लघु कथा - 'सेल्फी'
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नवा जमाना के फाइफ जी सीम वाले फाइफ जी मोबाइल के टसन धरे नवा कट के गोड़ अउ कनिहा उघरा करे दू झन कुकराचुंदा कटिन कटाय टूरा मन होंडा के दुपहिया मे सांय सांय हारन बजावत भीड़ वाले जगह में लहरावत पेल दिन | पलट के उतर के अपन खुलाबटन वाले शर्ट के कालर ल खिंचत कहे लगीन वी आर द बेस्ट |
हील वाली सेंडिल पहीने होंठ म करिया के रंगनी पोते टूरी हर ओति पिछोत ले भीड़ के आवत रहय | एक झन बबा ये सब चरितर ल बइठे - बइठे ठेला म देखत रहय| बड़ दिन बाद बिशेसरा के मेला हर ये दरी सिग बिग ले भरे रहय| मेला म बबा हर महॎशिवराती में मुँगफली बेंचे बर तीर के गवँइ परसवारा ले आय रहय|
बबा के जीव रखमखाय जाय पर का करय रोके नइ सकय कउनो ल|
जवान टूरी टूरा इंकर दई - ददा मन का संस्कार दे हें टूरी मन घलो चिरहा कटाय वाला जिन्स पहिने हे लोरमा उतरे लट असन चुंदी हर छरियार हे| बबा के ठेला में मुंगफली लेवत शनमरहा टूरा मन मोबाइल ल घेरी बेरी जेब ले निकालँय| अउ एक दू फोटो खींच के फेर भीतरी खुसेर लेवँय | बबा पुछ परिस बाबू हो का तुहँर मोबाइल म फोटु खीचे ले तुहँर होलिया सहींच म बने हो जथे ? टुरा मन के जवाब मिलथे येला तँय का जानबे बबा| येकर मजा तोर डोकरी के परोसे खाना ले जादा
सेवाध वाले हे|
टूरा मनन बबा के एक एक डहर के गाल ल चुमत असन करत अपन मोबाईल केआगु वाले कैमरा ल आन करके फोटो खींचते रहीथें|के डोकरी हर आरो करत कहिथे सेल्फी सेल्फी सेल्फी| तव दौड़त मोटियारी टूरी सेल्फी हर डोकरी कर आके अपन मोबाईल म फोटो खींछते रहीथे| के बबा कहिथे ये तो मोर सेल्फी आय|
अश्वनी कोसरे रहँगिया कवर्धा कबीरधाम (छ. ग.)
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