Monday 23 September 2024

बेंदरा नाच " (नानकुन व्यंग्य कहानी )

 "  बेंदरा नाच "

(नानकुन व्यंग्य कहानी )


हमन नानकुन रहेन तब बजार हाट अउ गली म बेंदरा नाच ला देखे रेहेन l ओइसने हे भलवा नाच ला  देखे रहेन l बहुत दिन होगे l  अब मैनखे मन बेंदरा नाच करत हे l बेंदरा मन ले ओपार होगे l बेंदरा मन अब दूसर कोती तिरियावत जात हे मैनखे असन l मैनखे मन बेंदरा असन ए घर ले ओ घर जा जाके कूद फांद करत हे l घर उजारत हे रिस्ता नता ला बिगाड़त हे l

ओ बेंदरा मन ला लाठी के ए पार ले ओ पार, ओ पार ले ए पार कूद रे बेंदरा कहिके  बलदू देवार कुदावय l अब सुलटू नेता मन अपन बेंदरा मन ला  ओ पार्टी म जा, लहर चलत हे ए पार्टी म आ रे  कहिके एती ओती कुदावत हे l 

सुनते ही नाती नतनिन मन  तीर म आके कहिथे - "बबा बेंदरा नाच के कहानी  ल हमू मन सुनबो कहिके तीर म आके बइठ जथे,ले सुना ना l 

" कोन बेंदरा नाच के कहानी ल सुनाँव?  कइसे सुनाहूँ?  सोचे ला परही l  

चल जोर देवत हे लइका मन सुना देथँव l 

बलदू नाँव के देवार रहिस l

सीसी बॉटल टीना टप्पर लोहा बल्दी म लेवय बदला म काँहीकुछु जिनिस ला देवय l

गली म घूम घूम के बेचय l

फ़ायदा नई मिलिस धंधा बदल दीस l सांप ला धर के घर घर घूमय अउ देखावय l उहू म जादा भीख,दान पुन पैसा नई मिलिस l

धंधा बदलय तेखर सेती ओखर नाँव बलदू होगे l बेंदरा पकड़ के  ले आइस l बेंदरा ला लाठी मार मार के सिखाइस l टोंटा म रस्सी बांध के गोड़ ला पीट पीट के सिखाइस l नाच बेंदरा नाच l

 अइसने पलटू मन पाला पलट पलट के बड़े बड़े होटल म खवा पिया के सिखाथे l पकड़ पकड़ के लाथे नवसीखिया मन ला अपन गेंग म l  रेंक देके फांस के रखथे l 

बलदू देवार अउ पलटू के बेंदरा नाच सिखाये म गूढ रहस्य छिपे हे l बलदू के कुंदरा म सुन्दर अउ सुंदरिया नाच सीखय बोल घलो सीखय, इशारा सीखय l

पलटू के होम सीटी म डांस पार्टी, चीयर पार्टी,डियर पार्टी अउ का का नाम ले गेम चलय l 

बबा बलदू के ला बताना?

हव हव l

 बजार के एक मुड़ा के तीर म अपन झोला झकक्ड ला रख देतिस lढोलक कभू डमरू बजाके देखय्या सकेलतिस l 

बम्बई के नाच गाना 

सुन के होये सब दीवाना 

दिल्ली के दूल्हा डउका 

सूट बूट म आये हे ठाउंका 

डमरू फेर बजाथे डम डम डम डम....l

 बहुत दिन होंगे बलदू नई दिखत हे जियत हे कि मरगे l फेर ओकर बेदरा नाच सुरता  आथे l

बेंदरा नाच  होवत हे घर घर 

गली गली म गाँव  गाँव शहर शहर म l बलदू के परम्परा बने पनप गे हे, पलटू मन के राज म l रोजी रोटी ककरो चलय चाहे झन चलय फेर 

सुन्दर अउ ओकर सुंदरिया नाचे ला नई छोड़े हे -

" गजब दिन होंगे राजा 

तोर ले मन मिलाये...... I


मुरारी लाल साव 

कुम्हारी

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