Saturday 1 October 2022

ग्रामीण अर्थशास्त्र मा छत्तीसगढ़ के नारी के भूमिका- चोवाराम वर्मा बादल

 ग्रामीण अर्थशास्त्र मा छत्तीसगढ़ के नारी के भूमिका- चोवाराम वर्मा बादल

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हमर छत्तीसगढ़ राज्य ह कृषि प्रधान राज्य आय।इहाँ धान, गेहूँ,कोदो-कुटकी, तिली,राहेर , तिंवरा,तिली,ज्वार अउ गन्ना आदि के फसल पैदा करे जाथे। सबले जादा धान के फसल होथे तेकर सेती एहा धान के कटोरा के रूप म सरी दुनिया म प्रसिद्ध हे। 

    छत्तीसगढ़ के लगभग 70 --75% आबादी ह गाँव म रहिके खेती किसानी के बुता करथें। छत्तीसगढ़ के कुल रकबा के लगभग 35 % म फसल उगाये जाथे।इहाँ जीविका के मुख्य धरखंध खेती किसानी ह आय। छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अर्थ व्यवस्था ह कृषि उपर टिके रहिथे। फसल बने होगे त अर्थव्यवस्था दँउड़े ल धर लेथे अउ कहूँ फसल कोनो भी कारण ले नइ होइस त चरमरा जथे,अर्थव्यवस्था बइठ जथे। 

    कृषि के एक अंग के रूप म पशुपालन ल तको गिने जा सकथे काबर के हमर छत्तीसगढ़ म दूध उत्पादन के संगे संग जैविक खाद गोबर बर, छेना के रूप म ईंधन बर अउ खेती किसानी के काम जइसे नागर जोते बर, गाड़ा-गाड़ी इँचे बर पशु पाले जाथे।

       कुल मिलाके देखे जाय त छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अर्थव्यवस्था के मुख्य आधार कृषि(खेती-किसानी) ह आय जेमा आज के समे म हमर आधा आबादी नारी मन के मुख्य भूमिका हावय। उँकर बिना तो अब खेती किसानी होना संभव नइ रहिगे हे।

     गाँव के पुरुष मन दू पइसा कमाये बर शहर पकड़ लेवत हें। फेक्ट्री मन म रोजी-मजदूरी कर लेवत हें।बहुत झन तो भले बेरोजगार होके बइठे रहि जावत हें फेर खेत कोती ल हिरक के नइ निहारत यें। खेती किसानी बर पुरुष मजदूर खोजे नइ मिलयँ। अइसन विषम परिस्थिति म खेती किसानी के अधिकांश काम ल महिला मन पूरा दमखम ले करत हें। कहूँ वोमन अपन पूरा घरेलू काम ल करे के बावजूद खेती किसानी ल नइ समँहालहीं  त भूखमरी अउ गरीबी छा जही।

       जइसने असाड़ के आरो मिलथे तइसने गाँव के खेत मन म काँटा बिनई, दूबी-काँद छोलई अउ खातू बगरई के काम म किसनहिन महिला मन भिंड़े दिखथें। बिजहा छिंचे के काम जेला प्राय: पुरुष मन करैंं तेनों ल अब नारी परानी मन करत हावयँ।कहूँ कहूँ नारी के मजबूत हाथ म नागर के मुठिया तको दिखथे। खेत जोते-बोये के काम तको ल महिला मन अब ट्रेक्टर ले करवाये ल धर लेहें।

   खेती किसानी के अधिकांश काम जइसे--नाँखा-मूँही बाँधना,  रोपा लगई,पानी पलोइ ,निंदई-गुड़ई, धान कटई,मिंसई,उड़वई आदि ल नारी मन करत हें।पुरुष श्रम शक्ति के योगदान नगण्य होवत जावत हे।

     जिहाँ भी बड़े-बड़े फार्महाउस हें अउ उहाँ साग-सब्जी या कोनो फसल के उत्पादन होवत हे उहँचो अधिकांश मजदूर महिला हें। कम मजदूरी म पर्याप्त महिला मजदूर मिले के कारण ये फार्म हाउस वाले मन मनमाड़े लाभ कमावत हें।

          महिला मन अपन घर के बारी म तको साग सब्जी उगा लेवत हें ।ओइसने पाले पशुधन के गोबर कचरा,दाना-पानी के संग जतन करे के बोजहा ल तको नारी शक्ति  थाम्हें हें।

    छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अर्थव्यवस्था  ल सजोर करे म महिला स्वसहायता समूह मन के गतिविधि उल्लेखनीय अउ स्तुत्य हे। गरीब ग्रामीण महिला मन समूह बनाके सहकारिता के गुरुमंत्र ल अपना के  छोटे-बड़े उद्योग धंधा चलाके अच्छा लाभ कमावत हें अउ अर्थव्यवस्था ल मजबूती प्रदान करत हें।ये संबंध म सरकारी प्रोत्साहन ,अनुदान आदि ह खाद-पानी के काम करत हे। कतेक महिला मन कुटीर उद्योग तको चलावत हें ,मुर्गी पालन,बकरी पालन, मछरी पालन आदि तको करत हें जेकर ले उँकर बेरोजगारी ह दूर होबे करिस--आनो मन ल रोजगार मिलिस। महिला मन के अइसन उदिम ले परिवार ,समाज अउ गाँव म खुशहाली के अँजोर चुकचुक ले बगरत हें।


चोवा राम 'बादल'

हथबंद, छत्तीसगढ़

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