Saturday 1 October 2022

ग्रामीण अर्थ व्यवस्था म नारी मन के महत्वपूर्ण योगदान

 ग्रामीण अर्थ व्यवस्था म नारी मन के महत्वपूर्ण योगदान //*

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    *ग्रामीण अर्थ व्यवस्था म नारी मन के योगदान विषय म चिंतन करे ले  नारी के प्रति श्रद्धा भाव अकथनीय अपार लगथे, जेला कलम बद्ध करना मुश्किल हो जाथे,सिरिफ महसूस करे जा सकथे |*

     *गंवई गांव म लगभग 90 प्रतिशत मनखे किसान होथैं |   किसान के पत्नी अपन घर-दुआर, खेती-किसानी ला सुधारे संवारे बर शारीरिक -मानसिक सहयोग दे के महान भूमिका निभाथैं*

    *किसान मन अपन खेत म जत्तेक बूता करथैं,ऊंकर ले कई गुना जादा बूता किसानीन मन करथैं | किसान मन  बिहनिया ले उठ के लोटा,दंतुवन अंगौछी धर के नहाय बर तरिया जाथैं, जबकि किसानीन मन भिनसार ले उठ के चाऊंर-दार निमार के लकड़ी-छेना जला के     भात-साग रांध डारथैं,घर ल गोबर म चकचक ले लीप डारथैं,अंगना -दुवारी अउ गली-खोर ल बुहार डारथैं |*

    *"जब गंवई-गांव के-दाई-बहिनी,बहुरिया मन बड़े भिनसरहे ले उठ के बहिरी धर के गली-खोर ल बुहारे जाथैं, तब ऊंकर हाथ म बहिरी देख के "कुलक्ष्मी" ह    दूरिहा भाग जाथे अउ "माता लक्ष्मी" ह ऊंकर गली-खोर ल चकचक ले बुहारे, गोबर पानी म छरा देहे देख के प्रवेश करथे | "ये आध्यात्मिक मान्यता के सामाजिक अउ वैज्ञानिक रहस्य छुपे हवय | "जऊन दाई-बहिनी,बहुरिया मन भिनसरहे ले उठ के घर-दुवारी, अंगना गली -खोर ल बुहार लीप डारथैं,वो घर ह साफ-सुथरा हो जाथे,तव घर भर के जम्मो मनखे के मन प्रफुल्लित हो जाथे, घर-दुवारी अंगना गली -खोर ल बुहारे-लीपे ले गंदगी दूर हो जाथे,कीटाणु-रोगाणु मर जाथें, तव घर के जम्मो मनखे के स्वास्थ्य ठीक रहिथे, जादा बीमार नइ पडैं,तव कमाई के अधिकांश हिस्सा इलाज म खर्चा होतिस,तऊन सब रूपीया बांच जाथे,जेकर से घर के अर्थ व्यवस्था मजबूत हो जाथे*

    *किसान मन के तालाब ले नहा के आवत ले दाई-बहिनी मन जेवन रांध के राखे रहिथें अउ गऊ धन -गाय,बछरू बैला ल कोंड़हा, पैरा-भूंसा खवाके पानी-पेज पीया डारथें |  संगे-संग धान के बीजहा ल पछीन के कुरो -काठा म नाप के बोरी म भर डारथें  अउ खूब चड़ाई स्नान-ध्यान करके कमिया -कमैलिन, बनिहार संग खेत जाए बर तियार हो जाथैं !  मंझनिया-संझा खेत ले आ के  फेर जेवन रांध-गढ़ के जम्मो-मनखे ल भोजन कराके घर-दुवारी ल फेर साफ-सफाई कर डारथें | वाह-वाह किसानीन दाई ! सिरतोन म तुमन साक्षात लक्ष्मी स्वरूपा अव*

     *घर तिर छोटे-बड़े बारी-बखरी होथें, तेमा अलग से समय निकाल के साग-भाजी उपजाथें, धनिया,मिर्चा, भांटा,पताल,सेमी,लौकी,कुम्हड़ा लगाए रहिथें,तऊन आड़े बखत म सब्जी के जरूरत पूरा करथे, बाजार के अब्बड़ेच मंहगी सब्जी ल जादा बिसाए बर नइ पड़ै,तेकर ले किसान मन के अर्थ व्यवस्था  ह मजबूत होथे |*

     *गांव के किसानीन दाई-बहिनी,बहुरिया मन चिटको ठलहा नइ रहैं,समय निकाल के बारों महीना के उपयोग खातिर बरी-बिजौरी,पापड़,अथान के व्यवस्था करथैं,  जेवन म चटनी अथान के व्यवस्था रहे ले किसान मन चार कौंरा जादा भोजन करथें,सरीर तंदुरूस्थ रहिथे अउ कस के बूता करथें, जादा मंहगी सब्जी नइ बिसावैं, तेकर ले वो रूपीया आड़े बखत म काम आथें,अर्थ व्यवस्था संतुलित बने रहिथे*

     *आजकल गांव-गांव म महिला स्व-सहायता समूह बना के सरकारी योजना कुटिर उद्योग, मछली पालन, बकरी पालन, कुकरी पालन के साथ ही गांव-गांव के स्कूल म संचालित मध्यान्ह भोजन म बूता करथें,आंगन बाड़ी केंन्द्र,मितानीन योजना, स्वच्छ भारत योजना म सफाई कर्मचारी के रूप म बूता करथें, मनरेगा योजना म बूता करथें, जंगली क्षेत्र के महिला मन तेंदूपत्ता संग्रहण करथें अउ अपन घर-परिवार के अर्थ व्यवस्था ल मजबूत बनाए बर "लक्ष्मी स्वरूपा" कहे जा सकथैं*

      *जब गांव के कम पढ़े-लिखे किसान मन कोनो समस्या के समाधान बर बुद्धि नइ लगाय सकैं,तब ऊंकर किसानीन मन खूब अक्कल करके अपन गोसईया ल अक्कल बताथें अउ चुटकी म समस्या के समाधान कर देथें, ए संबंध म किसानीन दाई-बहिनी, बहुरिया मन "ज्ञान दायिनी सरस्वती" के भूमिका निभाथैं*

    *आजकल गांव-गांव म दारू दुर्वसन बाढ़ते जावत हे ! किसान भाई मन शिक्षा के अभाव अउ दरूहा मन के संगत करके अपन गाढ़ी कमाई के अधिकांश हिस्सा ल दारू पी के मूत डारथें !  दारू पीये के खराब इच्छा ल पूरा करे बर घर के चाऊंर-दार अउ कीमती जिनीस ल पानी के भाव बेंच डारथें! ए भयानक पारिवारिक-सामाजिक समस्या के निवारण बर गांव-गांव म "दारू निवारण महिला शक्ति समूह" बनाए हव़ंय | अब गांव-गांव म कोनो दरूहा दारू पी के अपन पत्नी, घर-परिवार ल तंग करथें या पारा-मुहल्ला म गाली-गलौज करथें,तऊन दरूहा मन ल सुधारे खातिर "दारू निवारण महिला शक्ति समूह" पहुंच के ओ दरूहा मन ल समझाथें-बुझाथें, कहूं वो दरूहा मन नइ मानैं,तव लौठीच-लौठी मार के घलो सुधारथें | नारी मन ये स्वरूप मोला खूब सुहाथे अउ चंडी रूप मान के श्रद्धा भाव भर जाथे*

    *ए किसम से गंवई -गांव के अर्थ व्यवस्था ला मजबूत करे बर अउ अपन घर-परिवार बर खूब त्याग-तपस्या अउ मेहनत करके नारी शक्ति ह महत्वपूर्ण भूमिका निभाथैं | घर-परिवार के अर्थ व्यवस्था ला सुधारे बर पुरूष मन जतेक मेहनत करथें,तेकर ले कई गुना जादा मेहनत नारी शक्ति मन करथें | अपन पुरूष के कमाई ल सहेज के राखथें, जादा स्नो,पाउडर,चुरी-टिकली, साड़ी-साया, ओढ़ना-कपड़ा घलो नइ बिसावैं | शहर के नारी परानी ले खूब कम खर्चिलीन होथें | तेखरे सेती गंवई-गांव के नारी शक्ति बर मोर मन म अपार आदर -सत्कार अउ श्रद्धा भाव भरे होथे अउ गंवई -गांव के नारी शक्ति मन ल "महालक्ष्मी,महासरस्स्वती,महाकाली मान के पूजा करथौं*

   *गंवई गांव के नारी शक्ति मन ल मैं मानथौं-*

   *या देवी सर्व भूतेषु महालक्ष्मी रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:*

    *या देवी सर्व भूतेषु महासरस्वती रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:*

    *या देवी सर्व भूतेषु महाकाली रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:*


    (दि.28.09.2022)


*गया प्रसाद साहू*

    "रतनपुरिहा"

मुकाम व पोस्ट करगी रोड कोटा जिला बिलासपुर (छ.ग.)


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