Friday 25 December 2020

मन भइगे हरहा ..मोर बस नइये ....। "

 " मन भइगे हरहा ..मोर बस नइये ....। " 

     आज 25 दिसम्बर आय ...बड़े दिन कहिथन , लइकाई ले ईसाई भाई बहिनी मन के उमंग , उछाह ल देखत आवत हंव । फेर एसों ओ मज़ा नई आइस । 

   स्वतंत्रता संग्राम के एक झन पुरोधा , भारतीय शिक्षा के मार्गदर्शक पंडित मदन मोहन मालवीय अउ काल के कपाल मं अपन निष्पक्ष राजनीति अउ साहित्य के टीका लगइया अटल बिहारी बाजपेयी के जनमदिन आय । 

 तुलसी जयंती अउ गीता जयंती  घलाय तो आजे च आय ..फेर मोर मन तो हड़ताल कर देहे हे । हरके बरजे ल मानते नइये । अभी रेडियो मं अटल जी के प्रसिद्ध कविता " गीत नया गाता हूं .." सुनेंव ...सब ठीक हे तभो मोर मन तो हरहा हो गए हे । घेरी बेरी ..किसान आंदोलन के  खबर जाने , सुने बर बगटूट भागत हे । 

  किसान आंदोलन के सफलता हर ही हमर देश मं लोकतंत्र ल मजबूत करही । कृषि प्रधान देश के आर्थिक , सांस्कृतिक , सामाजिक व्यवस्था ल बनाए राखही । हमर देश के बाढ़त जनसंख्या के पेट भरे के साधन धरा रपटी मं अपनाए उद्योग प्रधानता हर  नइ करे सकय । किसानी हर अगर पूंजीवादी धनी मानी मन के हांथ मं चल दिही त किसान काय करही ? 

  सिरतो सिरतो मोर मन हर हरहा हो गए हे । 

    सरला शर्मा

No comments:

Post a Comment