Saturday 1 October 2022

ग्रामीण अर्थशास्त्र म छत्तीसगढ़ के नारी के भूमिका- चित्रा श्रीवास

 ग्रामीण अर्थशास्त्र म छत्तीसगढ़ के नारी के भूमिका- चित्रा श्रीवास



       या देवी सर्वभूतेषु मातृ  रूपेण संस्थिता*।

        *  नमस्तस्यै  नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः*।

         अर्थात् महतारी के रूप  मा जो देवी हे तेखर मैं हा बारंबार पयलगी करत हवँ ।दुर्गा शप्तशती के ऊपर देहे श्लोक मा महतारी ला देवी माने गय हे। उही महतारी हा नारी आय जेहा परिवार के धुरी आय ।नारी के बिना परिवार के कल्पना नइ करे जा सके। हमर छत्तीसगढ़ राज के नारी घलौ अपन हर भूमिका ला निभावत हे अउ साथ ही साथ  पढ़ लिख के नौकरी करके  कोनो रोजगार या स्वरोजगार करके इहाँ के अर्थव्यवस्था ला मजबूत करत हे ।ये तो  शहरी या अर्धशहरी नारी के योगदान आय जेला आज के समय मा सब महसूस करत हे फेर हम इहाँ बात ग्रामीण नारी के करत हन की ओखर इहाँ के अर्थव्यवस्था में का योगदान हवे।

                 छत्तीसगढ़ के जादा आबादी गाँव मा बसथे।पहिली जमाना  मा जब गाँव के मनखे के आय के साधन सिर्फ खेती हा रहीस हे तब नारी खेती के काम मा अपन सहयोग देवय।भिनसार ले उठ के घर के जम्मो बुता करके खेत जावय अउ उहाँ पुरुष के कंधा से कंधा मिला के काम करय।गर्मी के दिन मा खेत के कांटा बिनाई,अषाढ़ मा धान बोआई,कई जगह तो खेत जोताई,रोपा लगाई,निंदाई, धान लुआई मिसाई,अउ डोहराई के काम ला करय ।कतको झिन माइलोगन मन सब्जी भाजी लगावय अउ ओला बेचे के बुता घलौ करँय।अभी के समय मा जब खेती के रकबा घटत जावत हे प्रचार प्रसार, जागरूकता, शिक्षा, संचार क्रांति जेमा मोबाइल क्रांति घलौ शामिल हवय के मदद ले गांव के नवा पीढ़ी अपन आय के नवा उदिम तलाशत हे ,गाँव के नारी घलौ नवा रद्दा मा चल पड़े हे।अउ अपन आय के नवा स्रोत  बनावत जावत है जेमा सरकारी योजना मन ओखर सहयोगी बने हावय।

              *स्वसहायता समूह*हा एक अइसन कड़ी आय जेखर ले जुड़ के गाँव के  महिला हा सक्षम ही नइ होवत हे बल्कि आत्मनिर्भर घलौ बनत हे।स्वसहायता समूह मा  10 सें 20महिला मन मिल कर के समूह बनाथे अउ अपन बचत मा से कुछ पइसा ला जमा करत जाथें ।समूह के खाता बैंक मा खुलवाये जाथे जेखर से बैंकिंग के समझ महिला मन मा बनथे।समूह के पइसा ला जरूरत पड़े मा समूह के सदस्य ला न्यूनतम ब्याज दर मा उधारी घलौ देहे जाथे येखर से साहूकार के शोषण से मुक्ति मिलथे।बने ढंग ले समूह हा चलथे ता बैंक हा स्वरोजगार बर लोन देथे जेखर ले समूह के महिला मन मुर्गी पालन ,मछली पालन, दुग्ध उत्पादन जइसे  स्वरोजगार करके अपन आय ला बढ़ावत हे।

             आज गाँव गाँव मा प्राइमरी स्कूल अउ मिडिल स्कूल हवे जेमा लइकन मन ला मंझनिया गरम भोजन देहे बार मध्यान्ह भोजन योजना शासन द्वारा चलाये जावत हे ।ये योजना संचालन के जिम्मेदारी इही समूह मन ला देहे गय हे।आंगनबाड़ी मा घलौ *रेडी टू ईट*,अउ गरम भोजन के दायित्व समूह के माध्यम ले महिला मन निभावत है अउ चार पइसा कमावत हे।गाँव मा राशन दुकान समूह के माध्यम ले चलत हे।

          कोरोना काल मा जब पूरा दुनिया मा हाहाकार मच गइस  ,बड़े बड़े देश के अर्थव्यवस्था चरमरा गइस।भारत से लेके छत्तीसगढ़ मा ये त्रासदी के असर होइस फेर हमर ग्रामीण अर्थव्यवस्था के पैर नई उखड़िस। येखर योगदान इहाँ के नारी ला दिये जाही ता ये अतिशयोक्ति नइ होही।नारी धैर्य से जुटे रहिस वो समूह के माध्यम ले सेनेटाइजर बनाइस अउ बेच के चार पइसा कमाइस ता मास्क बना बेच के अपन आय के साधन बनाइस संगे संग सैकड़ों मास्क फोकट मा बाँट के पुण्य घलौ कमाइस।छत्तीसगढ़ मा 68071स्वसहायता समूह हावय जेमा 8.03लाख महिला मन जुड़े हावयँ।

            गोधन न्याय योजना के तहत समूह के महिला मन गोबर खरीदी करके ओखर कंपोस्ट खाद बना के बेचत हे जेखर से जैविक खेती ला बढ़ावा मिलही।

         कौशल केंद्र से सिलाई सीख के महिला अपन घर के कपड़ा सील केअपन सिलाई के पइसा बचावत हे ता दूसर के कपड़ा सील के चार पइसा कमावत भी हे।येखर अलावा समूह के माध्यम ले मिल जुल के नारी शासन के मुफ्त गणवेश योजना के गणवेश बनाथेअगरबत्ती,अथान,पापड़,बड़ी,बिजौरी

बना के ओला बेच के आय करथे।

             महिला बाल विकास विभाग के अनुसार स्वसहायता समूह के सालाना टर्न ओवर 60 करोड़ रुपया हे।येखर से ये निष्कर्ष निकलथे कि गाँव के महिला मन के आय मा लगातार बढ़ोतरी होवत जावत हे ।मोर पास आँकड़ा नइ होय के कारण निश्चित तो नइ कहे सकवँ पर ये संभावना हे कि ग्रामीण पुरूष के अपेक्षा ग्रामीण महिला के वार्षिक आमदनी जादा हो सकत हे।

                 ये तरह से देखे जाय  तो अपन स्थापना के बहुत  कम समय मात्र 22साल मा छत्तीसगढ़ हा विकास के रफ्तार मा आघू बढ़त हे अउ अपन संग मा अस्तित्व मा आये दुनो राज्य उत्तराखंड अउ झारखंड ले जादा उन्नत अउ सशक्त नजर आवत हे।राज्य के मजबूत अर्थव्यवस्था मा ग्रामीण अर्थव्यवस्था के मजबूती के विशेष योगदान हावय।ता ग्रामीण अर्थव्यवस्था   मा ग्रामीण महिला के विशेष और सराहनीय योगदान हवे।

                              

                           चित्रा श्रीवास

                         बिलासपुर छत्तीसगढ़

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