Thursday 20 October 2022

चिट्ठी पाती-मितान के नांव चिट्ठी

 









मितान के नांव चिट्ठी 

                    मां भानेश्वरी की जय
                                               शुभ स्थान- सुरगी 

              तारीख -  २०-१०-२०२२, दिन -गुरुवार ( कार्तिक कृष्ण १०, विक्रम संवत २०७९)

          मयारूक मितान शिव प्रसाद लहरे 
          नारायणपुर
   जिला- नारायणपुर (बस्तर)
         छत्तीसगढ़ 

                                    जय जोहार...

       लिखना समाचार मालूम हो कि मां भानेश्वरी के कृपा ले मंय बने हवं.मोर परिवार ह ठीक- ठाक हे.आपो मन मां दंतेश्वरी के कृपा ले बने -बने होहू अइसन मोला पूरा बिश्वास हे. काका - काकी ल चरन छूके पायलागी करत हवं . मितानिन ल मोर डहन ले सीता- राम. नोनी -बाबू मन ल मोर डहन ले आशीर्बाद पहुंचे.सबो संगवारी मन ल जय जोहार कहि देहू.

            मितान आप ल बतावत मोला गजब उछाह होवत हे  कि चौदह बरस बाद मोर ट्रान्सफर गांव के नजदीक शासकीय प्राथमिक शाला भोथीपारकला म होगे हवय. ये गांव ह मां भानेश्वरी के पावन धाम सिंघोला के तीर हावय. अपन घर,अपन गांव,अपन क्षेत्र अउ अपन लोगन मन के बाते अलग होथे. ये सब ले दूरिहा रहिना कत्तिक पीरा देथे वोला उही मनखे ह जान सकथे जौन ह अपन घर- परिवार अउ अपन गांव/ शहर ले कोनो कारन ले दूरिहा रहे हे. घर -परिवार ले दूरिहा रहे ले कतको काम अटके पड़े रहिथे. मोरो वइसने दशा हे मितान. कई ठन काज करना रहि. भगवान उपर मोला पूरा बिस्वास हे कि मोर कारज मन धीरे धीरे पूरा होवत जाही. 

मेहा सोचथो मितान कि वोमन कोन से माटी ल बने रहत होही जौन मन अपन घर- परिवार अउ देश ल छोड़ के विदेश म बस जाथे. फेर धीरे ले अपन घर- परिवार, गांव/ शहर अउ अपन देश ल भुला जाथे! दाई -ददा के आंखी ह इंकर बाट जोहत पथरा जाथे. पर ये निष्ठुर चोला मन ह तो पथरा के देवता बन जा रहिथे जौन मन हाले न डोले! एक झन सियान के इही पीरा हे मितान कि अपन लइका ल अत्तिक पढ़ाईस कि अमेरिका म नौकरी मिलगे. पहिली एके झन नौकरी करत रिहिन अब वोकर सुवारी ल घलो ऊंहचे नौकरी मिलगे हावय. अउ दाई -ददा ह नंगत किलोली करत हावय कि बेटा अपन देश के कोनो राज्य म नौकरी कर लेबे तोला नइ रोकन पर विदेश ले अपन देश तो आजा बेटा. तुंहर बिना हमर का होरी! अउ का देवारी रे! 

 आगू समाचार हे कि घर म देवारी बूता चलत हे मितान.  तोर भौजी ह  कहिस कि कार्यक्रम के नांव म झार एती -वोती घूमत रहिथो. देवारी तिहार तीर आगे हावय. थोरकुन घर दुवार के काम म  घलो हाथ बटाहू तब तो बनही जी.त महू ह माटी के घर ल छाबे बर माटी मता हंव. तोर भौजी हर दीवार ल बरंड के लिपई -पोतई के काम करत हे.  एक झन बनिहार घलो लगाय हे.घर -दुवार के साफ -सफाई के काम ह जमगरहा चलत हे. राउत मन ह सुग्घर सुहई बनात हे. मातर तिहार बर नाचा/ सांस्कृतिक कार्यक्रम होही वोकरो बर चन्दा करत हे.

   येती देवारी ह लकठा गे हावय अउ बादर महराज ह घलो बरसत हे. येकर सेति किसान मन चिंतित होगे हे मितान.बरसात होय ले धान के फसल ल नुकसान पहुंचत हे. नंगत हवा- गरेर अउ पानी गिरे ले धान के फसल ह ढोलंग गेहे. अब्बड़ मिहनत ले फसल तैयार होय रिहिस त अब इन्द्र देवता ह छल करत हे! का करबे हाना बने हे न - खेती अपन सेती,  नइ ते नदिया के रेती. किसान मन ह मरो जियो कोशिश करत हे कि ये मिहनत ह रेती झन बनय.! ये बीच म बने खबर मिलिस कि किसान मन के खाता म धान के बोनस राशि भेज दे गे हावय. किसान मन ल थोरकुन राहत मिलिस. बारिश ले घलो राहत मिल जाय त बने हो जाही.
     एती लइका मन बर नवा कपड़ा बिसा हवं. मोरो बर कपड़ा ले हवं वोला दर्जी ल देय बर हफ्ता भर देरी कर परेंव. दर्जी ह कपड़ा ल इही शर्त म राखिस कि देवारी के बाद म ही तोर कपड़ा ल सिल पाहूं. २९ अक्टूबर २०२२ शनिच्चर के दिन हमर गांव सुरगी के मड़ई  होही अउ ३० अक्टूबर २०२२ ईतवार के दिन मंझनिया १२ बजे साकेत साहित्य परिषद सुरगी डहन ले साकेत साहित्य भवन सुरगी म दीपावली मिलन समारोह रखे गे हावय. आप ल ये दूनों  कार्यक्रम के सादर नेवता हे.

 बाकी सब बने -बने हे मितान. अउ कत्तिक बात ल लमावं . आप मन खुदे समझदार हव.

      आप मन के अउ आपके गांव डहन  के का हाल -चाल हे मितान . येला चिट्ठी लिख के जरुर बताहू . आपके चिट्ठी के अगोरा रहि.

                             तुंहर मितान

                     ओमप्रकाश साहू अंकुर

        गांव -  सुरगी

        डाक घर - सुरगी 

          तहसील अउ जिला - राजनांदगांव ( छत्तीसगढ़)

पिनकोड -४९१४४३

मो. नं. - ७९७४६६६८४०
    
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1 comment:

  1. पहिली के बखत म जब संचार सेवा अतका विकसित नई होय रिहिस घर घर मोबाईल ल तो छोड़ी दे टेलीफोन नई संचरे अउ बगरे रिहिस तब के बेरा म हमर घर घलो अइसनेहे अंतर्देशीय कार्ड ले चिट्ठी पत्री आवय अउ वोखर जवाब म फेर दूसर पाती लिखय तब तक 15 दिन बीत जावय काबर की मोर माँ ह राजिम कर के बरोंडा ले आय रिहिस त जम्मो सगा मन रइपुर धमतरी अउ गरियाबंद कोति हवे जब हम प्राथमिक कक्षा म रहेन तब जब पांव म चप्पल तक नई रहत रिहिस त हमर गाँव ले एक कोस दुरिहा के गाँव कल्लू बंजारी म वो पाती ल लाने ल जान काबर की डाकिया हर डहर चलती हमर गाँव के आदमी मन कर संदेशा पठोय रहय भरोसी ले पाती लेगे बर आही कहिके अउ कभू कभू वो आय पाती म डाक टिकट नई चिपके रहय त पइसा देके छोड़ाय ल परे। फेर तो वो चिट्ठी ल घर लाय के बाद घर भर के एके जगह म सकला के सुनन । आज आदरणीय अंकुर जी के ये लेख ले जुन्ना बेरा के सुरता आगे हमू ल।

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