Monday 23 September 2024

संस्मरण)*

 *(संस्मरण)*


29 जुलाई 2024। हथबंद साप्ताहिक बजार के दिन संझौती 5 बजे।

 बहू हा कहिस--पापा आज बजार के दिन ये,भुलागेच का--जावव साग-भाजी ले आवव।मैं कहेंव--नइ भुलायें अँव।दे झोला ला।वो हा झोला ला थमाइस तहाँ ले झोटकुन नाती गोगलू हा महूँ जाहूँ कहिके पदोये ला धरलिस।ये जाहूँ-- ये आहूँ अउ तोर बर खेलौना लाहूँ कहिके भुलवारेंव तब लटपट मा मानिस।इही चक्कर मा मोबाइल ला घर मा छोडे़ ला भुलागेंव अउ जेब मा धरे धरे बजार पहुँचगेंव।

   पाँच साल पहिली इही बजार मा मोर मोबाइल चोरी होये रहिसे तेकर सेती चेत लगाके मोबाइल ला घर मा छोंड़ के जाववँ फेर होनी ला कोन टार सकथे। एक जगा सब्जी लेये पाये रहेंव तइसने जेब हा हरू लागिस।लकर-धकर टमड़ के देखेंव ता मोबाइल गायब राहय।हमर तो काटो त खून नहीं होगे।आजू-बाजू खोज बिन--दू चार झन ला पूछताछ चालू होइस ता पता चलिस के इहाँ हर बजार के ककरो न ककरो मोबाइल चोरी होथे।बाहिर ले एक्सपर्ट चोरहा मन आथें।हमर दिमाग चकरागे--हिरदे तालाबेली होगे।अट्ठारा हजार के मोबाइल जेमा हजारों नम्बर,सैंकड़ो साहित्यिक ग्रुप,एस बी आई के योनो जेमा 60--70 हजार रुपिया, फोन पे,मोर प्रकाशित पुस्तक मन के गुगल ड्राइव मा सहेजे वर्ड फाइल अउ पी डी एफ, साल भर के बिना डायरी मा उतारे लोकाक्षर अउ एती वोती भेजे रचना---कुछु होगे ता? सोच- सोच के माथा फटे ला धर लिस। मन हा अतके ढाँढ़स बँधावय के सब हा मेल मा सुरक्षित हे रिकवर हो जही--मेल आई डी तो याद हावयच। उही नम्बर तको मिल जही।

 सबले पहिली सीम ला लाक करवाके  थाना मा अउ जिला साइबर क्राइम विभाग मा रिपोट करे के विचार आइस।मरता क्या न करता--हम ओइसने करेन। दू दिन ले ढंग से भोजन-पानी तको नइ सुहाइस। जियो के क्षेत्रीय सर्विस सेंटर ले उही नम्बर के सीम तको मिलगे।उन आदरणीय ला मेल आई डी बताके चोरी गये मोबाइल के सब ला रिकवर करे के अर्जी करेंव। उन पासवर्ड पूछिस---सन् 2015 के आन के बनाये आई डी,पासवर्ड।हमर मति फेर छरियागे--दुब्बर बर दू असाड़ कस। कइसनो करके सुरता के घोड़ा ला दउँड़ाके पासवर्ड बताबे करेंव(उहीच पासवर्ड रहिस तको) फेर वो हा बारबार गलत बतावव।जे पइत गलत बतावय ते पइत हमर छाती मा पथरा पटकावव। वो सर्विस सेंटर वाले बंधु घलो झुंझवागे।असकटाके नवा पासवर्ड बनाके तको देखिच फेर रिकवर नइ होइस। हम पूछेन काबर रिकवर नइ होवत ये भइया--सब बताथें रिकवर हो जथे। उन कहिस--तोर मोबाइल ला जेन चोराये हे वो हा सब हेक कर ले हे। हम अब का करन--सब गै ता मर थोरे जावन।थोथना ला ओरमाके नवा आई डी अउ पासवर्ड बनवाके फेसबुक, व्हाट्सएप ,फोन पे ला चालू करवायेन।नम्बर ककरो नहीं सब जीरो बटे सन्नाटा। जीव ये सोच के धक धक करे ला धरलिस के कहूँ बैंक के खाता के रकम तको जीरो तो नइ होगे होही?

   बैंक मा जाके सरी बात ला बताके बैलेंस चेक करवायेन ता पता चलिस--खाता खलखलागेहे।वो तो एक झन आदरणीय के सलाह अनुसार हमर रिटायरमेंट के पइसा हा अलग अलग बैंक के खाता मा रहिस,आधा ले जादा पइसा बेटा के व्यवसाय मा इनवेस्ट होगे रहिसे नहीं ते हम तो हार्ट अटैक मा ये दुनिया ले खसलगे होतेन।

  खैर जेन होना रहिस तेन तो होगे।मनखे के मन के घाव तको समय पाके भरे ला धर लेथे। फेर मन ताय दँउड़ लगावत रहिथे। आशा मा दुनिया टिके।हमू हा अपन जानकार मित्र अजय अमृतांशु के संग दू चार कम्प्यूटर/हार्डवेयर विशेषज्ञ मन सो जाके कोशिश करेन फेर कुछु रिकवर नइ होइस काबर के चोरहा मन चोरी होये मोबाइल के आत्मा ला कुटी कुटी कर दे रहिन। भाई जितेंद्र खैरझिटिया के सहयोग ले गद्य खजाना अउ छंद खजाना ले बहुत कन रचना मन मिलगे।  फेर लोकाक्षर मा पाछू एक साल ले भेजे रचना मन नइ मिलिस।ककरो सो होही ता किरपा करहू। प्रणम्य दीदी सरला शर्मा जी ले, बहुत जल्दी प्रकाशित होने वाला किताब "ताना-बाना" के पांडुलिपि मिलगे।

     नइ मिलत ये त बस ,नवा खरीदे मोबाइल ला धरके कोनो कोती आये- जाये के हिम्मत---फेर चोरी हो जही या गँवा जही के डर ले छुटकारा।

  मोबाइल बिना आज के समे मा काम तको नइ चलय।ये मोबाइल हा जी के जंजाल होवत जावत हे।कतका सावधानी रखे जाय? फ्राड मन के माया जाल ले कइसे बाँचे जाय?

सोचबे त मन खट्टा हो जथे।


चोवा राम वर्मा 'बादल'

हथबंद,छत्तीसगढ़

No comments:

Post a Comment