Tuesday, 22 April 2025

शंकर पार्वती के गोठ-बात*

 .               *शंकर पार्वती के गोठ-बात*


                                - विनोद कुमार वर्मा 


            ' नाथ, मोला भूमंडल के सैर करे के बड़ इच्छा होवत हे! '

           ' ठीक कहत हस। कैलाश मं बइठे-बइठे महूँ असकटा गे हँव! '

          भोले बाबा अउ माता पार्वती भूमंडल के सैर करे बर निकल गीन।

         ' ये कोन नदी हे बहुत दूर तक लामे हे! '

       ' दू ठिन नदी एक्के म जुड़ गे हे। एक मिसौरी नदी हे जेकर लम्बाई 2540 मील हे। ओहर मिसिसिपी नदी मं मिल गे हे। मिसिसिपी के लम्बाई 2260 मील हे। दुनों ला जोड़ दे त 4800 मील होथे। '

         ' नाथ, तूँ टेप धर के नापे हॅव का? अतका एक्कुरेट बतावत हॅव! '

        ' अरे, नापे के का जरूरत हे, विकीपीडिया मं सब लिखाय हे! '

        ' ये पर्वत चोंटी बहुत ऊँचा दिखत हे! '

        ' हाँ अकोंकगुआ पहाड़ हे। एकर चोंटी तक के लम्बाई 22829 फीट हवय। फेर हमर माउंट एवरेस्ट ले छोटे हे। माउंट एवरेस्ट के उँचाई 29035 फीट हवय! '

        ' त, ऊँचाई ला कइसे नापा? '

       ' अरे पगली, नापे के का जरूरत हे, विकीपीडिया मं सब लिखे हे न! '

      ' ये तो अच्छा बात नोहे कि आन के लिखे पढ़े ला देख के बता देवव! ये तो नकल हो गे! '

      ' अरे त मँय कोई व्यापम या पीएससी के परीक्षा देवंत हँव का!..... सुन भाग्यवान, मनखे मन ला पढ़े-लिखे बर कोन सिखाइस हे?.... ब्रह्मा जी अक्षर बनाइन।अउ तोर बहिनी सरस्वती ओमन ला ज्ञान बाँटिस! ..... नि तो एहू-मन कुकुर-बिलई कस परे रहितीन! '

          ' ये देश के सियान तो बदमाश कस लागत हे! सबो देश ला डरवावत-धमकावत  रहिथें! '

        ' अरे, सबो ओला नि डरावँय। थोरकिन दिन आघू  यूक्रेन कि सियान ओला जम के लताड़िस हे! पत्रकार वार्ता मं दुनों बइठे रहिन त बड़का सियान बँगला झाँके लगिस! कोनो भी देश के सियान ला अइसनेच्च होना चाही। यूक्रेन तो नानबुटी देश हवय। 1991 तक सोवियत रूस के हिस्सा रहिस। फेर जनमत संग्रह के बाद 24 अगस्त 1991 के नवा देश बनिस। जनमत संग्रह मं 90 फीसदी मन नवा देश के समर्थन करे रहिन। अब सोवियत रूस ओला फेर हथियाना चाहत हे! फेर अंगूर अभी खट्टा हे! '

          ' तूँ महाकुंभ मेला देखे गे रहेव का? सुनथों कि अड़बड़ेच्च भीड़ रहिस। '

          ' अरे झन पूछ, प्रयागराज जंक्शन मं उतरेंव त एक ठिन टीसी पकड़ लिस। फाइन ठोंक दे रहिस। फेर गुस्सा मं देखेंव त तीन फीट दूरिहा जा गिरिस। हाँव-काँव हो गे। ले-दे के मँय बाहिर निकल गेंव। झन पूछ 10 -11 किलोमीटर पैदल चले ला परिस तब संगम तक पहुँचेव अउ डुबकी लगायेंव! '

         ' त व्हीआईपी डुबकी नि लगा लेता। तुँहला तो व्हीआईपी पास मिल जातिस! '

       ' अरे भाग्यवान, मँय कोई मंत्री-संत्री हँव का? कि कलेक्टर ओं कि मोला वहीआईपी पास मिल जातिस? कोनो निगम के अध्यक्ष घलो नि हावँव, नि तो पास मिलिच्च जातिस! '

         ' त नागा बाबा मन ला कइसे पास मिल जाथे? '

       ' अरे भाग्यवान, मँय शेर के खाल ला लपेटे रहेंव न!.... तँय बड़ क्वेश्चन करथस, थोरकुन साँस तो लेन दे! '

         पार्वती माता चुप हो गे। फेर शंकर भगवान कहिस- ' अब गोठ-बात ला खतम कर। मोला अड़बड़ भूख लागत हे। चल कैलाश पर्वत लौटत हन। बासी बाँहचे हे, ओइ ला दे देबे। मोला छत्तीसगढ़िया बासी बड़ सुहाथे। नून डारके मिरचा चटनी पीस देबे। ओही मं दुनों खा लेबो! '

...................................................


    Story written by-


           *डाॅ विनोद कुमार वर्मा* 

व्याकरणविद्,कहानीकार, समीक्षक

No comments:

Post a Comment