Friday 20 November 2020

डॉ. नरेंद्र देव वर्मा : जनम जयन्ती के अवसर मा-अरुण कुमार निगम

 डॉ. नरेंद्र देव वर्मा : जनम जयन्ती के अवसर मा-अरुण कुमार निगम


छत्तीसगढ़ी लोककला के मर्मज्ञ, कवि, कहानीकार,उपन्यासकार, नाटककार, समीक्षक, भाषाविद, लोक संस्कृति अउ छत्तीसगढ़ी भाषा साहित्य ला पोठ करइया डॉ. नरेंद्र देव वर्मा के जनम 04 नवम्बर 1939 के होए रहिस। नरेंद्र देव जी के पिताजी स्व.धनीराम वर्मा जी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अउ शिक्षक रहिन। पाँच भाई मन मा अकेला गृहस्थ जीवन बिताइन। स्वामी आत्मानन्द जी इनकर बड़े भाई रहिन जिन मन ला वो अपन आदर्श मानत रहिन। नरेंद्र देव जी के अन्तस मा  विवेकानंद भावधारा अउ रामकृष्ण मिशन के गहरा प्रभाव रहिस तेपाय के उनकर रचना मन मा दर्शन के दर्शन होथे। 


दाऊ महासिंह चंद्रकार के सोनहा बिहान के कुशल संचालक रहिन। उनकर गीत "अरपा पैरी के धार" ला गा के ममता चंद्रकार एक गायिका के रूप मा स्थापित होगे। अपन गीत के स्वरलिपि उनमन खुदे तैयार करत रहिन। एक अच्छा गायक घलो रहिन। उनकर लिखे छत्तीसगढ़ी प्रहसन "मोला गुरु बनई लेते" बहुत लोकप्रिय होए रहिस। 


नरेंद्र देव जी के बड़े बेटी के बिहाव भूपेश बघेल संग होइस। आदरणीय भूपेश बघेल जी वर्तमान मा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री हवंय। उँकर छत्तीसगढ़ के महिमा कविता के कुछ पंक्ति देखव - 


सतपूड़ा सेंदूर लगावय। दंडकारन, महउर रचावय॥

मेकर डोंगर करधन सोहय। सुर मुनि जन सबके मन मोहय॥

रामगिरि के सुपार पहड़िया। कालिदास के हावय कुटिया॥

लहुकत लगत असाढ़ बिजुरिया। बादर छावय घंडरा करिया।

परदेशी ला सुधे देवावय। घर कोती मन ला चुचुवावय॥

भेजय बादर करा संदेसा। झन कर बपुरी अबड़ कलेसा॥

बारा महिना जमे पहाड़ी। नवा असाढ़ लहुट के आही।

मेघदूत के धाम हे, इही रमाएन गांव। अइसन पबरित भूम के, छत्तीसगढ़ हे नांव॥'


अइसन महान साहित्यकार, वक्ता, विचारक, भाषाविद के मात्र 40 बछर के आयु मा महाप्रयाण छत्तीसगढ़ बर बहुत बड़े क्षति आय। उनकर निधन 08 सितम्बर 1979 के होइस। आज डॉ. नरेन्द्रदेव वर्मा जी के जनम जयन्ती मा छत्तीसगढ़ लोकाक्षर परिवार अउ छन्द के छ परिवार अपन श्रद्धा-सुमन अर्पित करथे। 

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*अरुण कुमार निगम*

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