Thursday 17 December 2020

मँय काबर लिखथँव*-पूरन जायसवाल

 *मँय काबर लिखथँव*-पूरन जायसवाल


मँय काबर लिखथँव ये प्रश्न देखे मा जतका नानकुन अउ सहज दिखत हे, येखर उत्तर हा ओतके जटिल हावय। अइसे नोहय के ये प्रश्न अभी के आय, ये प्रश्न कई बारी खुद भी खुद ले करे हँव, तव कई बार दूसर गणमान्य मन भी मोर ले प्रश्न पूछे हे। एमा खासकर नाम लेहूँ हमर पलारी अँचल के बड़ मयारू अउ गुरतुर अउ मोर बड़ सम्माननीय कवि *डॉ. रामकुमार साहू 'मयारू'* के।


  मँय जब उत्तर देये के कोशिश करथौं तब *मँय काबर लिखथँव* के बजाय *मँय काबर लिखत हँव* के उत्तर जादा प्रभावी रूप मा मिलथे। सँगेसँग *काबर लिखना चाही* एकरो उत्तर हा हावी हो जाथे।



*मँय काबर लिखथँव* एक प्रवृत्ति परक सामान्य वाक्य आय। अउ बात लेखन के प्रवृत्ति के आय तव ये तो उमर अउ अनुभव अउ नवा जानबा के साथ बदलना स्वाभाविक हे।


मँय कहँव कि मँय अपन भैया *श्री पोखन जायसवाल* (जउन अभी पटल मा सरलग लिखत हें) ला अपन आगू मा लिखत, सोचत, आकाशवाणी मा कविता पढ़त, पेपर मा छपत कवि गोष्ठी मा जावत देखके लिखे के शुरू करे हँव तव मोर लिखे के उद्देश्य अउ कारन बाहरी रूप मा निकलथे *मँय पेपर मा छपे अउ रेडियो मा आये बर लिखे ला धरेंव।*


ऊपर लिखे मयारू भैया के प्रश्न जउन समे के बात आय, वो समे मँय कहूँ बताना, जताना नइ चाहत रहेंव कि मँय कवि आँव, मँय कविता लिखथँव। तव *मँय काबर लिखथँव* एकर सीधा उत्तर रहय *सिरिफ अपन बर*। वोकर बार बार पूछे उकसाये ले कवि गोष्ठी मन मा आये जाये लगेंव। अब लिखे के उद्देश्य थोकन बदलगे अउ बड़े होगे। इही बीच मा मोर मिलना रायपुर के उस्ताद शायर *जनाब गौहर जमाली* ले होइस जेन बाद मा मोरो उस्ताद होइस। वो बताइस कि सिरिफ सिंगार हा कविता नइ होवय। (वो समय सिंगार ही जादा लिखत रहेंव।) समाज अउ देश मा हमर आसपास मा जे घटना घटत हावय चाहे घटगे हावय वोकर ऊपर भी बहुत कुछ लिखे जा सकत हे अउ लिखे के जरूरत भी हे।


ये तरह ले समय अउ मार्गदर्शन अउ जीवन के अपन अनुभव के हिसाब से लिखे के उद्देश्य बदलत गिस।


अब कहूँ आज के स्थिति मा *मँय काबर लिखथँव* के एकेच्च ठन उत्तर देये के बात हे तब कहिहौं कि अपन मन के आनंद के सँगेसँग यहू सोच हावय कि का पता मोर लिखे कोन गोठ मा कोनो व्यक्ति अउ समाज के हित निकल आय। साहित्य रूपी पार बँधावय तब का पता एको पत्थर मोरो नाव के लग जावय। *लिखत हँव, लिखत हँव, लिखत हँव।* स्पष्ट हे *लिखथँव* के उत्तर जटिल हे।


पूरन जायसवाल

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