकार सबो प्रकार के पत्रकारिता नइ कर पावय। सब के अपन एक शैली अउ क्षेत्र के संगेसंग विषय के प्रति रुचि होथे। अइसे बात नइ हे कि पत्रकार ल पूरा/जम्मो पत्रकारिता नइ आय। जब पत्रकारिता के अध्ययन करथे त सबो विषय अउ क्षेत्र के जानबा पत्रकार मन ला रहिथे। जब पत्रकारिता के क्षेत्र म पाँव रखथे त अपन रुचि के मुताबिक क्षेत्र के चुनाव करथे। आज पत्रकारिता विशुद्ध व्यवसाय के रूप म स्थापित होगे हावय। जेकर ले रोजगार के संभावना देखत आज के युवा ए दिशा म आकर्षित होवत हे। छत्तीसगढ़ म घलो एकर बहुते संभावना हे। आज के पीढ़ी के ए क्षेत्र म आकर्षण के तीन ठन कारण हावै, एक उँखर जोश, जे वर्तमान व्यवस्था ले लड़ना चाहथे, दूसर अपन आप ल रेडियो टीवी चैनल अउ समाचार पत्र म स्थापित करे के सपना अउ तीसर बड़े कारण रोजगार के नवा संभावना।

       पत्र पत्रिका अउ समाचार पत्र के प्रकाशन ले शुरू पत्रकारिता अब नवा आयाम पागे हावै। समाचार पत्र म आसपास के सबो प्रकार घटना-दुर्घटना के जानकारी पढ़े बर मिलै अउ मिलथे। ए जानकारी मन ल समाज अउ क्षेत्र ले बटोर के अपन लेखनी ले रोचक अउ तथ्यात्मक प्रस्तुत करे के काम पत्रकार करत आवत हें। समाज म चेतना के सुर जगाय खातिर ए ला लोकतंत्र के चौथा स्तंभ कहे जाथे।व्यवस्था के खिलाफ समाज ल संगठित करे अउ समाज म नवचेतना लाय के ताकत पत्रकारिता म होथे। एकर ताकत ले सत्ता घलो सोचे धर लेथें। सच्ची पत्रकारिता बर पत्रकार ल सच्चाई बर लड़े अउ अपन जान ल हाथ म लेके चले परथे। आजादी के लड़ाई म भी पत्रकारिता के आने आने स्वरूप के जानकारी मिलथे। एक ठन स्वरूप *रोटी अउ कमल फूल* पहुँचे के अपन मायने रहिस, जे सिरीफ क्रांतिकारी मन ल संदेश पहुँचाय के काम करिस। मोर नजर म यहू एक तरह के पत्रकारिता रहिस।

      पत्रकारिता के मूल उद्देश्य जनमानस तक संदेश पहुँचाना हरे। जे वैचारिक होथे। आज भारत म कतको विचारधारा चलत हें। ए विचारधारा के संगठन हे। सबो संगठन अपन विचारधारा ल लेके पत्रकारिता करत हावय। सब अपन आप ल श्रेष्ठ बताय म तुले हाबय। सब विचारधारा एक प्रकार के राजनीति ले प्रभावित हाबय। आज कोनो भी राजनीति के प्रभाव ल अछूता नइ हे। कहूँ न कहूँ ओकर से पाला पड़े ले कोनो दल के विरोधी बने हे त कोनो अउ दल के समर्थक। अइसन म आज पत्रकारिता ऊपर ऊँगली उठना नवा बात नइ रहिगे।

        आज राजनीतिक दल मन अपन पार्टी के समाचारपत्र प्रकाशित करथे। अपन विचारधारा  ल लेके पत्रकारिता करना अउ अपन राजनीतिक उद्देश्य ल हासिल करना, पत्रकारिता के दिशा भटकाना आय। स्वतंत्र पत्रकारिता जउन आज निजी चैनल मन ले चलत हाबय, वहू सत्ता के डर अउ लोभ भटकत नजर आथे। चैनल मन म आजकाल डिबेट के नाँव म पत्रकारिता के कालम पूर्ति होवत हे अइसे लागथे। पत्रकार अउ प्रवक्ता मन के संवाद ले आखिर म कोनो निष्कर्ष नइ निकलना इही बात के इशारा करथे।

     पत्रकारिता म नवा पीढ़ी व्यवस्था ऊपर प्रहार करत सत्ता ल ठेंगा दिखा अपन निर्भीकता अउ सच्चाई बर पत्रकारिता करही। छत्तीसगढ़ म घलो एक दिन नक्सली समस्या, बेरोजगारी, छत्तीसगढ़ी ल राजभाषा के बराबर दर्जा देवाय, नाना प्रकार के भ्रष्टाचार ले उबरे बर पत्रकारिता होही के आशा हाबय।

*पोखन लाल जायसवाल*

*पलारी बलौदाबाजार*

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