Monday 10 October 2022

कहानी-बहुरिया

 कहानी-बहुरिया


बेटी अउ बहुरिया कतको कहौ थोरिक भाव हर आनें आइच जाथे ।कतको मन देखावा बर बिटिया बिटिया बहुरिया ल कहि फेर बखत परे म भेद करि देथे अइसन कहत आँट म बइठे सालिक के दई ह कहत रहय मालिक के दई ल दूनों परोसी बड़ मया के जिनगी जीयत रहै सहेली असन कटत हवै अभी तक झगरा कभू नई जानिन सुख दुख ला बाँटत दूनों परिवार आँखी के लिकठा बनगे  हे । चाय पीये बर कलबलावत सालिक के ददा चिचियावत रहय कोनों चाय देवइया नई हे घर म अतेक मनखे हावय फेर सब ऐस करत बइठे हे। ये मनखे कमा कमा के जुता खिया जात हे ।काला फिकर हे पइसा खोसखोस ले पावत तभो कदर नइये ।चल तो आघू ले आघू चाय दे देंव। देख तो कइसे बखुलाय हवय बहुरिया बर । नही रे सुधा ओसने करथे फेर रानी बहुरिया ल बड़ मया करथे कलीच ओखर बर तीन तोला के झुमका लानीस हे ।त मया बघारत हे मोर सेवा अउ डबल होवय कहि के अपन बहुरिया ल दबकारि त कछु नइ होवय फेर हमन कछु कहि तो देबो सब ठीक हे ठीक करिस कहि देथे हमर घर बेटी कस मया करथे कोनो जान नी पाँवय बेटी आय की बहु।पर भगवान के दया ले रानी घलो ओतकेच मयारू हावय सबो ल बड़ मया करथे भाग पुन के बात आय रेखा बहुरिया पाना अउ समझदार पाना घलो करम के मेवा आय महू अपन सासरे मा आज तक सबो ल मया करत अउ घर संसार ल संस्कार के माला मा पिरोवत मया के गुर म पागत आयें हाँवव सब ल रानी देखथे मोर सेवा समरपन तभे उहू हर घर के चलागत ल सीख गे हवय बने घर के संस्कार म चासनी मिठास में डूब गे हे सिज हे ,रेखा चार बरतन जेमेर रहिथे टकराथे ओला सब सम्हाल लेते महू बेटी कस सबल सीखों दारें ,अपन दई ले मया मोला करथे काबर ओखर सुख के सब जिम्मेदारी मोर आय ,कनि अकन दुख नइ पाय घर म ओखर करा सब बर बाढ़त हवय बस सास अउ बहू म एक नाजूक डोर होथे जेला विश्वास के गठरी म  बाँधे ल परथे रेखा तोर बहुरिया ल तहूँ सिखोय कर जवाव झीन दय काय बताव रात दिन अपन मइके के गोठ हमन ल नीचे दिखावत रहिथे । नौकरी के पाती आय हे मइके ले पइसा माँगत रहिस नइ दिन कोनों तब समझ आइस सोझे घर फोरे ल जानथें बखत म काय नइ फरय कहिके काल साँटी अउ माला ल बेच के देहे हौ मोहनी त ओदे गइसे नौकरी म गोड छुके माँफी माँगीस हे दई आप ल गलत समझत रहेव फेर आपे काम परे हव । चल देर आइस दुरुस्त आइस । सुबे के भूले शाम के लौटे तव ओला भूले नइ कहंय मोर बहुरिया समझगे बेटी बनगे मोहनी अउ कि चाही चल जा कका ल चाय देबे बडबडावत हे... कहत दूनों उठके अपन काम करे लागिन।।



धनेश्वरी सोनी गुल✍️

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