Friday 20 November 2020

सुरता डॉ नरेंद्र देव वर्मा -सरला शर्मा

 सुरता डॉ नरेंद्र देव वर्मा -सरला शर्मा

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    " अरपा पैरी के धार , महानदी हे अपार 

      इंद्रावती हर पखारे तोर पैंया ..

  जय हो , जय हो छत्तीसगढ़ मइया ..। " 

        एहर हमर छत्तीसगढ़ के राज गान घोषित करे गए हे त बड़े बात एहू हर तो आय के बहुत पहिली ले छत्तीसगढ़िया मनसे के मन मं रच बस गए रहिस हे । 

डॉ नरेंद्र देव वर्मा छतीसगढ़ी भाषा के नींव के पोट्ठ पथरा कहे जाथें , मानें जाथें । उन हिंदी अउ छत्तीसगढ़ी दुनों भाषा के सामरथ , अध्ययनशील साहित्यकार रहिन । 

कृतियां .....1..अपूर्वा ( गीत संग्रह ) 2 ...सुबह की तलाश ( उपन्यास )  3 ..छत्तीसगढ़ी भाषा का उद्विकास  4 ..हिंदी स्वच्छंदवाद 5 ..प्रयोगवादी कविता 6 ..नई कविता सिद्धांत अउ सृजन 

7 हिंदी नवस्वच्छंदता वाद आदि ..।

      साहित्य के इतिहास मं उन कवि , नाटककार , उपन्यासकार , कथाकार , समीक्षक , भाषाविद , के रूप मं जाने , माने जाथें । साप्ताहिक हिंदुस्तान मं " सुबह की तलाश " उपन्यास सरलग छपे बर शुरू होइस त पाठक छत्तीसगढ़ के संस्कृति ल चीन्हे , जाने लगिन । 

  " मोला गुरु बनाई लेबे " प्रहसन ओ समै बहुत लोकप्रिय होये रहिस । एकर अलावा उन संगीत मर्मज्ञ गायक भी रहिन , लोक कला , लोक मंच " सोनहा बिहान " ल तो कभू भुलाए नई सकय । उन एकर उद्घोषक रहिन । 

अनुवाद के रूप मं मोंगरा ल प्रसिद्धि मिलिस , दूसर डहर श्री मां की वाणी , ईसा मसीह की वाणी , मोहम्मद पैगम्बर की वाणी   सफल अनुवाद आय । उनला " शब्दों के जादूगर " कहे रहिन डॉ . पालेश्वर प्रसाद शर्मा । 

  शब्द मन के ऊंच ऊंच लहरा देखे लाइक हे उंकर गद्य - पद्य , हिंदी छत्तीसगढ़ी सबो रचना मं । 

स्वामी विवेकानन्द के दर्शन से प्रभावित रहिन त कबीर के अवधूत सुभाव के प्रशंसक रहिन ।

 " दुनिया हर रेती के महल ए ओदर जाही , 

   दुनिया  अठवारी बजार ए उसल जाही । " 

       संसार के चार दिन के चहल - पहल , परिवर्तन शीलता , निस्सारता के सच्चा वर्णन करे हें । 

जीवन के चौथइया दशक पूरा करे बिना धरा रपटी सरग के रस्ता धर लिहिन फेर ओतके कम समय मं साहित्य , संस्कृति , लोक कला , लोक मंच बर जौन काम कर गिन तेला कभू भुलाए नई जा सकय । आज उनला आदर सहित सुरता करत , उनला सादर स्मरणाजंलि देवत हंव । 

   सरला शर्मा

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