Monday 23 September 2024

पितर पाख के सपना "

 " पितर पाख के सपना "


सपना तो आथे कभू कभार 

फेर पितर पाख के सपना अपना होथे अइसे लगथे l जतर कतर चेत ला चेथी म राखे ले का फ़ायदा? चेत नइये 

का? का करत हस? कोंचक कोंचक के कोनो कहत रहिस l

घेरी भेरी हड़बड़ावत रहेंव l

बतावत रहिस -" हमर पाहरो म अइसन नई होवत रहिस हे l

गाय भैंस चरॉन त गाढ़ा गाढ़ा दूध देवय l ये का गाय गरु मन के चारा चरागन के भूईया भाँटा ला हड़प डरे हे मैनखे? रोड म  गली म किंजर किंजर के खोईला होवत पेट ला देखावत हे l ऊपर ले सूजी गोभ के दूध निचोवत हे l गोबर ला देख ओकर खाये पन्नी झिल्ली निकलत हे l चारा तो ओकर बर है नहीं l "

फेर हुदर के एक झन कहिथे -" चाउंर बेच दारू पी  कइसे कतेक दिन ले जीबे जी! जांगर चोर  बइठे बइठे कतेक दिन ले खाबे? बिन कमाए? बँचा बँचा के जोर जोर के खेत खार परिया परत हे l कम्पनी कारखाना बर लकर धकर बेंचत हस l चार दिन के फूटानी 

तंहा ररूहा बन के रहिबे l हमन अइसन नेता अउ अइसन नेता गिरी नई देखे रहेन हमर पहरो म l जै बुलाये बर पैसा बाँटत l

भासन सुने बर लालच देके भीड़ सकेलत l झंडा धराके किंजारत l बेरा पहा जही जी हुजूरी करत बंगला म लात बात खावत रहिबे l तोर अंटियाई  घुसड़ जही l रेंगे बर भुला जबे 

टोरही हाथ गोड़ ला l चेत कर अपन घर बार के l नई फुरय झंगलू घुस मूस के धन जुगाड़ ह l तरिया के पार ला सब देखत हे उघरा नहावत हे काला कांचत हे कामा निचोवत हे l

एक कल्लथैय्या ले दू कळथैय्या होगे गोठ सुनावत रहिस l "हमर पहारो म  लाज शरम अंचरा म अउ घर म लुकाये रहिस हे l ए का सब होवत हे? बेटी निकलत हे घर ले कब आही नई आही ओकरो बेरा नइये आये के? काला घेपथे काला नहीं, बरजे ला नई मानत हे l कूकरी असन पकड़ा जथे त चिल्लाथे तब तक डेना पाँखी ला मुरकेट डरे रहिथे हलाली मन l दलाली म बजार 

बिस मारत हे l हमर पाहरो म ईमान पूंजी रहिस l अब सरे आम ईमान हथकड़ी पहिरे हे l 

नंगा लुच्चा मन  के माथा म तिलक लगत हे l बड़े जान पथरा  उलंडत आवत रहिस अब तब गिर तीस नींद उचट गे l पितर  बर दुवार म  चाउंर पिसान के चौक पुरके पीढ़ा म तोरई फूल कलश म दिया बरत जोत अगवानी  करत रहिस 


मुरारी लाल साव 

कुम्हारी

No comments:

Post a Comment